Wednesday 23 March 2022

बेलगाम होता भ्रष्टाचार शिवराज सरकार की उपलब्धियों पर पानी फेर रहा



म.प्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान  हर समय चुनावी मूड में रहते हैं | राजधानी भोपाल में बैठकर राज करने की बजाय पूरे प्रदेश में भ्रमण करते हुए आम जनता से  संवाद बनाये रखना ही उनकी लोकप्रियता का असली कारण है | विरोधी चाहे जितना भी कहें लेकिन प्रदेश के हर कोने में उनका चेहरा जितना जाना – पहिचाना है , उतना किसी अन्य  नेता का नहीं  | हालाँकि इसका  कारण  रिकॉर्ड समय तक मुख्यमंत्री बने रहना भी  है किन्तु इसमें दो राय नहीं हो सकती कि वे म.प्र में भाजपा के सबसे बड़े चेहरे हैं | ख़ास बात ये है कि मुख्यमंत्री बनने के पहले तक उनके पास  संगठन और सांसद – विधायक के रूप में किये गए कार्यों का ही अनुभव था | इसलिए जब बाबूलाल गौर जैसे अनुभवी प्रशासक की जगह उन्हें प्रदेश की सत्ता संभालने का अवसर दिया गया तब आम धारणा ये थी कि वे  शायद सफल नहीं रहेंगे | उमाश्री भारती और उनके बाद श्री गौर जिस तरह जल्दी – जल्दी मुख्यमंत्री पद से हटे उसके कारण आम जनता के मन में पहले से व्याप्त ये अवधारणा और मजबूत होने लगी थी कि भाजपा को सरकार चलाना नहीं आता | ऊपर से उमाश्री द्वारा बगावत किये जाने से स्थितियां और जटिल होने लगीं | 2008 के चुनाव में शिवराज के सामने कांग्रेस के साथ – साथ उमाश्री की जनशक्ति पार्टी की चुनौती भी थी किन्तु वे विजयी होकर निकले और यहीं से उनकी स्थिति मजबूत होने लगी | सरल स्वभाव , मिलनसारिता और विनम्रता के कारण जल्द ही उन्होंने जनसाधारण के बीच अपनी स्वीकार्यता कायम कर ली | जनकल्याण की अनेक योजनाओं ने उनकी लोकप्रियता को और बढ़ा दिया | मामा बनकर लोगों से सीधा रिश्ता जोड़ने की शैली ने लोगों को उनका चहेता बना दिया , जो 2013 के चुनाव में जीत का आधार बना  | सबसे बड़ी बात ये रही कि 2014 में नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने तक उन्हें  कांग्रेस की केंद्र सरकार के दौर में काम  करना पड़ा | बावजूद उसके लोकप्रिय नीतियों के साथ – साथ उन्होंने  विकास पर काफी ध्यान दिया | उन्हें अच्छी तरह पता था कि दिग्विजय सिंह की सरकार बिजली , सड़क और पानी के मुद्दे पर ही गई थी | इसलिए उन्होंने इस दिशा में अच्छा काम करते हुए प्रदेश को बीमारू और पिछड़े राज्य के कलंक से मुक्त करवाया | किसान परिवार से होने के कारण कृषि उनकी रुचि का विषय बना जिसका परिणाम इस क्षेत्र में प्रदेश का अग्रणी बन जाना है | गेहूं उत्पादन में पंजाब और हरियाणा जैसे राज्यों को पछाड़कर म.प्र ने अपनी धाक जमाई | और भी अनेक क्षेत्र हैं जिनमें श्री चौहान ने उल्लेखनीय कार्य किये | इससे प्रदेश की छवि में जबरदस्त सुधार हुआ  जिसका प्रमाण पर्यटन उद्योग में हुई जबर्दस्त तरक्की है | लेकिन भ्रष्टाचार  उनकी तमाम  उपलब्धियों पर पानी फेरने का काम कर रहा है | ये कहने में कुछ भी अनुचित नहीं है कि 2014 में अनुकूल केंद्र सरकार  आने के बाद 2018 में हुए विधानसभा चुनाव में जीत की देहलीज पर आकर भाजपा के रुक जाने के पीछे भ्रष्टाचार ही सबसे बड़ा कारण बना | डंपर काण्ड से तो किसी तरह शिवराज उबर गये  लेकिन व्यापमं घोटाले ने उनकी सरकार के साथ ही भाजपा की छवि को जबरदस्त नुकसान पहुंचाया | जिसकी वजह से युवा मतदाताओं में जबरदस्त गुस्सा फैला  | हालाँकि गलत टिकिट वितरण भी उस हार का एक कारण बना लेकिन सबसे ज्यादा नुकसान भ्रष्टाचार के आरोपों के चलते हुआ | यद्यपि महज 15 माह के बाद श्री चौहान का