Monday 31 July 2017

कश्मीर : ये मुहिम अंजाम तक पहुंचे

बीते कुछ दिनों में जम्मू-कश्मीर की मुख्यमंत्री मेहबूबा मुफ्ती के कई सार्वजनिक बयान ऐसे आए जिनसे लगा मानो उनके और केन्द्र सरकार के बीच तनातनी शुरू हो गई हो। धारा 370 के तहत राज्य की विशेष स्थिति को खत्म करने संबंधी अदालती याचिका को संदर्भ बनाते हुए दिल्ली के एक आयोजन में मेहबूबा बोल गईं कि यदि कश्मीर की विशेष स्थिति को छेड़ा गया तो घाटी में भारत का तिरंगा उठाने वाला नहीं मिलेगा। यद्यपि अपनी बात को स्पष्ट करते हुए उन्होंने ये भी कहा कि उनकी पार्टी सहित कुछ लोग जोखिम उठाकर भी राष्ट्रध्वज फहराने का दुस्साहस कर रहे हैँ। उनके इस बयान पर प्रतिक्रियाएं आ ही रही थीं कि श्रीनगर में अपनी पार्टी पीडीपी के स्थापना दिवस पर आये कार्यकर्ताओं के सामने मेहबूबा ने एनआईए (राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसी) द्वारा सड़क मार्ग से पाकिस्तान के साथ होने वाले व्यापार को रोकने की सलाह का विरोध करते हुए कहा कि उनकी सरकार इसकी अनुमति नहीं देगी। वे ये भी बोल गईं कि गिरफ्तारी और नजरबंदी जैसे कदमों से किसी  विचारधारा को दबाया नहीं जा सकता। इस बयान का सीधा-सीधा आशय अनेक हुर्रियत कान्फ्रेंस के नेताओं की गिरफ्तारी तथा बाकी की नजरबंदी का विरोध करना था। पाकिस्तान से आर्थिक सहायता प्राप्त कर कश्मीर घाटी में अलगाववाद को हवा देने के दस्तावेजी प्रमाण मिलने के बाद एनआईए ने बीते कुछ दिनों में जिस प्रकार की ताबड़तोड़ कार्रवाई की उससे ये अनुमान लगाया जाने लगा है कि तीन साल की सुस्ती के बाद अब केन्द्र सरकार हरकत में आ गई है। एक तरफ तो सुरक्षा बलों की छूट दे दी गई है जिसके बाद से वह आतंकवादियों को ढूंढ़-ढूंढ़कर मार रही है वहीं  सघन तलाशी अभियान के जरिये उन लोगों की पकड़-धकड़ हो रही है जो आतंकवादियों को पनाह देते थे। पत्थरबाजी करने वालों की भी पहिचान कर उनके विरुद्ध भी कड़े दंडात्मक कदम उठाने की खबरें मिल रही हैं। गत दिवस जम्मू में एक हिन्दू व्यक्ति को एनआईए ने गिरफ्तार कर लिया जिसे सैयद अली शाह गिलानी का खासमखास बताया जा रहा है। इन कार्रवाईयों से मेहबूबा का परेशान हो जाना स्वाभाविक है क्योंकि भाजपा के साथ सरकार बनाने के फैसले का नुकसान उन्हें अब समझ में आया। यद्यपि शुरू-शुरू में तो भाजपा को भी ये लगा कि उसने गलती कर दी लेकिन अब जाकर ये लग रहा है कि राज्य सरकार का हिस्सा बनने से पार्टी को शासन-प्रशासन की जो अंदरूनी जानकारी मिल गई उसकी वजह से केन्द्र सरकार और सुरक्षा बलों को आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई छेडऩे की दिशा में काफी सहूलियत मिल रही हैं। कुल मिलाकर चिंताजनक माहौल के बीच कश्मीर घाटी से आ रही खबरों से देश में काफी उम्मीदें बंध रही हैं। एनआईए ने हुर्रियत नेताओं की गर्दन पर जिस तेजी से शिकंजा कसा है उससे अलगाववाद एवं आतंकवाद दोनों पर नियंत्रण किया जा सकता है। समय आ गया है जब कश्मीर को लेकर अनिश्चितता का माहौल पूरी तरह खत्म हो। विपक्षी दलों को भी चाहिए कि वे मौजूदा माहौल में केन्द्र सरकार के साथ खड़े हों क्योंकि कश्मीर मसले पर दलगत राजनीतिक स्वार्थों से ऊपर उठकर सोचना राष्ट्रहित में जरूरी है।

-रवींद्र वाजपेयी

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