Sunday 12 November 2023

इस दीपावली का ऐतिहासिक महत्व है



भारत की महान पर्व परंपरा में दीपावली का विशेष महत्व है। इसके साथ अनेक पौराणिक कथाएं और किंवदंतियां जुड़ी हुई हैं। शीत ऋतु  और नई फसल के आगमन का सुखद संयोग भी है दीपावली। अमावस की अंधियारी रात में उमंग और - उत्साह रूपी दीपमालिका के माध्यम से समूचे वातावरण को आलोकित करते हुए झोपड़ी से महलों तक में उत्साह रूपी उजाला समाज की सामूहिक संकल्प शक्ति का उद्घोष है। दीपावली पर धन - धान्य की देवी लक्ष्मी का पूजन होता है। इसलिए उसे व्यवसायी वर्ग से जोड़ दिया गया जबकि सही मायनों में ये समूचे समाज को एक सूत्र में पिरोने का माध्यम है। माटी के छोटे से दिये से लेकर सोना - चांदी सहित विलासिता की अन्य चीजों को खरीदने की परंपरा अर्थव्यवस्था को गतिशील बनाए रखने की दूरगामी सोच का प्रमाण है। जब दुनिया को शॉपिंग फेस्टिवल का क , ख , ग तक नहीं आता था उसके पहले से दीपावली पर्व इतने बड़े देश में एक साथ बाजार को गुलजार करने का माध्यम बना। यह आने वाले समय में देश के आर्थिक नियोजन की दिशा तय करने का आधार माना जाता है। एक समय था जब वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की हिस्सेदारी तकरीबन 35 फीसदी थी। पश्चिम और मध्य  के साथ ही दक्षिण  एशिया तथा अफ्रीका तक भारत से विभिन्न वस्तुओं का निर्यात होता था। उसी से आकर्षित होकर विदेशी आक्रांता इसकी  तरफ आकर्षित हुए और उसके बाद गुलामी का लंबा दौर चला। ऐसा  नहीं था कि तब हमारी सीमाएं असुरक्षित थीं या सीमावर्ती इलाकों के शासक कमजोर थे । लेकिन सांस्कृतिक एकता के बावजूद राष्ट्रीय सोच के अभाव के परिणामस्वरूप एक के बाद एक आक्रमण हुए और अंततः विदेशी लुटेरे यहां के शासक बनने में कामयाब हो गए। 1947 में मिली आजादी भी खंडित ही थी। अंग्रेजों ने बड़ी ही कुटिलता से हमारी भौगोलिक सीमाओं को इस तरह  तय किया जिससे हमारे और पश्चिम एशिया के बीच दुश्मन देश खड़ा हो गया । इससे हमारा व्यापार तो प्रभावित हुआ ही किंतु उसे बड़ा नुकसान पश्चिमी  सीमाओं के  असुरक्षित हो जाने के रूप में देखने मिला। लेकिन धीरे - धीरे देश आगे बढ़ा और आज ये कहते हुए गर्व हो रहा है कि सपेरों और मदारियों के देश के रूप में प्रचारित किया जाने वाला भारत अब चंद्रमा की धरती पर अपना यान भेजने का सामर्थ्य अर्जित कर चुका है। विदेशों से सैन्य सामग्री खरीदने के साथ अब हम उसके निर्यात में भी अग्रणी हो रहे हैं। सूचना तकनीक के क्षेत्र में वह विश्व की बड़ी ताकत है। पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने के बाद हमारे कदम तीसरे क्रमांक पर पहुंचने की तरफ तेजी से बढ़ रहे हैं। पूरे विश्व में हमारे इंजीनियर, डाक्टर, व्यवसाय प्रबंधक और उद्योगपतियों की गौरवशाली उपस्थित देखी जा सकती है। मोबाइल फोन और ऑटोमोबाइल के क्षेत्र में  देश विश्व के विकसित देशों की कतार में  खड़ा हुआ है। कूटनीतिक जगत में भी हमारी साख और धाक में वृद्धि हुई है। वैश्विक मंचों पर भारत की बात को न केवल सुना अपितु माना भी जाता है। सबसे बड़ी बात ये है कि विश्व की महाशक्तियों का  पिछलग्गू बनने के बजाय देश अब वैश्विक मसलों पर अपनी स्वतंत्र राय रखने में सक्षम है। इस बारे में उल्लेखनीय यह है कि भारत अब एक शक्तिशाली और समृद्ध राष्ट्र के साथ ही विश्वसनीय देश के रूप में सम्मानित है। ये सब देखते हुए यह दीपावली देश के  बढ़ते आत्मविश्वास और गौरव की अनुभूति का अवसर है। जनवरी में अयोध्या में राम मंदिर का शुभारंभ होने वाला है जो सदियों बाद देश के सांस्कृतिक उत्थान का उद्घोष होगा। पूरे देश में इस समय सनातनी परंपराओं को लेकर जो उत्साह है वह इतिहास के करवट लेने का  संकेत है। अगले साल देश को अपनी सरकार चुनने का  अवसर मिलेगा। उस दृष्टि से ये दीपावली अनेक मामलों में विशिष्ट है।   हर नागरिक का यह कर्तव्य है कि वह देश की बेहतरी में अपना हरसंभव योगदान दे। ऐसा करते समय हमें माटी के उन छोटे - छोटे दीपकों से प्रेरणा प्राप्त करना चाहिए जो कतारबद्ध होकर अमावस्या के घने अंधकार को परास्त करने का पुरुषार्थ प्रदर्शित करते हैं।  स्वामी विवेकानंद और महर्षि अरविंद ने 21 वीं सदी के भारत की सदी बनने की जो भविष्यवाणी की थी वह सच होने के निकट है। हमारा सौभाग्य है कि हम उस गौरव के साक्षी बन सकेंगे।
दीपावली पर हार्दिक शुभकामनाएं।

- रवीन्द्र वाजपेयी 


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