राजयोग प्रबल हो उठा और कांग्रेस की  अंतर्कलह ने उन्हें फिर मुख्यमंत्री पद दिलवा दिया | लेकिन इसकी कीमत उन्हें  दर्जन भर उन  विधायकों को मंत्री बनाकर चुकानी पड़ी जो ज्योतिरादित्य सिंधिया के साथ कांग्रेस छोडकर भाजपाई बने | वैसे भी श्री सिंधिया को भाजपा हाईकमान ने जो भाव दिया उसके कारण वे प्रदेश में एक नए सत्ता केंद्र के तौर पर पाँव ज़माने में सफल हो गए | उनके कोटे से जो मंत्री बने वे शिवराज के बजाय महाराज के प्रति समर्पित हैं | कांग्रेसी शैली में ढले ये मंत्री वही सब कर रहे हैं जो ये पहले  किया करते थे | इस वजह से शिवराज सरकार के राज में होने वाला भ्रष्टाचार और बढ़ने की चर्चा सर्वत्र व्याप्त है  | कुल मिलाकर ये कहना पूरी तरह सही है कि मुख्यमंत्री  की लोकप्रियता के बावजूद उनकी सरकार पर भ्रष्टाचार के आरोप दिन ब दिन गहरे होते जा रहे हैं | कहने वाले तो यहाँ तक कहते हैं कि नौकरशाही इतनी स्वछन्द कभी नहीं रही और  एक भी ऐसा शासकीय विभाग नहीं है जिसमें बिना लेन – देन जनता का कोई काम होता हो | मुख्यमंत्री द्वारा आम जनता की तकलीफों का  त्वरित और पारदर्शी निवारण करने हेतु बनाई गयी सीएम हेल्पलाइन का खूब ढिंढोरा पीता जाता है | लेकिन वह भी सतही तौर पर ही सफल दिखती है क्योंकि मुख्यमंत्री कार्यालय से दिखाई जाने वाली कार्यकुशलता निचले स्तर पर आकर दम तोड़ने लगती है | सच्चाई ये है कि भ्रष्टाचार के मोर्चे पर इस सरकार की चौतरफा  विफलता उसकी तमाम उपलब्धियों पर भारी पड़ जाती है | जहां तक चुनाव जीतते जाने का सवाल है तो मुख्यमंत्री को ये नहीं भूलना चाहिए कि हार ने एक बार ही सही लेकिन उनका घर देख लिया है |  इसलिए वे भ्रष्टाचार को अनदेखा करते हुए निश्चिंत बैठे रहे तो 2023 में पिछली  पराजय की पुनरावृत्ति होने का अंदेशा बना रहेगा | इसकी एक वजह ये भी है कि  सिंधिया भक्त मंत्री उनके प्रभाव में नहीं हैं जिन्हें छेड़ना बर्र के छत्ते  में पत्थर मरने जैसा होगा | इन हालातों में आज जब श्री चौहान अपनी चौथी ताजपोशी की दूसरी वर्षगांठ मना रहे हैं तब उन्हें भ्रष्टाचार के धब्बों से अपनी सरकार का दामन साफ़ करने की हिम्मत दिखानी होगी | उन्हें ये नहीं भूलना चाहिए कि कांग्रेस भले ही राष्ट्रीय स्तर पर अंतर्कलह का शिकार हो लेकिन म.प्र वह राज्य  है जहां वह मुकाबले की स्थिति में है | दमोह में हुए विधानसभा उपचुनाव में भाजपा जिस तरह लम्बे अंतर से हारी वह इसका प्रमाण है | यद्यपि कोरोना के कारण  इस पारी में  शिवराज सरकार को  सिर मुड़ाते ही ओले पड़ने वाले हालात का सामना करना पडा लेकिन 2023 आते – आते तक जनता वह सब भूल चुकी होगी | उ.प्र में भाजपा  सरकार की वापिसी में बेरोजगारी और महंगाई जैसी बाधाएं थीं  लेकिन योगी आदित्यनाथ की सरकार चूंकि भ्रष्टाचार के आरोपों से पूरी तरह मुक्त रही इसलिए मतदाताओं ने विपक्ष के जबरदस्त प्रचार के बावजूद उसे एक बार फिर जनादेश दे दिया | देखा देखी  श्री चौहान भी योगी शैली में बुलडोजर चलवा रहे हैं , वहीं  बिजली और सड़क संबंधी शिकायतें भी  नहीं हैं |  हालाँकि बिजली , पेट्रोल और डीजल की कीमतें जनता को नाराज करती हैं | फिर भी  केंद्र और राज्य सरकार से गरीबों को मिलने वाले मुफ्त  अनाज के कारण लाभार्थी नामक जो नया मतदाता समूह बन गया है उस पर भाजपा की उम्मीदें टिकी हुई हैं परन्तु सरकारी अमले के भ्रष्टाचार पर अंकुश न लगाया जा सका तो फिर शिवराज सिंह के लिए चुनावी मुकाबला आसान नहीं रहेगा | 

- रवीन्द्र वाजपेयी

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