Monday 27 November 2023

मुस्लिमों के लिए अलग आईटी पार्क का वायदा खतरनाक संकेत



मतदाताओं को रिझाने के लिए राजनीतिक दल तरह - तरह के प्रलोभन देते हैं। प्रतिमाह निश्चित राशि , मुफ्त और सस्ती बिजली , सरकारी नौकरियां , कृषि उत्पादों के खरीदी मूल्य में वृद्धि , वेतन - भत्ते बढ़ाना ,वृद्धावस्था और निराश्रित पेंशन , मुफ्त चिकित्सा और शिक्षा के अलावा दोपहिया वाहन तथा लैपटॉप आदि देकर चुनाव जीतने का फार्मूला लगभग सभी दलों ने अपना लिया है। इसे लेकर उनके बीच कड़ी प्रतिस्पर्धा है। उदाहरण के तौर पर म.प्र में कांग्रेस ने सत्ता में आने पर 500 रु. में रसोई गैस सिलेंडर देने का वायदा किया। उसके जवाब में प्रदेश की भाजपा सरकार ने चुनाव के पहले ही 450 रु. में सिलेंडर देना शुरू कर दिया । इसी तरह कांग्रेस ने नारी सम्मान योजना के अंतर्गत महिलाओं को 1500 रु. हर माह देने के लिए आवेदन भरवाए किंतु शिवराज सरकार ने चुनाव के छह महीने पहले ही लाड़ली बहना योजना का ऐलान कर 1000 रु. प्रतिमाह से शुरुआत कर उसे 1250 रु. प्रतिमाह करते हुए भविष्य में 3000 रु. करने का वायदा भी कर दिया। साथ ही पक्का मकान देने की घोषणा भी कर दी । इस प्रकार चुनाव जीतने के लिए राजनीतिक दलों द्वारा ऐसे वायदे किए जाने लगे हैं जैसे अपना उत्पाद बेचने के लिए कंपनियां और व्यवसायी किया करते हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 5 लाख तक मुफ्त इलाज की आयुष्मान भारत नामक योजना प्रारंभ की थी । राजस्थान की अशोक गहलोत सरकार ने उसे चिरंजीवी योजना नाम देकर उसकी राशि 25 लाख कर दी। लेकिन इन सबसे अलग हटकर तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.सी.राव ने एक चुनावी सभा में घोषणा कर दी कि यदि वे सत्ता में लोटे तो हैदराबाद में मुस्लिम युवकों के लिए अलग आईटी पार्क बनवाएंगे। उनकी इस घोषणा का भाजपा द्वारा विरोध करना तो समझ में आता है लेकिन आश्चर्य की बात है कि कांग्रेस ने भी श्री राव की उक्त घोषणा पर कड़ी आपत्ति जताई है। हालांकि वह भी तेलंगाना के अल्पसंखक कल्याण बजट में भारी वृद्धि का वायदा कर रही है। दरअसल मुख्यमंत्री की पार्टी बी.आर.एस को कांग्रेस से कड़ी चुनौती मिलने के संकेत मिले रहे हैं। उधर भाजपा भी हिन्दू मतदाताओं के मतों में बंटवारा करने की स्थिति में तो है ही। ऐसे में श्री राव को चिंता हो उठी कि हैदराबाद और उससे लगे क्षेत्रों के मुस्लिम मतों का बड़ा हिस्सा तो असदुद्दीन ओवैसी की पार्टी के उम्मीदवार ले जाएंगे । वहीं राज्य के बाकी हिस्सों के मुसलमानों को कांग्रेस भी अपने पाले में खींचने में जुटी हुई है। स्मरणीय है कर्नाटक में कांग्रेस की जीत में मुस्लिम मतदाताओं का बहुत बड़ा योगदान रहा जो भाजपा को रोकने के लिए उसके पक्ष में एकजुट हो गए। कांग्रेस ने तेलंगाना के मुसलमानों को भी अपनी तरफ झुकाने की रणनीति बनाई और इसीलिए श्री गांधी सहित अन्य कांग्रेस नेता श्री राव और ओवैसी को भाजपा की बी टीम कहकर मुसलमानों को उनसे दूर करने की रणनीति अपना रहे हैं। ऐसा लगता है मुख्यमंत्री मुस्लिम मतों को लेकर आशंकित हो उठे हैं और इसीलिए उन्होंने मुस्लिम युवाओं के लिए अलग आईटी पार्क बनाए जाने का वायदा कर डाला। इस पर कांग्रेस की तीखी प्रतिक्रिया से साफ हो गया कि उसे श्री राव के इस ऐलान में अपना नुकसान नजर आने लगा है। लेकिन राजनीति से ऊपर उठकर देखें तो श्री राव का उक्त ऐलान बेहद खतरनाक है क्योंकि धर्म के आधार पर इस तरह के संस्थान बनाए जाएंगे तो ये सिलसिला कहां जाकर रुकेगा ये सोचने वाली बात है। वैसे भी हैदराबाद वह रियासत है जिसने आजादी के बाद भारतीय संघ में शामिल होने से मना कर दिया था। वहां के मुस्लिम शासक निजाम के रजाकारों ( भाड़े के सैनिक )ने हजारों हिंदुओं की हत्या कर दी थी। बाद में सरदार पटेल ने पुलिस एक्शन नामक कार्रवाई करते हुए हैदराबाद रियासत का विलीनीकरण भारत में करवाया। ओवैसी जैसे नेता आज भी पुरानी निजामशाही की यादें मुसलमानों के मन में ताजा बनाए रखना चाहते हैं किंतु श्री राव जैसे अनुभवी राजनेता महज चुनाव जीतने के लिए मुसलमानों के लिए अलग आईटी पार्क जैसे संस्थान खोलने का वायदा कर उनमें अलगाव का भाव उत्पन्न करने का अपराध कर रहे हैं। सरकार किसी विशेष धर्म के अनुयायियों के लिए संस्थान खोले ये देश की एकता के लिए बड़ा खतरा बने बिना नहीं रहेगा। ऐसा लगता है इतिहास की गलतियों से सबक लेने के प्रति हमारे राजनेता बेहद उदासीन हैं। 

- रवीन्द्र वाजपेयी 

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