Thursday 20 May 2021

तीसरी लहर आने के पहले ही चिकित्सा तंत्र को और मजबूत करना होगा





अदालतें पूछ रही हैं कि कोरोना की आशंकित तीसरी लहर को लेकर सरकार की क्या तैयारी है ? दूसरी तरफ चिकित्सा जगत के साथ ही वैज्ञानिक भी इस बात पर जोर दे रहे हैं कि टीकाकरण का काम युद्धस्तर पर किया जाना चाहिए अन्यथा तीसरी लहर को रोकना मुश्किल होगा । कहा जा रहा है कि कोरोना वायरस लगातार अपना रूप बदल रहा है । जिसकी वजह से संक्रमण के लक्षण भी बदल रहे हैं। कोरोना की मौजूदा लहर वापिस जाने के आसार बनने के पहले ही ब्लैक फंगस नामक मुसीबत आ गई। चिकित्सकों  को शिक्षा के दौरान इसके बारे में यही पढ़ाया जाता रहा कि यह बहुत ही विरली बीमारी है । इस कारण इसकी सम्भावनाओं पर कभी ध्यान भी नहीं गया। लेकिन अब जितना पता चलता जा रहा है उसके मुताबिक तो ये बीमारी बहुत ही घातक है जो मरीज को अंधा करने के साथ ही मौत के मुंह में भी धकेल सकती है। इसके इलाज के लिए प्रयुक्त इंजेक्शन भी बहुत महंगे हैं और उनकी मांग अचानक बढ़ने से रेमिडिसिविर की तरह कालाबाजारी भी शुरू हो चुकी है। आज खबर आ गई की ब्लैक के बाद अब व्हाइट फंगस नामक नया संक्रमण आ गया जिसके इलाज के बारे में अब तक कोई विशेष जानकारी भी नहीं आ सकी। बहरहाल दूसरी लहर का सामना करते समय चिकित्सा व्यवस्था की जो खामियां और कमजोरियां सामने आईं , विशेष रूप से ऑक्सीजन और बिस्तरों की उपलब्धता संबंधी उन्हें काफी हद तक तो दूर कर लिया गया है जिससे कोरोना के अगले हमले के समय हम असहाय न खड़े रह सकें। लेकिन अभी भी गांवों में रहने वाली देश की 60 फीसदी जनता को त्वरित और पर्याप्त इलाज उपलब्ध कराने की क्षमता पैदा नहीं की जा सकी। तहसील और जिला स्तर पर भी इस तरह की महामारी से निबटने में हमारा चिकित्सा तंत्र बहुत ही  मामूली किस्म का है। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए कंसंट्रेटर नामक उपकरण बड़ी संख्या में आ तो रहे है लेकिन उनकी क्षमता बहुत ज्यादा न होने से गम्भीर मरीजों के लिए वे उपयोगी नहीं रहते। इसके अलावा ग्रामीण इलाकों में चिकित्सकों का अभाव भी यथावत रहेगा। यही वजह है कि छोटी-छोटी बीमारी के लिए भी मरीज को बड़े शहर लाना पड़ता है । गत दिवस मप्र उच्च न्यायालय ने राज्य सरकार से पूछा कि  शासकीय जिला अस्पतालों में सीटी मशीन क्यों नहीं लगीं। कोरोना   की दूसरी लहर ने ये स्पष्ट कर दिया कि निजी क्षेत्र में चल रहे छोटे या बड़े अस्पतालों में अपवाद स्वरूप ही ऐसे निकले  जिनमें मानवीय सम्वेदनाएँ परिलक्षित हुईं। मुट्ठी भर चिकित्सक ही इस दौर में अपने कर्तव्य के प्रति ईमानदार नजर आये। बचे हुए अधिकतर ने तो पैसे कमाने का नहीं वरन लूटने का जो घिनौना प्रयास किया उससे इस पवित्र पेशे की प्रतिष्ठा चकनाचूर होकर रह गई। ये देखने के बाद  भविष्य की किसी भी चुनौती का सामना करने लिए  शासकीय चिकित्सा तंत्र को अपनी क्षमता बढ़ानी होगी। चिकित्सकों के साथ नर्सिंग स्टाफ को तहसील और ग्रामों में ले जाना बड़ी समस्या है। बेहतर होगा नए निजी चिकित्सालयों को बड़े शहरों की बजाय छोटे जिलों में खोलने की ही अनुमति मिले तथा उपकरणों की खरीदी सहित आय पर लगने वाला कर भी कम किया जावे। ऐसा होने से ग्रामीण और कस्बाई आबादी को समुचित चिकित्सा  मिल सकेगी तथा शहरी अस्पतालों पर भार कम होगा। इसके अलावा जनता को बड़ा अभियान चलाकर कोरोना की तीसरी लहर से बचाव के प्रति जागरूक रहते हुए न्यूनतम सावधानियां बरतने के प्रति आगाह करते हुए सख्ती भी करनी जरूरी है।क्योंकि पहली लहर के समाप्त होने के पहले ही सरकार और जनता दोनों ने ये मान लिया  था कि कोरोना अपनी मौत मर गया । उसके बाद उसे लेकर किसी भी तरह की सावधानी नहीं रखी गई। ग्रामीण क्षेत्रों में तो उसे शहरी रईसों की बीमारी बताकर उपहास किया जाता रहा।जिसका दुष्परिणाम सामने है।अब चूंकि ग्रामीण भारत भी इस जानलेवा बीमारी का प्रकोप झेल चुका है इसलिए  ये मानकर चला जा सकता है कि वहां रहने वाले भविष्य में आने वाली मुसीबत के प्रति जिम्मेदार नजर आएंगे। गलतियों से सीखने की प्रवृत्ति से मुंह न मोड़ा जाए तो कोरोना के दूसरे हमले ने हमें बहुत कुछ सोचने , सीखने और करने के मौके दिए हैं । लेकिन केवल सरकार अकेले कुछ न कर पाएगी । गत वर्ष लॉक डाउन का जमकर विरोध करने वाले इस साल मांग करते देखे गए कि उसे जल्द लगाया जाए। ये बात भी साबित हो चुकी है कि कोरोना का संक्रमण कम होने और ठीक होने वालों की संख्या में वृद्धि लॉक डाउन के बाद से देखने मिली। जहां तक बात टीकाकरण की है तो इसके लिए  सरकार को ठोस काम करने की जरूरत है।वैक्सीन की उप्लब्धता के  साथ ही उसका सही वितरण सर्वोच्च प्राथमिकता है। आयातित वैक्सीन से समस्या काफी हद तक हल हो सकती है । यद्यपि देश में उसका उत्पादन बढाना कालान्तर में लाभकारी रहेगा ।कुल मिलाकर तीसरी लहर के आने के पहले सरकार और जनता दोनों अपने स्तर पर मुस्तैदी और जिम्मेदारी का परिचय दें तो दूसरी लहर जैसी त्रासदी से बचा जा सकता है। 

-रवीन्द्र वाजपेयी


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