मप्र के पूर्व मुख्यमंत्री कमलनाथ देश के अनुभवी राजनेताओं में गिने जाते हैं | केन्द्रीय मंत्री के साथ ही कांग्रेस के महासचिव भी रहे हैं | वर्तमान में प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष हैं | गत वर्ष ज्योतिरादित्य सिंधिया के भाजपा में चले जाने के बाद श्री नाथ प्रदेश कांग्रेस की राजनीति में चुनौती विहीन हो गये हैं | उनके समकक्ष कहे जा रहे पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह अब केवल बयानों तक सीमित रह गये हैं और तेजी से उनका आभामंडल सिमटकर श्री नाथ के इर्द - गिर्द नजर आने लगा है | चूँकि श्री नाथ की ताजपोशी में श्री सिंह की ही मुख्य भूमिका थी इसलिए वे उनका विरोध करने की स्थिति में भी नहीं रह गये हैं | इन सब कारणों से श्री नाथ प्रदेश में कांग्रेस के एकमात्र चेहरे हैं | संगठन पूरी तरह उनकी मुट्ठी में है | उन्हें प्रदेश अध्यक्ष पद से हटाने की कोशिशें अब तक नाकाम ही रही | हाल ही में संपन्न दमोह विधानसभा सीट के उपचुनाव में कांग्रेस की बड़े अंतर से जीत ने उनका कद पार्टी हाईकमान की निगाह में और बढ़ा दिया है | शिवराज सरकार के विरुद्ध वे काफी मुखर भी हैं और उसे घेरने का कोई मौका नहीं छोड़ते | कोरोना ने उन्हें इस बारे में अनेक अवसर प्रदान किये | विपक्षी दल के नेता के तौर पर उनकी मैदानी सक्रियता भी संतोषजनक है जिसका लाभ कांग्रेस पार्टी को मिल सकता है | लेकिन गत दिवस उन्होंने एक बयान में मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान को ये कहकर धमकाया कि उनके पास हनीट्रैप कांड की मूल पेन ड्राइव है | उल्लेखनीय है हनीट्रैप काण्ड ने कुछ साल पहले प्रदेश के राजनीति के साथ ही प्रशासनिक अमले में हडकंप मचा दिया था | कुछ युवतियों के साथ अनेक राजनेता , आईपीएस और आईएएस अधिकारियों के रंगरेलियां मनाते हुए वीडियो जप्त हो गए | जाँच दल गठित हुआ और वे युवतियां गिरफ्तार कर ली गईं | ये बात सामने आ गई कि अपने सौन्दर्य के जाल में नेताओं और अधिकारियों को फंसाकर उक्त युवतियां सरकारी ठेकों के साथ और भी उलटे - सीधे काम करवाकर पैसे कमाती थीं | उक्त कांड की जांच को लेकर शुरू से ये आशंका थी कि वह दबी रह जायेगी क्योंकि नेताओं और अधिकारियों का गठजोड़ इतना मजबूत है कि दोनों एक दूसरे पर आंच नहीं आने दे सकते | ये भी सही है कि एक के फंसने पर वे दूसरे को लपेटे में लेने से बाज नहीं आते | यही स्थिति दूसरी पार्टियों के नेताओं को लेकर है | दरअसल श्री नाथ द्वारा हनीट्रैप की मूल पेन ड्राइव होने की बात कहते हुए मुख्यमंत्री को धमकाने के पीछे उद्देश्य अपनी पार्टी के पूर्व मंत्री उमंग सिंगार का बचाव करना है जिन पर अपनी महिला मित्र को आत्महत्या के लिए उकसाने का मामाला दर्ज किया गया है | पुलिस ने उन दोनों के बीच हुई बातचीत के आधार पर ये पाया कि उमंग द्वारा विवाह का वायदा करने के बाद मुकरने की वजह से महिला ने आत्महत्या कर ली | अपनी पार्टी के नेता को बचाने के लिए श्री नाथ राजनीतिक तौर पर सरकार पर निशाना साधें तो उसमें कुछ भी गलत नहीं है किन्तु उमंग को बचाने के लिए हनीट्रैप की पेन ड्राइव होने की धमकी देने के साथ ही सदाचार की राजनीति का दम्भ भरना तो निरा पाखंड है | श्री नाथ जैसे चतुर राजनेता भी अच्छी तरह से जानते हैं कि उनका बयान विशुद्ध ब्लैकमेलिंग की श्रेणी में आता है | अब सवाल ये उठता है कि यदि शिवराज सरकार ने उमंग के विरुद्ध प्रकरण वापिस नहीं लिया तब क्या श्री नाथ उक्त पेन ड्राइव सार्वजानिक करने का साहस दिखाएँगे और ये भी कि वे अभी तक उसे अपने पास क्यों रखे हुए थे जबकि ऐसी चीजें तो उन्हें खुद होकर जाँच एजेंसी को देनी चाहिए थीं | जहां तक बात हनीट्रैप मामले की है तो लंबे समय से उसकी चर्चा सुनने में नहीं आ रही थी | जाँच कहाँ तक पहुंची ये भी किसी को नहीं पता और अब तक कितने नेताओं और अधिकारियों की शराफत का पर्दाफाश हुआ ये भी जानकारी में नहीं है | ऐसे में पूर्व मुख्यमंत्री का तत्संबधी पेन ड्राइव अपने पास होने और अपने नेता के फंसने पर उसका खुलासा करने जैसी धमकी तो उन्हें साक्ष्य छिपाने और ब्लैकमेल करने का दोषी बना देती है | राज्य सरकार श्री नाथ द्वारा बनाये दबाव के बाद उमंग सिंगार पर दर्ज मामला वापिस लेती है तो ये स्पष्ट हो जाएगा कि शिवराज सिंह इस धमकी से डर गये क्योंकि श्री नाथ जिस पेन ड्राइव का हवाला देकर उमंग को बचाने का दांव खेल रहे हैं उसमें ऐसा कुछ है जो श्री चौहान की सरकार और पार्टी पर भारी पड़ेगा और यदि वे दबाव में नहीं आते तब श्री नाथ को अपनी धमकी पर अमल करने की हिम्म्त्त दिखानी होगी | वरना उनकी विश्वसनीयता तार - तार होते देर नहीं लगेगी | वैसे आज की राजनीति भी पोरस द्वारा सिकन्दर को दिए उस जवाब से प्रेरित और प्रभावित है कि एक राजा जैसा व्यवहार दूसरे राजा के साथ करता है | ये बात भी काफ़ी हद तक सही है कि हनीट्रैप में केवल एक पार्टी के नेता होते तो बड़ी बात नहीं अब तक उसकी पेन ड्राइव सार्वजनिक हो चुकी होती | और चूँकि उसमें अफसरों की रंगरेलियां भी हैं इसलिए भी उस पर अब तक पर्दा पड़ा हुआ है क्योंकि हमारे देश में अफसर वह शख्स होता है जिसके पास नेताओं का पूरा काला चिट्ठा होता है | कमलनाथ ने शेर की पीठ पर बैठने की जुर्रत तो कर ली लेकिन अब वे उससे उतरते कैसे हैं ये देखने वाली बात होगी |
- रवीन्द्र वाजपेयी
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