Friday 8 March 2024

श्रीनगर की सभा में डा.मुखर्जी का उल्लेख 370 के बाद हुए बदलाव का प्रमाण


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पहले भी कश्मीर घाटी की यात्रा कर चुके हैं किंतु गत दिवस उनका श्रीनगर प्रवास विशेष था । श्रीनगर के बख्शी स्टेडियम में  उनकी जनसभा में लोगों की उपस्थिति  पिछली रैली के मुकाबले कई गुना ज्यादा थी। जिससे लगा कि घाटी में उनका आकर्षण बढ़ा है ।  सभा के दौरान आतंकवादी घटना की आशंका के बावजूद बड़ी संख्या में श्रोता आए । 370 समर्थक पार्टियों ने भी बंद या हड़ताल जैसा कोई प्रयास नहीं किया जो  घाटी के बदले  हुए माहौल का  प्रमाण है जहां कुछ साल पहले तक जुमे की नमाज के बाद मस्जिदों से निकलती भीड़ पाकिस्तान के झंडे लहराती थी ।सुरक्षा बलों पर पत्थर फेंकने वालों में लड़कों के साथ लड़कियां भी नजर आती थीं। किसी आतंकवादी को भागने में मदद करने के लिए लोगों की भीड़ सुरक्षा बलों के विरोध में खड़ी होना आम बात थी। जनजीवन बुरी तरह अस्त - व्यस्त था। पर्यटन  व्यवसाय चौपट था। शैक्षणिक संस्थानों में ताले पड़े थे। ऐसा लगने लगा था कि घाटी पूरी तरह भारत से अलग होने की ओर बढ़ रही है। हालांकि धारा 370 हटाए जाने के बाद भी लंबे समय तक  स्थितियां सामान्य नहीं थीं। सुरक्षा बलों पर हमलों के अलावा निर्दोष नागरिकों की  हत्या कर आतंक फैलाने का प्रयास होता रहा। पुलिस और सेना में कार्यरत अनेक नौजवानों की  हत्या से दहशत फैलाई जाती रही। लेकिन केंद्र सरकार की दृढ़ता और सुरक्षा बलों की मुस्तैदी के कारण  स्थितियां सुधरने लगीं। अलगाववादी नेताओं की गिरफ्तारी और नजरबंदी के भी सकारात्मक परिणाम दिखे। शिक्षण संस्थानों और खेल के मैदानों में चहल - पहल लौटी। पुलिस जैसी सरकारी नौकरियों में भर्ती के लिए  घाटी के नौजवानों ने जिस उत्साह का प्रदर्शन किया उससे अलगाववाद के शिकंजे में फंसे इस  राज्य में सामान्य स्थिति लौटने के संकेत मिलने लगे। सबसे बड़ा लाभ ये हुआ कि  अर्थव्यवस्था की रीढ़ पर्यटन उद्योग ने सारे कीर्तिमान ध्वस्त कर दिए। हालांकि अमरनाथ यात्रा सुरक्षा बलों के संरक्षण में आतंकवाद के दौर में भी होती रही किंतु 370 हटने के बाद  यात्री अन्य दर्शनीय स्थलों पर भी जाने लगे।  डल झील में खड़ी हाउस बोटों में बरसों बाद रौनक लौट आई। गुलमर्ग के शीतकालीन खेलों में भाग लेने वालों में भी आशातीत वृद्धि हुई। हालांकि 1990 में  जान बचाकर भागे कश्मीरी पंडितों की वापसी का सपना अभी भी अधूरा है । लेकिन उनके साथ हुए अमानवीय व्यवहार की दास्तां से पूरी दुनिया अवगत होने लगी। हुर्रियत जैसे संगठनों की कमर टूट गई। आतंकवादियों को मिलने वाली विदेशी सहायता पर रोक लगने के साथ ही सीमा पार से होने वाली घुसपैठ भी कम हुई। कुल मिलाकर जिस कुशलता के साथ मोदी सरकार ने जम्मू कश्मीर में अलगाववाद को प्रश्रय देने वाली धारा 370 को हटाया उसने पहली बार कश्मीर घाटी के मुख्य धारा में शामिल होने का एहसास करवाया। गत दिवस श्री मोदी ने जनसभा में जनसंघ के संस्थापक डा. श्यामा प्रसाद मुखर्जी का उल्लेख करते हुए घाटी को अपनी जागीर समझने वाले अब्दुल्ला और मुफ्ती परिवार को साफ शब्दों में संकेत दे दिया कि  वहां राष्ट्रवादी राजनीति का पदार्पण हो चुका है। प्राप्त संकेतों  के अनुसार घाटी के युवाओं में ये भावना तेजी से स्थापित हो रही है कि उनका भविष्य भारत के साथ ही जुड़ा हुआ है। आगामी लोकसभा चुनाव में घाटी की सीटों पर भाजपा जीत दर्ज करेगी ये कहना तो जल्दबाजी होगी किंतु 370 हटने के बाद अलगाववादी मानसिकता का एकाधिकार  कम होता जा रहा है। विधानसभा सीटों के परिसीमन के बाद वैसे भी अब जम्मू की राजनीतिक वजनदारी घाटी के बराबर हो गई है। प्रधानमंत्री की कश्मीर यात्रा का समय इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि पाकिस्तान की सत्ता  दोबारा संभालने के बाद नेशनल असेंबली में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने कश्मीर की तुलना फिलीस्तीन और गाजा से करते हुए भारत विरोधी रवैया दिखाया। दूसरी ओर पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में हाल ही में इस्लामाबाद के विरोध में जबर्दस्त प्रदर्शन हुए।प्रधानमंत्री ने अपनी श्रीनगर यात्रा से पाकिस्तान और उसके द्वारा पाले जाने वाले अलगाववादियों को संकेत दे दिया है कि कश्मीर घाटी में उनके लिए कोई गुंजाइश नहीं है। ये भी उल्लेखनीय है कि श्री मोदी , सर्वोच्च न्यायालय द्वारा धारा 370 को  हटाए जाने के निर्णय को सही ठहराए जाने के बाद ही घाटी की यात्रा पर गए जिसका आशय ये है कि उस धारा की वापसी अब संभव नहीं। 


- रवीन्द्र वाजपेयी

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