Thursday 29 February 2024

उच्च न्यायालय सख्त न होता तो शाहजहां की गिरफ्तारी नहीं होती



प.बंगाल के 24 परगना जिले का संदेशखाली नामक कस्बा बीते काफी समय से चर्चा में है। जनवरी माह में शाहजहां शेख नामक एक व्यक्ति के यहां ईडी का दल जब छापा मारने गया तो सत्ताधारी तृणमूल कांग्रेस के उक्त  नेता के गुर्गों ने उस पर हमला कर दिया जिसमें ईडी के अनेक लोग घायल हो गए। उसी बीच शाहजहां भाग निकला। उस घटना के बाद संदेशखाली में उसके अत्याचारों का खुलासा होने लगा। वह और उसके गैंग के लोग महिलाओं के यौन शोषण और जमीनों पर कब्जा करने जैसा काम लंबे समय से करते आ रहे थे ।  उनके आतंक का  कोई विरोध इसलिए नहीं करता था क्योंकि  पुलिस द्वारा उनकी शिकायतें अनसुनी कर दी जाती थीं और पता लगने पर शाहजहां के लोग उन्हें और प्रताड़ित करते। महिलाओं को घर से उठा ले जाना और बलात्कार करने के बाद छोड़ देना वहां  आम हो चला था। नव विवाहिता तक के साथ इस तरह की अमानवीयता की जाती रही । जाहिर है शाहजहां और उसकी गैंग को सत्ता का संरक्षण था । ईडी के छापे के बाद शाहजहां के फरार होने और उसके खास साथियों के  भूमिगत हो जाने के बाद संदेशखाली में जो जनजागृति आई उसने पूरे देश को चौंका दिया। महिलाओं ने सड़कों पर आकर अपने साथ हुए अत्याचार का  वृतांत उजागर किया।  विपक्षी दलों के प्रतिनिधिमंडल , महिला और मानव अधिकार आयोग जैसी  संस्थाओं सहित समाचार माध्यमों के  प्रतिनिधियों ने भी संदेशखाली पहुंचकर वहां के हालात को देश और दुनिया की जानकारी में लाने का कार्य किया। होना तो ये चाहिए था कि मुख्यमंत्री ममता बैनर्जी  पीड़ित महिलाओं के जख्मों पर मरहम लगातीं और तृणमूल से जुड़े नरपिशाचों को गिरफ्तार करवाने की कार्रवाई करतीं। लेकिन इसके उलट उन्होंने विपक्षी दलों पर अशांति फैलाने का आरोप मढ़ दिया। सबसे  चौंकाने वाली बात रही शाहजहां को गिरफ्तार न किया जाना। बीच - बीच में खबर उड़ी कि वह बांग्ला देश भाग गया किंतु संदेशखाली में ही रह रहे उसके भाई दावा करते रहे कि वह प.बंगाल में ही था। कुछ दिन पहले कोलकाता उच्च न्यायालय ने ममता सरकार को लताड़ते हुए एक सप्ताह के भीतर शाहजहां को गिरफ्तार कर पेश करने का हुक्म दिया। उसके बाद सरकार हरकत में आई और आज सुबह उसे 24 परगना के ही किसी इलाके में गिरफ्तार कर लिया गया। अब जबकि शाहजहां पकड़ा जा चुका है तब ये प्रश्न स्वाभाविक तौर पर उठ खड़ा हुआ है कि उच्च न्यायालय द्वारा  डांट पिलाए जाने के बाद गिरफ्तारी इतनी आसानी से कैसे हो गई ? ये बात इसलिए उठ खड़ी हुई क्योंकि शाहजहां अपने ही जिले में पकड़ा गया। ये भी शंका है कि वह किसी अन्य जगह पर रहा हो और गिरफ्तार करने के लिए 24 परगना बुलवा लिया गया। भाजपा इस मामले को पूरे जोरशोर से उठाती आई है। वहीं कांग्रेस ने राष्ट्रीय स्तर पर तो ममता सरकार पर हमला बोलने से परहेज किया किंतु उसकी प.बंगाल इकाई जरूर इस मुद्दे पर तृणमूल को घेरती रही।  उच्च न्यायालय द्वारा  दी गई  मोहलत के पहले ही पुलिस द्वारा शाहजहां को पकड़ लेने से ये स्पष्ट हो गया कि उसके ठिकाने के बारे में  शासन - प्रशासन को सब कुछ पता था। ममता सरकार पर मुस्लिम तुष्टीकरण के जो आरोप लगते रहे , संदेशखाली ने उनकी पुष्टि कर दी है। शाहजहां और उसके गुर्गों के अत्याचार के जो किस्से वहां की महिलाओं द्वारा बताए जा रहे हैं वे दिल दहला देने वाले हैं । सबसे शर्मनाक ये है कि महिलाओं के साथ सामूहिक दुराचार तृणमूल के कार्यालय तक में होता रहा। अब जबकि शाहजहां और उसके साथ के लोग पकड़े जा चुके हैं तब सुश्री बैनर्जी को चाहिए उन्हें पार्टी से  बाहर करने के साथ ही संदेशखाली की पीड़ित महिलाओं और उनके परिवार को सुरक्षा और न्याय दिलवाने की पुख्ता व्यवस्था करें।  शाहजहां को राज्य सरकार का कितना  संरक्षण था ये उसके 55 दिन तक फरार रहने से स्पष्ट हो गया। उच्च न्यायालय यदि सख्ती न दिखाता तो वह अभी भी गिरफ्तार नहीं होता। 


- रवीन्द्र वाजपेयी


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