Monday 11 December 2023

जहां हुए बलिदान मुखर्जी.....



सर्वोच्च न्यायालय द्वारा धारा 370 हटाए जाने को संविधान सम्मत ठहराए जाने से एक देश दो विधान जैसी विसंगति एक अंतिम संस्कार हो गया। ये राष्ट्रवाद की पोषक ताकतों की बड़ी जीत  तथा कश्मीर की आजादी के नाम पर देश को तोड़ने का षडयंत्र रचने वाली टुकड़े - टुकड़े गैंग की जोरदार पराजय है।

आखिरकार 70 साल बाद डा.मुखर्जी का बलिदान सार्थक हुआ :-

डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी जम्मू-कश्मीर को भारत का पूर्ण और अभिन्न अंग बनाना चाहते थे। संसद में अपने भाषण में उन्होंनें धारा-370 को समाप्त करने की भी जोरदार वकालत की। अगस्त 1952 में जम्मू कश्मीर की विशाल रैली में उन्होंने अपना संकल्प व्यक्त किया था कि ''या तो मैं आपको भारतीय संविधान प्राप्त कराऊंगा या फिर इस उद्देश्य की पूर्ति के लिये अपना जीवन बलिदान कर दूंगा''। डॉ. मुखर्जी अपने संकल्प को पूरा करने के लिये 1953 में बिना परमिट लिये जम्मू-कश्मीर की यात्रा पर निकल पड़े। वहां पहुंचते ही उन्हें गिरफ्तार कर लिया गया। 23 जून 1953 को जेल में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। जेल में उनकी मृत्यु ने देश को हिलाकर रख दिया और परमिट सिस्टम समाप्त हो गया। उन्होंने कश्मीर को लेकर एक नारा दिया था,“नहीं चलेगा एक देश में दो विधान, दो प्रधान और दो निशान”

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