राहुल गांधी ने गत दिवस रास्वसंघ में महिलाओं को समुचित स्थान न मिलने की बात उठाते हुए कह दिया कि मुझे तो संघ में शॉर्ट (हाफ पैंट) पहने महिलाएं नहीं नजर आतीं। चूंकि संघ के गणवेश में गत वर्ष तक हाफ पैंट ही था इसलिये राहुल ने उक्त व्यंग्य कर दिया परन्तु भले ही विरोधी उन्हें पप्पू कहकर उनका मजाक उड़ाते हों परन्तु 47 साल के हो चुके राहुल से इतनी तहजीब तो अपेक्षित है कि वे महिलाओं की वेशभूषा पर बोलते समय मर्यादा का ध्यान रखें। रास्वसंघ में प्रारंभिक तौर पर महिलाएं नहीं थीं किन्तु कालांतर में उसने राष्ट्र सेविका समिति नामक संगठन बनाया जो पूरी तरह से महिला प्रधान है और इसकी सारी गतिविधियां संघ की तरह ही संचालित होती हैं। राहुल ने संघ में महिलाओं की उपेक्षा का प्रश्न उठाकर अपनी अज्ञानता का परिचय दिया वहां तक तो ठीक था किन्तु उनके हाफ पैंट पहिने हुए नहीं दिखने जैसी बात पूरी तरह शालीनता के विरुद्ध थी हो सकता है पाश्चात्य संस्कृति और संस्कारों में पले-बढ़े राहुल बाबा महिलाओं के वस्त्रों को लेकर पारंपरिक सोच को दकियानूसी मानते हों परन्तु राष्ट्रीय स्तर की एक पार्टी के वास्तविक कर्ताधर्ता होने के नाते उन्हें अपने शब्द और विषयवस्तु दोनों का चयन सावधानी पूर्वक करना चाहिये। उन्हें स्मरण होगा कि गुजरात के पिछले विधानसभा चुनावों के अंतिम चरणों में सोनिया गांधी द्वारा मौत के सौदगार जैसी टिप्पणी के कारण कांग्रेस को कितनी क्षति उठपनी पड़ी थी। राहुल गांधी यदि संघ में महिलाओं की भागीदारी से इतने अनजान थे तथा उन्हें ये भी नहीं पता कि पुरूषों और महिलाओं के गणवेश में क्या अंतर है, तब ये उनसे ज्यादा उन प्रशिक्षकों का कसूर है जिनके सिखाए हुए संवाद वे बोलते है। संभवत: वे देश के अकेले ऐसे नेता होंगे जो राजनीति और नेतृत्व का पाठ पढऩे विदेशों में अज्ञातवास पर जाते हैं। पता नहीं संघ के बारे में की गई टिप्पणी को लेकर उन्हें कोई खेद है या नहीं लेकिन इसी तरह का बचकानापन वे आगे भी दिखाते रहे तब उनकी पार्टी को उसका नुकसान उठाने हेतु तैयार रहना चाहिये।
-रवींद्र वाजपेयी
Wednesday 11 October 2017
राहुल:अनजान या अपरिपक्व
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
No comments:
Post a Comment