Monday 30 October 2023

केरल में विस्फोट आने वाले बड़े खतरे का संकेत



केरल के एर्नाकुलम जिले  में गत दिवस ईसाई समुदाय की एक प्रार्थना सभा में हुए विस्फोटों में  अब तक 3 मौतें हुई और दर्जनों लोग घायल हो गए। जिस सभागार में धमाका हुआ उसमें निकलने के अनेक दरवाजे थे वरना धुएं से दम घुटने के कारण और भी जानें जा सकती थीं। जिस व्यक्ति ने विस्फोट की जिम्मेदारी लेते हुए आत्मसमर्पण कर दिया , उसकी बातों की पुष्टि नहीं हो पाई है। जांच एजेंसियां सक्रिय हो गई हैं। चर्चों सहित अन्य धार्मिक स्थलों की सुरक्षा कड़ी किए जाने के साथ ही ये पता लगाने की कोशिश की जा रही है कि इन धमाकों का संबंध कहीं इजराइल और हमास के बीच चला आ रहा युद्ध तो नहीं है। वैसे ईसाई समुदाय के भीतर ही एक उग्रवादी संगठन पैदा हो गया है जो काफ़ी आक्रामक है। जांच एजेंसियों को ये चिंता भी है कि कहीं ये  हमास समर्थक मुस्लिम संगठनों की कारस्तानी तो नहीं है ? उल्लेखनीय है केरल में मुस्लिम जनसंख्या भी काफी है और यह मुस्लिम लीग का एक मात्र प्रभावक्षेत्र बचा है।  ईसाई समुदाय आम तौर पर इजराइल समर्थक माना जाता है । उधर  देश भर में जिस प्रकार  से हमास की तरफदारी करने मुस्लिम समुदाय मुखर हुआ उसके कारण दोनों के बीच शत्रुता बढ़ने की आशंका बलवती हो गई है। संयोग से केरल में ईसाई और मुस्लिम दोनों समुदायों का काफी असर है। लेकिन जिस  व्यक्ति ने विस्फोट की जिम्मेदारी ली वह खुद को ईसाई समुदाय के भीतर यहोवा के साक्षी , नामक समूह का विरोधी बताता है जिसके केरल में काफी  अनुयायी हैं। यह समूह ईसाई होते हुए भी उनसे कई मामलों में अलग रास्ते पर चलता है। विस्फोट की जिमेदारी लेने वाले व्यक्ति ने इसको राष्ट्रविरोधी बताया है। इसी के साथ सुरक्षा एजेंसियां भारत में रहने वाले यहूदियों की सुरक्षा को लेकर भी सतर्क हैं । दरअसल जिस तरह से इजराइल पर हमास के हमले को न्यायोचित ठहराने का अभियान देश भर चलाया जा रहा है उसको देखते हुए यहूदियों पर  हमले की आशंका बनी हुई है। लेकिन अपेक्षाकृत शांत समझे जाने वाले ईसाई समुदाय के भीतर उभर रहे अंतर्विरोध भी हिंसात्मक रूप लेने लगे तो फिर उसे सस्ते में नहीं लिया जा सकता। चिंता का विषय ये भी है कि केरल जैसे राज्य के  लाखों लोग खाड़ी देशों में कार्यरत हैं जिनमें ईसाई और मुस्लिम भी बड़ी संख्या में  हैं। इनके जरिए विदेशों में बैठी भारत विरोधी ताकतें देश की आंतरिक सुरक्षा को खतरे में डालने का षडयंत्र रचें तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए। लेकिन  सबसे महत्वपूर्ण बात ये है कि केरल ईसाई मिशनरियों के साथ ही मुस्लिम संगठनों का मजबूत गढ़ बन चुका है जिनको विदेशी आर्थिक सहायता मिलने की बात भी सर्वविदित है। इस राज्य में वामपंथी विचारधारा लंबे समय से हावी रही है। दुनिया की पहली निर्वाचित साम्यवादी सरकार केरल में ही अस्तित्व में आई थी। हालांकि कांग्रेस के नेतृत्व  वाला मोर्चा भी सत्ता में आता - जाता रहा किंतु उसका  मुस्लिम लीग के साथ गठबंधन होने से वह हिंदूवादी शक्तियों को दबाता रहा है। हालांकि बीते कुछ दशकों से इस राज्य में रा.स्व.संघ का प्रभाव क्षेत्र गांव - गांव तक फैलने से राजनीति त्रिकोणीय होने लगी है । केरल की मौजूदा वामपंथी सरकार को अब तक की सबसे क्रूर माना जा रहा है। राजनीतिक विरोधियों की इतनी हत्याएं पहले यहां पहले  कभी नहीं हुईं । हालांकि वामपंथी खुद को अनीश्वरवादी मानते हैं लेकिन राष्ट्रवादी हिंदू संगठनों को रोकने के लिए वे  भी कांग्रेस की तरह मुस्लिमों और ईसाइयों का तुष्टीकरण करने से बाज नहीं आते । ये देखते हुए गत दिवस एर्नाकुलम में जो विस्फोट हुए वे किसी बड़ी कार्ययोजना का हिस्सा लगते हैं। भले ही इसके पीछे ईसाई समुदाय के भीतर का वैचारिक मतभेद हो लेकिन कहीं न कहीं विदेशी हाथ से इंकार नहीं किया जा सकता। दुर्भाग्य से राष्ट्रीय पार्टी होने के बाद भी कांग्रेस केरल में मुस्लिम लीग और ईसाई मिशनरियों को खुश रखने में लगी रहती है। 2019 में जब राहुल गांधी को अमेठी में अपनी हार का खतरा दिखा तब वे केरल की वायनाड सीट से भी लड़े। यद्यपि वे कहीं से भी लड़कर अपना जनाधार साबित कर सकते थे किंतु उन्होंने वायनाड का चयन किया क्योंकि वहां ईसाई मतदाताओं का वर्चस्व है। आगामी लोकसभा चुनाव के लिए बने विपक्षी गठबंधन में यूं तो वामपंथी दल भी है किंतु प.बंगाल में कांग्रेस के साथ उनके गठजोड़ के बावजूद केरल में वे दूरी बनाकर चलते हैं । हालांकि बीते कुछ चुनावों से वहां हिदुवादी राजनीति जोर पकड़ने लगी है किंतु अभी वह राजनीतिक संतुलन बनाने - बिगाड़ने की स्थिति में नहीं है। यही वजह है कि ईसाई मिशनरियों के अलावा मुस्लिम धर्मांधता केरल में हावी है। गत दिवस हुए विस्फोट की असली वजह साफ नहीं हुई है। लेकिन जो और जैसे भी हुआ वह किसी भावी खतरे का संकेत है । केंद्रीय जांच एजेंसियों को इसकी तह तक जाना चाहिए क्योंकि केरल देश का तटीय राज्य है जहां गैर हिन्दू संगठनों के विदेशों से रिश्ते किसी से छिपे नहीं हैं।


- रवीन्द्र वाजपेयी 

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