Wednesday 26 May 2021

क्यों न हम भी अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म विकसित करें



सोशल मीडिया के  विभिन्न प्लेटफार्म भारत में जितने प्रचलित हैं वह कुछ वर्ष पहले तक कल्पनातीत था | देखते - देखते फेसबुक , व्हाट्स एप , ट्विटर और इन्स्टाग्राम जैसे इन्टरनेट माध्यम आपसी संवाद , विचार सम्प्रेषण , सूचना के प्रसारण , व्यवसायिक नेटवर्किंग के साथ ही राजनीतिक बहस के मंच बन गए | क्या नेता और क्या अभिनेता सभी इनका उपयोग कर रहे हैं | किसके  कितने आभासी मित्र और समर्थक ( फालोअर ) हैं  इससे उसकी लोकप्रियता का आकलन होने लगा | यद्यपि अनेक पेशेवर संस्थाएं पैसे लेकर  रातों - रात इस  संख्या में अकल्पनीय वृद्धि करवा देती हैं | उक्त माध्यमों ने एक तरह से भारतीय समाज को अपने मोहपाश में बांध लिया है | सोशल मीडिया से मनोरंजन भी होता है | इसीलिये न केवल किशोर और युवा अपितु वरिष्ठ नागरिकों के अलावा कामकाजी ही  नहीं वरन घरेलू  महिलाएं भी खुलकर इन माध्यमों का उपयोग करती हैं | इनकी कमाई का स्रोत विज्ञापन तो हैं ही लेकिन उससे भी बढ़कर  उनसे जुड़े करोड़ों लोगों की व्यक्तिगत जानकारी ( डेटा ) विभिन्न कंपनियों को उपलब्ध करवाकर इन्हें मोटी कमाई होती है | वैश्वीकरण की जिस  अवधारणा ने नब्बे के दशक में जोर पकड़ा उसको सबसे ज्यादा विस्तार यदि किसी ने दिया तो वह है इंटरनेट के जरिये चलन में आये सोशल मीडिया के उक्त प्लेटफार्मों ने | आज पूरी दुनिया एक वैश्विक गाँव बनकर रह गई तो उसके पीछे फेसबुक , व्हाट्स एप और ट्विटर जैसे माध्यम प्रमुख रूप से हैं | भारत की विशाल आबादी इन माध्यमों के लिये दुधारू गाय साबित हुई | उल्लेखनीय है चीन ने इन पर रोक लगा रखी है और उसके अपने सोशल मीडिया प्लेटफार्म हैं | इसकी वजह वह अपने लोगों को न तो अभिव्यक्ति की आजादी देना चाहता है और न ही उनको अन्य देशों के लोगों से उन्मुक्त संवाद की छूट |  भारत चूँकि  लोकतान्त्रिक देश है इसलिए उसने  अपने लोगों पर चीन जैसी बंदिश नहीं लगाई | लेकिन बीते कुछ समय से उक्त माध्यमों द्वारा ऐसी शर्तें थोपी जा रही हैं जिससे उनसे जुड़े लोगों की निजता का उल्लंघन होने के साथ ही देश के हितों पर भी विपरीत असर पड़ने की आशंका उत्पन्न  हो गयी | ट्विटर पर विदेशी हस्तियों द्वारा भारत के आंतरिक मामलों में हस्तक्षेप के साथ ही दुष्प्रचार करने पर सरकार की आपत्तियों को अनदेखा करने की हिमाकत भी देखी गई | आपत्तिजनक सामग्री हटाने में जिस तरह की ना - नुकुर की जाने लगी उससे इन माध्यमों के खतरनाक इरादे साफ़ हो गए | जिसके बाद भारत सरकार ने कुछ नियम और शर्तें इनके सामने रखकर उनका पालन करने कहा | आज से ये लागू हो गये हैं | जो जानकारी आई उसके अनुसार फेसबुक ने तो उनके पालन की इच्छा व्यक्त करते हुए कुछ समय माँगा है लेकिन बाकी की तरफ से संवादहीनता बनी हुए है | सरकार का कहना है कि हमारे देश में यदि उक्त माध्यमों ने अपने दफ्तर आदि खोल रखे हैं तब उन्हें यहाँ के कायदे - कानून भी मानने पड़ेंगे | ये मुद्दा सुलझेगा या और उलझेगा ये जल्द ही साफ़ हो जाएगा लेकिन भारत सरकार ने समय रहते उचित कदम उठा लिए | व्यवसायिक हितों के मद्देनजर उक्त सभी प्लेटफार्म भारत जैसे देश में करोड़ों उपयोगकर्ताओं को गंवाने की हिम्मत नहीं दिखा  सकेंगे | इतिहास गवाह है कि विदेशियों को एक सीमा  से ज्यादा दी गयी छूट देश के  लिये घातक साबित हुई है | सोशल मीडिया के जरिये अनेक देशों में विदेशी दखल बढ़ने से आन्तरिक अशांति बढ़ी | ये देखते हुए भारत सरकार ने जो कदम उठाये वे सही हैं | सोशल मीडिया के जरिये  संपर्क और संवाद का एक नया युग तो प्रारम्भ हुआ लेकिन उसके कारण किसी  भी स्तर पर यदि देश हित पर आंच आये और अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता  का स्थान स्वछंदता ले ले तो वह स्वीकार्य नहीं होगी | भले ही उक्त सभी  माध्यमों का संचालन अमेरिका में बैठी कंपनियों  के हाथ में है लेकिन वे हमारे क़ानून और व्यवस्था को ठेंगा दिखाएँ तो फिर उनको बर्दाश्त करना अनुचित होगा | रही बात नफे और नुकसान की तो फेसबुक , व्हाट्स एप , ट्विटर और इन्स्टाग्राम भारत के करोड़ों उपयोगकर्ताओं को गंवाने का जोखिम उठाने की स्थिति में नहीं हैं | बेहतर हो हम भी अपने समानांतर  सोशल मीडिया प्लेटफार्म तैयार करें | अन्तरिक्ष तकनीक और सॉफ्टवेयर के क्षेत्र में भारत के युवा इन्जीनियर और तकनीशियनों ने जो उपलब्धियां हासिल कीं उन्हें देखते हुए हम ऐसा  कर सकें तो उसे दुनिया भर में रहने वाले अप्रवासी भारतवंशियों से भी अच्छा समर्थन मिलेगा | वैश्वीकरण के इस दौर में भारतीय अब वैश्विक कौम हो गये हैं | दूसरों से बड़ी अपनी लकीर खींचने का सही समय आ गया है | 

-रवीन्द्र वाजपेयी

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