Wednesday 6 March 2024

द्रमुक नेताओं के बयान तमिलनाडु में अलगाववाद के उदय का संकेत


द्रमुक सांसद ए. राजा ने एक बार फिर सनातन और देश विरोधी बयान दिया है। तमिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के जन्मदिवस पर  आयोजित समारोह में बोलते हुए उन्होंने भारत को देश मानने से इंकार करते हुए कहा कि वह एक उपमहाद्वीप है। उनके अनुसार देश की एक भाषा और एक संस्कृति होती है। उस लिहाज से तमिलनाडु , केरल , उड़ीसा आदि देश हैं और ऐसे ही  अनेक देशों से भारत बना है। इसके साथ ही  उन्होंने  भारत माता की जय और जय श्री राम के नारे का विरोध करते हुए कहा कि वे इन्हें ईश्वर नहीं मानते तथा राम और रामायण के भी  विरोधी हैं । उन्होंने हनुमान जी की तुलना वानर से करते हुए जय श्री राम नारे को घृणित बताया। पूर्व केंद्रीय मंत्री श्री राजा की गणना द्रमुक के वरिष्ट नेताओं में होती है। गत वर्ष हिन्दी का विरोध करते हुए उन्होंने कहा था कि यदि उसे थोपा गया तो तमिलनाडु अलग देश बन जाएगा। उल्लेखनीय है अलग तमिल राष्ट्र द्रमुक की वह इच्छा है जो समय - समय पर प्रकट होती रही है। स्वर्गीय करुणानिधि ने उत्तरी श्रीलंका के तमिल बहुल क्षेत्रों को मिलाकर  पृथक  तमिल देश बनाने की बात कई मर्तबा कही भी थी। लिट्टे नामक उग्रवादी संगठन के प्रति भी उनकी सहानुभूति रही। उसी वजह से राजीव गांधी की हत्या के बाद उनकी सरकार बर्खास्त की गई थी। यद्यपि बाद में द्रमुक का केंद्र की विभिन्न सरकारों के साथ गठजोड़ रहा । डा.मनमोहन सिंह की सरकार में श्री राजा भी मंत्री थे। इंडिया गठबंधन की द्रमुक प्रमुख सदस्य है। कुछ महीनों पहले मुख्यमंत्री स्टालिन के बेटे उदयनिधि ने जो उनकी सरकार में ही मंत्री भी हैं, सनातन को लेकर बेहद आपत्तिजनक बयान देते हुए उसे समाप्त करने की बात तक कह डाली। कांग्रेस अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के पुत्र ने भी  उस बयान का समर्थन किया था। अनेक स्थानों पर उदयनिधि के विरुद्ध प्रकरण दर्ज हुए। हाल ही में सर्वोच्च न्यायालय ने भी उस बयान को लेकर उनको लताड़ लगाई । लेकिन वह विवाद ठंडा हो पाता उसके पहले ही श्री राजा ने भारत माता , भगवान राम और रामायण को लेकर जहर उगल दिया। संसद  सदस्य और  केंद्रीय मंत्री के रूप में उन्होंने भारत की एकता और अखंडता बनाए रखने की शपथ ली थी। ऐसे में उनके द्वारा राज्यों को देश  बताना उस शपथ का उल्लंघन तो है ही , देश और सनातन के अनुयायियों की धार्मिक भावनाओं को आहत करने वाला भी है। कांग्रेस ने उनके बयान से असहमति व्यक्त करते हुए उसकी निंदा तो की किंतु उसे द्रमुक को चेतावनी भी देनी चाहिए कि यदि उसके नेताओं द्वारा सनातन और भारत माता के विरुद्ध आपत्तिजनक बयान दिए जाते रहे तब उसके साथ रहना नामुमकिन हो जाएगा। इंडिया गठबंधन के अन्य सदस्यों को भी स्टालिन को समझाना चाहिए कि भारत की एकता और अखंडता पर इस तरह की टिप्पणी असहनीय है। गत वर्ष हुए  म.प्र , छत्तीसगढ़ और राजस्थान विधानसभा के चुनाव में सनातन का मुद्दा गर्म होने का कारण उदयनिधि का बयान ही बना था। राम मंदिर में प्राण प्रतिष्ठा के समय भी पूरे देश में जो वातावरण नजर आया वह उन बयानों की ही प्रतिक्रिया थी । ऐसे में श्री राजा का  संदर्भित बयान आगामी लोकसभा चुनाव में  इंडिया गठबंधन के विरुद्ध मुद्दा बने तो आश्चर्य नहीं होना चाहिए । भारत को उपमहाद्वीप और विभिन्न प्रांतों को देश मानने की जो बात द्रमुक सांसद ने कही वह तमिलनाडु की मौजूदा सरकार के संरक्षण में पनप रही अलगाववादी भावना का परिचायक है। स्मरणीय है आजादी के बाद से ही कश्मीर घाटी में  शेख अब्दुल्ला के नेतृत्व में  अलगाववादी भावनाओं की जो अभिव्यक्ति होती रही उसे हल्के में लिए जाने का दुष्परिणाम  कालांतर में आतंकवाद के रूप में सामने आया । ऐसा ही  पंजाब में हुआ जहां पंजाबी सूबे की मांग के पीछे  खालिस्तान की योजना फलती - फूलती रही। ऐसा लगता है तमिलनाडु अलगाववाद के नए केंद्र के रूप में विकसित होने की राह पर है। आजादी के पहले से ही रामास्वामी पेरियार के नेतृत्व में प्रारंभ हुआ आंदोलन सनातन और उत्तर भारत के प्रति घृणा के तौर पर सामने आया जिसे बाद में  हिन्दी विरोध की शक्ल दी गई।  तमिलनाडु की मौजूदा राजनीति में चुनौतीविहीन होने से द्रमुक  , खुलकर भारत से अलग होने के  सपने को साकार करने आगे बढ़ रही है। बीते कुछ महीनों में आए बयानों से उसकी देश विरोधी मानसिकता का खुलासा हो रहा है। ऐसे में  राष्ट्रीय पार्टियों को एकजुट होकर आगे आना चाहिए।  द्रमुक नेताओं के देश विरोधी बयानों को अभिव्यक्ति की आजादी के नाम पर नजरंदाज किया जाता रहा तो देश के दक्षिणी छोर पर नए  आतंकवाद का उदय होना निश्चित है जिसे  तटवर्ती राज्य होने से विदेशी सहायता की आशंका से भी इंकार नहीं किया जा सकता। जहां देश की अखंडता  खतरे में हो वहां राजनीतिक नफे - नुकसान की सोच को किनारे रखना ज्यादा जरूरी है।


- रवीन्द्र वाजपेयी

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