Friday 22 March 2024

लॉटरी किंग द्वारा द्रमुक और तृणमूल को दिये बड़े चंदे को क्या नाम देंगे राहुल


सर्वोच्च न्यायालय की सख्ती के बाद आखिरकार स्टेट बैंक ने इलेक्टोरल बॉण्ड के वे सभी विवरण सार्वजनिक कर दिये जिनसे ये पता चल सकेगा कि बॉण्ड  किसने खरीदा और किस पार्टी ने उसे भुनाया। जो मोटी - मोटी जानकारी आई है उसके अनुसार लॉटरी का व्यवसाय करने वाली फ्यूचर गेमिंग नामक कंपनी ने सबसे अधिक 1300 करोड़ के बॉण्ड खरीदे थे। जब यह बात उजागर हुई तभी से राजनीतिक क्षेत्रों में बवाल मचा हुआ है। इसका कारण उस कंपनी के कारोबार और  मुनाफे को देखते हुए चंदे की राशि का गैर अनुपातिक होना है। उस पर छापे और संपत्ति जप्ती की कार्रवाई भी हो चुकी थी। ऐसे में भाजपा सबसे ज्यादा निशाने पर थी। चूंकि उसे बॉण्ड के जरिये सबसे अधिक चंदा हासिल हुआ इसलिए माना जा रहा था कि उक्त लॉटरी कंपनी ने भाजपा को ही सबसे अधिक उपकृत किया होगा। लेकिन जब द्रमुक ने उसे मिले बॉण्ड का विवरण जारी किया तब ये बात सामने आई कि उसे मिले कुल 656 करोड़ के बॉण्ड में 503 करोड़ के बॉण्ड फ्यूचर गेमिंग द्वारा दिये गए। वहीं तृणमूल कांग्रेस को उसने 542 करोड़ रु. के बॉण्ड देकर उपकृत किया। भाजपा को उससे 100 करोड़ मिले तो कांग्रेस को भी लॉटरी कंपनी ने 50 करोड़ की मदद दी। दूसरे सबसे बड़े दानदाता मेघा समूह ने 1192 करोड़ के बॉण्ड खरीदे जिनमें 584 करोड़ भाजपा और 110 करोड़ कांग्रेस के खाते में गए। इन आंकड़ों के अलावा अन्य जिन कंपनियों ने इलेक्टोरल बॉण्ड खरीदे उनमें ज्यादातर ने बड़ा हिस्सा भाजपा को देने के साथ ही कुछ न कुछ कांग्रेस को भी दिया। फ्यूचर गेमिंग और मेघा समूह द्वारा दिये चंदे को लेकर सबसे अधिक सवाल उठ रहे थे। एक छापे के बाद बॉण्ड खरीदने तो दूसरा उसे मिले बड़े ठेकों के कारण चर्चा में आया। कांग्रेस नेता राहुल गाँधी बॉण्ड से मिले चंदे को मोदी सरकार द्वारा की गई हफ्ता वसूली बताते फिर रहे हैं। इसे उन्होंने आजादी के बाद का सबसे बड़ा घोटाला भी बताया। चूंकि भाजपा को कुल खरीदे गए बॉण्ड का सबसे अधिक हिस्सा मिला इसलिए उसको कठघरे में खड़ा किया जाना सबसे आसान था। ये आशंका भी राजनीतिक जगत में जताई जाने लगी थी कि जैसे ही स्टेट बैंक बॉण्ड के नंबरों के साथ लाभार्थी का नाम उजागर करेगा त्योंही मोदी सरकार पर आसमान टूट पड़ेगा। और लोकसभा चुनाव में यह मुद्दा भाजपा के साथ वैसे ही चिपक जायेगा जैसा 1989 में बोफोर्स स्व. राजीव गाँधी के साथ जुड़ गया था। लेकिन गत दिवस पूरी जानकारी आने के बाद अब श्री गाँधी हफ्ता वसूली के आरोप को किस मुँह से दोहराएंगे क्योंकि चाहे फ्यूचर गेमिंग हो या मेघा समूह, दोनों ने कांग्रेस को भी बॉण्ड के जरिये चन्दा तो दिया ही। रही बात कम ज्यादा की तो जाहिर है पार्टी को जब भरपूर  वोट  मिलते  थे तब उस पर नोटों की भी जमकर बरसात होती थी। लेकिन जैसे - जैसे उसे मिलने वाले वोट घटते गए वैसे - वैसे चंदा बाजार में भी उसका भाव गिरता गया। राहुल यदि इस मामले में निष्पक्ष हैं तब उनको इंडिया समूह के सबसे ताकतवर घटकों क्रमशः द्रमुक और तृणमूल को फ्यूचर गेमिंग से मिले  भारी - भरकम चंदे पर भी सवाल उठाना चाहिए। जिसने कुल 1300 करोड़ के बॉण्ड का तीन चौथाई हिस्सा उक्त दोनों पार्टियों को देने के साथ ही कांग्रेस को भी 50 करोड़ से नवाजा। लॉटरी का व्यवसाय करने वाली कंपनी द्वारा द्रमुक और तृणमूल को किस दबाव में तकरीबन 1000 करोड़ दिये ये सवाल कांग्रेस को अपने सहयोगियों से पूछना चाहिए। राहुल गाँधी विपक्ष के सबसे प्रमुख नेता हैं। सरकार को कठघरे में खड़ा करना उनका मुख्य कार्य है किंतु   आरोप लगाने के पहले उनको ये देखना चाहिए कि वे कहीं उन्हीं के गले न पड़ जाएं। इस मामले में  जल्दबाजी में वे भूल गए कि उनकी पार्टी भी चंदे के खेल में शामिल रही जिसे वे हफ्ता वसूली बताते रहे। जानकार लोग पहले से ही ये मानकर चल रहे थे कि बॉण्ड विवाद का अंत हवाला कांड जैसा होगा। चूंकि कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी पार्टियों ने भी बॉण्ड से चंदा लिया इसलिए वे किसी और पर आरोप लगाने का अधिकार खो चुकी हैं। द्रमुक और तृणमूल को लॉटरी किंग से मिली बड़ी रकम भी विपक्ष को संदेह के घेरे में लाती है। देखना ये है कि श्री गाँधी अपने सहयोगी दलों को मिले बड़े  चंदे को क्या नाम देते हैं? 


-रवीन्द्र वाजपेयी

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