Saturday 5 August 2017

दीपावली के पहले कर्ज और सस्ता करे रिजर्व बैंक

लंबे इंतजार के बाद रिजर्व बैंक ने ब्याज दर में मात्र 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सरकार और बाजार दोनों को निराश कर दिया। यद्यपि कुछ नहीं से कुछ अच्छा की तर्ज पर इस कटौती का भी स्वागत तो किया ही जा सकता है किन्तु अर्थव्यवस्था की मौजूदा स्थिति को देखते हुए ये उम्मीद थी कि रिजर्व बैंक द्वारा बैंकों को दिया जाने कर्ज तकरीबन 0.50 प्रतिशत सस्ता होगा। ये कटौती भी 10 महीने के इंतजार के बाद देखने मिली। यद्यपि इस निर्णय का प्रभाव इन पंक्तियों के लिखे जाने तक देखने नहीं मिला। किसी भी बड़े या छोटे बैंक ने कर्ज सस्ता नहीं किया। हो सकता है रिजर्व बैंक के फैसले का सूक्षम अध्ययन करने के उपरांत इस कटौती का लाभ कर्जदारों तक भी पहुंचाया जावे परन्तु उसमें भी पेंच ये फंसा है कि इससे नया ऋण लेने वाले ही लाभान्वित होंगे या मौजूदा कर्जदारों को भी राहत मिलेगी? विगत कुछ दिनों से उम्मीदों के ऊंचे आसमान पर उड़ रहा शेयर बाजार रिवर्ज बैंक के फैसले से निराश दिखा तथा मामूली ही सही किन्तु गिरावट के साथ बंद हुआ। वहीं ये भी खबर है कि केन्द्र सरकार भी 0.25 प्रतिशत की कटौती से खुश नजर नहीं आ रही। प्रशासनिक सूत्रों के अनुसार वित्त मंत्रालय ने रिजर्व बैंक को देश की वर्तमान आर्थिक सेहत के मद्देनजर ब्याज दर में कम से कम 0.5 प्रतिशत की कमी का अनुरोध किया था किन्तु उसे नजरंदाज करते हुए केन्द्रीय बैंक ने अपनी स्वायत्तता का समुचित उपयोग करते हुए सरकार की अपेक्षा से आधी कटौती ही की। बहरहाल व्यवसायिक बैंकों को तो इस निर्णय का सीधा लाभ मिल जावेगा किन्तु यह उनके कर्जदार ग्राहकों तक नहीं पहुंचा तब अर्थव्यवस्था को सहारा मिलने की उम्मीद धरी की धरी रह जावेगी। रिजर्व बैंक ने थोक महंगाई दर के असाधारण रूप से कम होने के आधार पर व्यवसायिक बैंकों से अपने ग्राहकों तक ब्याज दर में कटौती का फायदा पहुंचाने की जो अपेक्षा की है वह पूरी तरह तर्कसंगत है। गत वर्ष नवंबर में हुई नोटबंदी और उसके बाद एक जुलाई से लागू जीएसटी के कारण औद्योगिक उत्पादन में कहीं गिरावट तो कहीं ठहराव देखने को मिल रहा है। इसके बाद भी रिजर्व बैंक  मौजूदा वित्तीय वर्ष में विकास दर के 7 प्रतिशत से ऊपर रहने की उम्मीद जता रहा है। यदि वह इतनी भी रही तब भी माना जाएगा कि जबर्दस्त अनिश्चतता तथा उससे उत्पन्न आर्थिक मंदी भी भारत के आर्थिक ढांचे को तोडऩा तो दूर झकझोर तक नहीं सकी। यद्यपि मौजूदा माहौल में भी विदेशी निवेश का तांता लगा हुआ है जिससे कि शेयर बाजार का सूचकांक सर्वकालीन सर्वोच्च स्तर को छू रहा है तब यदि रिजर्व बैंक सरकार के संकेत को समझकर ब्याज दर में 0.5 प्रतिशत की कटौती कर देता तो घरेलू और विदेशी दोनों श्रेणी के निवेशकों का उत्साह जगता। फिर भी जो कटौती रिजर्व बैंक ने की वह कुछ राहत तो देगी ही। अगली मौद्रिक समीक्षा दीपावली के पूर्व होगी। यदि उसमें भी इतनी ही कटौती ब्याज दर में और कर दी जावे तो उद्योग-व्यापार जगत को घी के दिये जलाने का अवसर मिल जावेगा। वैसे समय की मांग है कि रिजर्व बैंक गृह निर्माण  ऋण की ब्याज दर को घटाकर 5 प्रतिशत के स्तर पर ले आए। यद्यपि ये बड़ा दुस्साहसिक कदम होगा किन्तु इससे पूरी अर्थव्यवस्था फर्राटा दौडऩे लगेगी। वर्तमान स्थिति में इस क्षेत्र की स्थिति सबसे खराब है। फ्लैट, ड्यूपलेक्स आदि अधबने पड़े हैं।  बिल्डरों का पैसा फंस जाने से उन पर कर्ज का भार रहा है। इसका प्रभाव बैंकों के एनपीए में वृद्धि के रूप में दिखाई दे रहा है। साधारण बुद्धि वाला भी ये बता देगा कि घर बनाने में सैकड़ों छोटी-बड़ी चीजें उपयोग में आती हैं जिससे बाजार में मांग बढऩे के साथ ही बड़े पैमाने पर श्रमिकों की जरूरत पड़ती है। उम्मीद की जानी चाहिए केन्द्र सरकार और रिजर्व बैंक दोनों हाऊसिंग सेक्टर के महत्व को गहराई में जाकर समझेंगे। इसी तरह अधोसंरचना (इन्फ्रास्ट्रक्चर) की परियोजनाओं को भी सस्ते ऋण के दायरे में लाया जावे जिससे आर्थिक मंदी की धुंध को हटाकर विकास दर को नई ऊंचाई दी जा सकेगी वहीं रोजगार सृजन का उद्देश्य भी काफी हद तक पूरा होगा। आईटी और सर्विस सेक्टर भले ही अर्थव्यवस्था के एक महत्वपूर्ण अंग के तौर पर उभरा हो परन्तु वह भी हर हाथ को काम का मकसद पूरा नहीं कर पा रहा। संतोष की बात ये है कि तमाम विरोधाभासों एवं प्रतिकूलताओं के बाद भी कृषि क्षेत्र सकल घरेलू उत्पादन को संतोषजनक स्तर पर टिकाए हुए है किन्तु समय आ गया है जब आर्थिक क्षेत्र को नारेबाजी से उठाकर वास्तविकता के ठोस धरातल पर खड़ा किया जावे। भले ही रिजर्व बैंक तथा विदेशों में पढ़े आर्थिक विशेषज्ञ नहीं मानें किन्तु भारत को यदि वैश्विक स्तर पर अपने आप को स्थापित करना है तो उसे कर्ज सस्ता करना ही पड़ेगा। बिना उत्पादनों की लागत घटाएं हम चीन सरीखे उस देश से नहीं जीत पायेंगे जिसके सस्ते उत्पादनों ने हमारे बाजारों पर पूरी तरह से कब्जा कर रखा है।

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