Tuesday 30 January 2024

सूर्योदय योजना : सौर ऊर्जा क्रांति की दिशा में बड़ा कदम


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की इस बात के लिए प्रशंसा करनी होगी कि वे हर समय किसी न किसी योजना या कार्यक्रम के बारे में न सिर्फ सोचते अपितु उसे कार्य रूप में परिणित भी करते हैं। राम मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा से लौटकर उन्होंने प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना के अंतर्गत एक करोड़ घरों की छत पर सोलर पैनल (सौर ऊर्जा विद्युत संयंत्र ) लगाए जाने की घोषणा कर दी। इसके जरिए गरीब और मध्यम वर्गीय लोगों के बिजली बिलों में कमी आने के साथ ही देश बिजली के मामले में आत्मनिर्भरता हासिल करने की दिशा में आगे बढ़ेगा। हालांकि देश के अधिकतर हिस्से विद्युत संकट से उबर चुके हैं किंतु सच्चाई ये है कि सरकार नियंत्रित विद्युत मंडलों को भले ही कंपनी में बदल दिया गया हो किंतु उनके द्वारा उत्पादित बिजली बेहद महंगी है। निजी क्षेत्र से सस्ती बिजली खरीदकर घरेलू और व्यवसायिक उपभोक्ताओं को कई गुना ज्यादा दरों पर बिजली बेची जाती है। दूसरी तरफ वोटों की सौदागरी के फेर में मुफ्त और सस्ती बिजली का चलन विद्युत मंडलों की कमर तोड़े डाल रहा है। कुल मिलाकर वोट बैंक की राजनीति ने बिजली उत्पादन से जुड़ी सरकारी व्यवस्था को मुनाफाखोर बना दिया। सरकारी संस्थान वैसे भी सफेद हाथी बन चुके हैं। ये बात भी बिलकुल सही है कि बिजली की खपत भी निरंतर बढ़ती जा रही है। पर्यावरण संरक्षण के लिए किए जा रहे वैश्विक प्रयासों के अंतर्गत कोयले से बिजली बनाने वाले संयंत्र बंद होने से बिजली उत्पादन के वैकल्पिक स्रोतों की तलाश की गई है जिनमें पवन ऊर्जा , परमाणु ऊर्जा और सौर ऊर्जा शामिल हैं। लेकिन इनमें सबसे सस्ती सूर्य किरणों से बनाई जाने      वाली ऊर्जा ही है। दुनिया के तमाम ऐसे देशों ने भी जिनमें धूप काफी कम होती है ,  सौर ऊर्जा उत्पादन में काफी प्रगति कर ली। हमारा पड़ोसी और विकास की दौड़ में प्रमुख प्रतिद्वंदी चीन तो सौर ऊर्जा उत्पादन में बहुत आगे निकल चुका है। हालांकि भारत इस दिशा में तेजी से आगे बढ़ तो रहा है किंतु देश में सौर ऊर्जा संबंधी उपकरणों का उत्पादन काफी देर से शुरू होने की वजह से आयातित सोलर पैनल काफी महंगे पड़ते हैं। सरकार  इस पर सब्सिडी देती है किंतु अभी भी इसे लगाने पर जो खर्च आता है वह काम आय वालों के बस के बाहर है। इसके अलावा जो उपभोक्ता अपनी छतों पर सोलर पैनल लगवाना चाहते हैं उनको बिजली विभाग की नौकरशाही खून के आंसू रुलाती है। इविचारणीय बात ये है कि भारत का मौसम जिस प्रकार का है उसके कारण देश के अधिकांश हिस्सों में मानसून और सर्दियों का कुछ समय छोड़कर सूर्य का पर्याप्त प्रकाश उपलब्ध रहता है। ऐसे में यदि घरों की छतों पर सोलर पैनल लगाने का  अभियान युद्ध स्तर पर शुरू करते हुए उन पर सब्सिडी और बढ़ाई जाए तो आने वाले पांच सालों के भीतर भारत सौर ऊर्जा के जरिए सस्ती बिजली का उत्पादन करने में सक्षम होगा। इससे उपभोक्ताओं को तो लाभ होगा ही साथ में उनके उपभोग से बची बिजली सरकारी विद्युत मंडल के काम आयेगी। प्रधानमंत्री ने जिस तरह शौचालय , स्वच्छता , और अटल जल योजना , रसोई गैस और आवास जैसी मूलभूत जरूरतों को राष्ट्रीय कार्यक्रम बना दिया वैसे ही यदि सूर्योदय योजना को राष्ट्रीय अभियान बनाया जाए तो देश में सौर  ऊर्जा क्रांति हो सकती है। बीते एक दशक में शासकीय कार्यालयों के अलावा बड़े औद्योगिक एवं व्यावसायिक संस्थानों  के साथ ही अनेक किसानों द्वारा  सोलर पैनल लगवाए गए हैं। जिन घरेलू उपभोक्ताओं ने सौर ऊर्जा के लिए अपने घरों की छतों का इस्तेमाल किया उनका अनुभव भी बेहद सुखद है। लेकिन अभी भी इस दिशा में बहुत कुछ होना बाकी है। प्रधानमंत्री चूंकि नवाचार में काफ़ी रुचि लेते हैं इसलिए  उम्मीद की जा  सकती है  कि सौर ऊर्जा उत्पादन उनकी प्रमुख कार्ययोजना में शामिल होकर रिकॉर्ड तेजी से आगे बढ़ेगा । लेकिन केवल सब्सिडी देने मात्र से यह लक्ष्य पूरा नहीं होने वाला। जिस तरह नए बन रहे भवनों में वर्षा जल संग्रहण (वाटर हार्वेस्टिंग) की व्यवस्था अनिवार्य की गई वही नियम सोलर पैनल के लिए भी बनना चाहिए। स्थानीय निकायों को स्ट्रीट लाइट के लिए भी सौर ऊर्जा का उपयोग बढ़ाने में मदद दी जावे। ग्रामीण क्षेत्रों भी खुला क्षेत्र काफी है। यदि पंचायत स्तर पर सौर ऊर्जा उत्पादन के लक्ष्य निर्धारित कर स्वच्छता अभियान जैसी प्रतियोगिता रखी जावे तो ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर ग्रामों की कल्पना साकार हो सकती है। गरीबों की बस्तियों में भी सामुदायिक सौर ऊर्जा उत्पादन के जरिए मुफ्त और सस्ती बिजली से होने वाले घाटे को कम किया जा सकता है। कुल मिलाकर ये विश्वास करना गलत नहीं होगा  कि प्रधानमंत्री सूर्योदय योजना देश में सौर ऊर्जा क्रांति का सूत्रपात कर सकती है। 

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 रवीन्द्र वाजपेयी

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