Monday 30 October 2017

जनमत:- भ्रष्टाचार में भी अमेरिका म.प्र. से बहुत फिसड्डी

एक कुशल राजनेेता वही होता है जो तथ्यों की बजाय तर्कों से अपनी हर बात को सही साबित कर दे। इसी तरह आक्रमण को ही सर्वोत्तम सुरक्षा माना जाता है। म.प्र. के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने हालिया अमेरिका यात्रा के दौरान वाशिंगटन से म.प्र. की सड़कों को बेहतर बताकर अपना मजाक उड़वाया था। सोशल मीडिया पर उनकी ऐसी फजीहत शायद पहले कभी नहीं हुई थी किन्तु इस सबसे विचलित हुए बिना श्री चौहान ने घर वापसी पर न सिर्फ अपनी बात पर कायम रहने की दृढता दिखाई बल्कि ये भी जोड़ दिया कि सफाई के मामले में इंदौर और भोपाल न्यूयार्क से आगे हैं। इंदौर हवाई अड्डे से सुपर कॉरीडोर तथा भोपाल की वीआईपी रोड को भी उन्होंने वॉशिंगटन की सड़कों से बेहतर बताते हुए कह दिया कि अमेरिका की राजधानी में 90 प्रतिशत से ज्यादा सड़कें अच्छी हालत में नहीं हैं। शिवराज जी यहीं नहीं रुके, उन्होंने ये भी कह दिया कि जिसे जो लिखना है, लिखता रहे वे डंके की चोट पर ऐसा कहते रहेंगे। मुख्यमंत्री की ये दलील अपनी जगह सही है कि वे अमेरिका में म.प्र. की मार्केटिंग करने गए थे, इसलिये वे इस प्रदेश का गुणगाान नहीं करते तब क्या बुराई करते। अमेरिका में रह रहे म.प्र. वासियों से संपर्क कर उन्हें प्रदेश के विकास हेतु प्ररित करने का उनका प्रयास भी सकारात्मक कदम ही कहा जावेगा। अप्रवासी भारतीयों में जो म.प्र. के हैं उनकी योग्यता और समृद्धि यदि प्रदेश के लिये काम आ सके तब इससे बढिय़ा बात और क्या हो सकती है किन्तु मात्र इतने से ही शिवराज जी अपनी सरकार और म.प्र. का गौरवगान करने में सफल हो सकेंगे ये सोचना मूर्खों के स्वर्ग में विचरण करने समान ही होगा। विदेशी धरती पर अपने प्रदेश और देश का सकारात्मक चित्र प्रस्तुत करना न केवल शासक वर्ग वरन हर भारतीय का कर्तव्य बन जाता है। उस लिहाज से शिवराज सिंह ने गलत नहीं किया किन्तु वे स्वयं भी जानते और मन ही मन मानते होंगे कि म.प्र. की सड़कों तथा साफ-सफाई की व्यवस्था को अमेरिका की राष्ट्रीय तथा व्यवसायिक राजधानी से बेहतर बताने का उनका दावा वास्तविकता की कसौटी पर कितना खोटा साबित होगा। मुख्यमंत्री तरकश से निकल चुके तीर की तरह यद्यपि अपने शब्दों को वापिस तो नहीं ले सकते किन्तु उस बात को वहीं खत्म करना उनके लिये अधिक श्रेयस्कर रहता।
अब उन्होंने जिसे जो लिखना है लिखे मैं डंके की चोट पर कहता रहूंगा जैसी बात कह दी, तब उनसे ये पूछना भी समयोचित होगा कि म.प्र. में सचिवालय से लेकर ग्राम पंचायत तक पसरे भ्रष्टाचार में भी क्या अमेरिका म.प्र. से पीछे है। आये दिन प्रदेश के किसी न किसी हिस्से में चपरासी से लेकर बड़े अधिकारी तक लोकायुक्त द्वारा अवैध कमाई करने के आरोप में पकड़ लिये जाते हैं। डंके की चोट पर यदि श्री चौहान म.प्र. के भ्रष्टाचार मुक्त प्रदेश होने का दावा अमेरिका यात्रा के दौरान करते तब वहां रहने वाले प्रदेशवासी अपने गृहप्रदेश के विकास में सहयोग की पहल से बढ़कर यहां वापिस आकर बसने पर विचार करने लग जाते। जिस प्रदेश में प्याज और दाल की खरीदी में चंद दिनों के भीतर करोड़ों का वारा-न्यारा हो जाता है, जहां मंत्री से लेकर संतरी तक की ईमानदारी पर हर पल संदेह के बादल मंडराया करते हों, जहां सूखे के दौर में भी भ्रष्टाचार की बंपर पैदावार हो रही हो, यदि मुख्यमंत्री उस स्थिति को बदल पाने या सुधार देने का दंभ अमेरिका में भरते तब कुछ दिन तो रुक  जाइये गुजरात की तर्ज पर स्थायी रूप से बस जाइये म.प्र. में जैसा नारा पूरी दुनिया में गूंज उठता। खैर, जैसा प्रारंभ में कहा गया शिवराज राजनेता हैं और वह भी सत्ता में बैठे, इसलिये वे अपनी बात को कहने के बाद उसे मनवाने के लिये हर तरह का प्रपंच रच सकते हैं। सरकारी तनख्वाह पर पलने वाले जनसंपर्क विभाग की रोजी-रोटी तो राग दरबारी गाने से ही चूंकि चलती है इसीलिये वह मुख्यमंत्री के हर दावे पर तारीफ का डंका पीटने में पीछे नहीं रहेगा परन्तु मुख्यमंत्री चाहे सड़कों और चाहे सफाई व्यवस्था को लेकर कितनी भी डींगे हॉंकें परन्तु जब तक वे म.प्र. के कण-कण में व्याप्त भ्रष्टाचार को नियङ्क्षत्रत नहीं करते तब तक मन मैला और तन को धोय वाली स्थिति बनी रहेगी।                         
- रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment