Saturday 22 May 2021

आंकड़ों से भ्रमित न होकर आने वाली आफत के बारे में सतर्क रहें



 कोरोना की दूसरी लहर ढलान पर आ रही प्रतीत होने लगी है | दैनिक आंकड़ों में नए संक्रमितों से ज्यादा मरीजों के स्वस्थ होने का आंकड़ा राहत भरा है | आज जो जानकारी आई उसके अनुसार ये अंतर एक लाख से भी ज्यादा का है | इससे उस अनुमान की पुष्टि भी होती है जिसके अनुसार 15 मई को दूसरी लहर का चरम आना था | बीते एक सप्ताह से नए संक्रमण के आंकड़ों में  गिरावट पर बहुत  लोग इस आधार पर संदेह भी जता रहे हैं कि सरकार अपनी विफलता छिपाने और चौतरफा हो रही आलोचना से बचने के लिए आंकड़ों की बाजीगरी कर रही है |  लेकिन इसी के साथ ये तथ्य भी संज्ञान योग्य है कि अस्पतालों में खाली बिस्तरों की संख्या बढ़ने के अलावा ऑक्सीजन को लेकर जो मारामारी मची थी वह भी नहीं दिखाई दे रही | वैसे  भी इस तरह की संक्रामक बीमारी या यूँ कहें  कि महामारी का प्रकोप  एक सीमा के बाद कम होता जाता है | इसका कारण ज्यादातार लोगों में संक्रमण होने से बाकी लोगों में भी उस बीमारी के प्रति रोग  प्रतिरोधक क्षमता बढ़ जाती है | देश में प्रतिदिन लाखों लोगों को कोरोना का टीका लगने से भी संक्रमण को नियंत्रित्त करने  में मदद मिली है | लेकिन सबसे ज्यादा लाभ हुआ कोरोना कर्फ्यू अथवा लॉक डाउन से , जिसने कोरोना की श्रृंखला को तोड़ने में महत्वपूर्ण भूमिका का निर्वहन किया | स्मरणीय है गत वर्ष जब प्रधानमन्त्री ने पूरे देश में लॉक डाउन लागू किया था तब राहुल गाँधी सहित अनेक विपक्षी नेताओं ने  उसे जल्दबाजी में उठाया कदम बताते हुए तीखी आलोचना की थी | लेकिन इस वर्ष केंद्र  ने लॉक डाउन संबंधी फैसला राज्यों पर छोड़ दिया | जिन राज्यों ने सही समय पर इसे लागू किया वे कोरोना की दूसरी लहर के प्रकोप से काफ़ी हद तक सुरक्षित रहे   | इस बार कोरोना ने ग्रामीण भारत को भी अपनी चपेट में ले लिया | वहां जो स्वास्थ्य सेवाएँ हैं भी वे दुर्भाग्य से बीमार हैं | यहाँ तक कि  कस्बों , तहसील और छोटे जिलों तक में ऐसी चिकित्सा सुविधा नहीं है जो किसी महामारी के समय लोगों को समुचित इलाज दे सके | ये देखते हुए दूसरी लहर की वापिसी को लेकर आश्वस्त होने की बजाय कहीं ज्यादा सतर्क रहने की जरूरत है | ये भी गौर तलब है कि गत वर्ष जून के पहले सप्ताह से ज्योंही लॉक डाउन में ढील दी गई त्योंही संक्रमण तेजी से बढ़ा था | इसी तरह दीपावली के बाद से जब ये लगने लगा कि कोरोना वापिस चला तब पूरा देश  बेफिक्र हो गया और मास्क जैसी प्राथमिक सावधानी के प्रति भी अव्वल दर्जे का उपेक्षा भाव दिखाए जाने की प्रवृत्ति खुलकर सामने आने लगी | कुछ गिने चुने जो लोग कोरोना से बचाव करते  दिखते उनका उपहास भी देखने मिलता था | ग्रामीण क्षेत्रों में तो ज्यादातर लोग इस अति आत्मविश्वास में जी रहे थे कि ये बीमारी शहरी लोगों तक सीमित है और  गाँवों में रहने वालों की रोग प्रतिरोधक क्षमता चूँकि ज्यादा है इसलिए वे इसके प्रकोप बचे रहेंगे | संयोग से पहली लहर में कोरोना ने ग्रामीण इलाकों तक पैर नहीं पसारे किन्तु इस बार जब वह लौटा तब उसकी गति और संक्रामक क्षमता पूर्वापेक्षा कहीं अधिक होने से क्या गाँव और क्या शहर सभी जगह उसका हमला  एक जैसा हुआ और यही वजह रही कि पिछले साल हुए अनुभवों के बावजूद चिकित्सा व्यवस्थाएं दम तोड़ बैठीं | ये सब देखते हुए  तीसरी लहर की आशंका देखते हुए पूरी तरह सावधानी बरतने की जरूरत है |  ये खुशफहमी भी मन से  निकालनी होगी कि जिनको कोरोना हो चुका है या जिन्होंने दोनों टीके लगवा लिये हैं वे पूरी तरह से सुरक्षित हैं | पूरे देश को कोरोना से बचने के तौर - तरीके बताने वाले प्रख्यात चिकित्सक डा. के.के अग्रवाल दोनों टीके लगवाने के बावजूद कोरोना की चपेट में आकर चल बसे | इस तरह के अनेक उदाहरण हैं | इसलिए सरकार द्वारा प्रसारित किये जाने वाले आंकड़ों से खुश या निराश होने की बजाय खुद को कोरोना अनुशासन में ढालने के साथ ही अपने सम्पर्क में आने वाले प्रत्येक व्यक्ति को भी ऐसा करने के लिए प्रेरित करना हर जिम्मेदार नागरिक का फर्ज़ है | देखने वाली बात ये भी है कि  दूसरी लहर ने बड़ी संख्या में युवाओं को मौत के मुंह में भेज दिया | और अब जैसी कि आशंका व्यक्त की जा रही है तीसरी लहर बच्चों को निशाना बना सकती है | इसलिए आग लगने के बाद कुआ खोदने की सोचने की बजाय सावधानी को अपनी जीवन शैली का अनिवार्य हिस्सा  बना लेना ही बुद्धिमत्ता है | जहां तक बात टीकाकरण की है तो भारत की विशाल जनसंख्या को देखते हुए 50 फीसदी आबादी को टीका लगने में कई महीने लगेंगे और तब तक तीसरी लहर आ जाए तो अचरज नहीं होगा | ऐसे में बेहतर है हम सीमा पर तैनात फौजी जवान की तरह हर समय कोरोना रूपी शत्रु के प्रति  चौकस रहें | भले ही दूसरी लहर के दौरान देश में कोविड सेंटर और ऑक्सीजन सुविधा वाले बिस्तरों की संख्या में अच्छी खासी वृद्धि हुई हो लेकिन बीमारी से बचाव करना ही बुद्धिमता होती है और ये समय उसी की अपेक्षा करता है जिसे पूरा  करना हम सभी का कर्तव्य है | 

-रवीन्द्र वाजपेयी

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