Monday 25 January 2021

जय जवान - जय किसान और जय विज्ञान के साथ जय संविधान का भी उद्घोष हो



देश के दूसरे प्रधानमन्त्री स्व.लालबहादुर शास्त्री ने नारा दिया था जय जवान - जय किसान | वर्तमान प्रधानमन्त्री नरेंद्र मोदी ने उसे विस्तार देते हुए जय जवान - जय किसान - जय विज्ञान कर  दिया | कहने को ये दोनों नारे हैं लेकिन उनके साथ जुड़ी भावनाओं का राष्ट्रीय जीवन में बहुत महत्व है | बीते एक वर्ष में हमारे देश ने जवान , किसान और विज्ञान तीनों की शानदार भूमिका देखी | गत वर्ष गणतंत्र दिवस के समय कोरोना नामक संकट की पदचाप सुनाई देने लगी थी | दो महीने के भीतर ही वह हमारे घर में घुस आया जिससे  एक अभूतपूर्व स्थिति उत्पन्न हुई और पूरा देश ठहर गया | 135  करोड़ से भी ज्यादा की आबादी वाले देश में लॉक डाउन करने का निर्णय बहुत ही जोखिम भरा था | जरा सी चूक अराजकता और अव्यवस्था का कारण बन सकती थी लेकिन भारत के लोगों ने पूरी दुनिया को  दिखा  दिया कि संकट के समय वे  किस तरह एकजुट होकर खड़े होते हैं  | दो महीने से भी ज्यादा पूरा देश  ठहरा रहा  | सब कुछ बंद होने से लोग घरों में रहने मजबूर हो गए | रेल , बस , हवाई जहाज जैसी  सेवाएँ ठप्प होने से जो जहाँ था उसे वहीं रुकना पड़ा | निश्चित रूप से वे अकल्पनीय हालात थे किन्तु  जनता ने जिस अनुशासन का परिचय दिया वह परिपक्वता के साथ ही  दायित्वबोध का अप्रतिम उदहारण बन गया | इसी बीच सीमाओं पर हलचल हुई और चीन द्वारा लद्दाख क्षेत्र में घुसपैठ  किये जाने से युद्ध की नौबत आ गई | गलवान घाटी में हुए खूनी संघर्ष के बाद तनाव चरम पर आ गया | कोरोना से जूझ रहे देश  के सामने सीमा पर आये संकट ने चिंता बढ़ा दी | लेकिन हमारी सेनाओं के हौसले ने चीन को ये एहसास करवा दिया कि 1962 और 2020 के भारत में बहुत अंतर है और अब उसे ईंट का जवाब पत्थर से दिया जाएगा | संभवतः  उसको लग  रहा था कि लॉक डाउन से लड़खड़ाई अर्थव्यवस्था की वजह से भारत सीमा पर सेना की तैनाती का खर्च शायद ही वहन कर  सकेगा जिससे  वह अपने मंसूबे पूरे करने में कामयाब हो जाएगा | लेकिन उसकी उम्मीदों पर पानी फिर गया | हमारे नेतृत्व ने सेना को खुली छूट के साथ ही  भरपूर संसाधन भी दिए जिसके कारण चीन ही नहीं वरन  पूरी दुनिया को ये सन्देश  गया कि भारत का महाशक्ति बनना कपोल कल्पना नहीं अपितु वास्तविकता है | कोरोना के कारण बनी परिस्थितियाँ बेहद चिंताजनक थीं | दुनिया के विकसित देशों में  जिस बड़े पैमाने पर मौत का मंजर  दिखाई दिया उससे हमारे यहाँ भी भय का माहौल था  | विशाल  आबादी , घनी बसाहट और चिकित्सा सुविधाओं की खस्ता हालत के चलते महामारी की आशंका गलत न थी | लेकिन सरकार और जनता के बेहतरीन  समन्वय ने  उसे  निर्मूल साबित कर दिया | लॉक डाउन के चलते जब समूचा उद्योग - व्यापार बंद था तब भी हमारे किसानों ने अपने खेतों में पसीना बहाना जारी रखा जिसका सुपरिणाम रबी फसल में  रिकॉर्ड पैदावार के तौर पर दिखाई दिया | इसी कारण केंद्र  सरकार लॉक डाउन के दौरान 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न बाँटने जैसा दूरदर्शी फैसला लेने की हिम्मत जुटा सकी | सीमा पर जवान और खेतों में किसान अपनी शानदार भूमिका से देश का मनोबल बढ़ाने में कामयाब हुए तो  इस महामारी से लड़ने वाला टीका ( वैक्सीन ) बनाने के लिए हमारे वैज्ञानिकों ने दिन रात एक कर दिया | दुनिया के अनेक देशों में विकसित कोरोना के टीके का भारत  में उत्पादन करने के साथ ही हमारे वैज्ञानिकों ने  विशुद्ध भारतीय टीका भी रिकॉर्ड समय में विकसित करते हुए पूरी दुनिया को चमत्कृत कर दिया | आज एक तरफ जहाँ  देश में दुनिया का सबसे बड़ा टीकाकरण अभियान   शुरू हो चुका है  वहीं पड़ोसी बांग्ला देश से लेकर सुदूर लैटिन अमेरिकी  देश ब्राजील तक को  भारत में बनी कोरोना वैक्सीन की आपूर्ति  हमारी वैज्ञानिक क्षमता का गौरव गान कर रही है | दरअसल  बीते एक वर्ष में  जय जवान - जय किसान जय - विज्ञान के नारे को यथार्थ में बदलकर ये दिखा दिया गया  कि आज का भारत किसी भी मुसीबत से लड़कर उस पर विजय हासिल करने की क्षमता अर्जित कर चुका है | लेकिन ये  तभी संभव हो सका जब देशवासियों ने जबरदस्त अनुशासन और धैर्य के साथ बेहतर समन्वय का उदाहरण पेश किया , जिसके अभाव में हम शायद ही कुछ कर  पाते | गणतंत्र दिवस का पर्व वस्तुतः  एक अवसर है जब हम इस बात का मंथन करें कि संकट न रहने पर भी  देश को सुव्यवस्थित किस तरह बनाकर रखा जा सके क्योंकि गणतंत्र का निहितार्थ ही व्यवस्था है | ये कहना न अनुचित होगा और न ही अप्रासंगिक कि देश  के भीतर कुछ ताकतें हैं जो अराजक हालात बनाने के लिए भरसक कोशिशें कर रही हैं | लोकतान्त्रिक प्रक्रिया में विश्वास न होने से हिंसा और अव्यवस्था फैलाकर समूचे ढांचे को तहस - नहस करना इनकी कार्यप्रणाली का हिस्सा है | जनता के मन में  व्यवस्था के प्रति असंतोष भड़काकर सामाजिक ताने - बाने को छिन्न - भिन्न करने का प्रयास करने वालों को पहिचानकर उन्हें बेनकाब करना गणतंत्र की सुरक्षा के लिए नितान्त आवशयक है | बीते एक साल की काली रात जैसी परिस्थितियों से तो देश सफलतापूर्वक निकल आया लेकिन जिन विघ्नसंतोषियों को ये कामयाबी चुभ रही है वे सही मायनों में जवानों , किसानों और वैज्ञानिकों की मेहनत पर पानी फेरने पर आमादा हैं | उनकी कुत्सित मानसिकता पर कड़ा प्रहार किये बिना गणतंत्र की सलामती नामुमकिन है | इसलिए अब जय जवान - जय किसान - जय विज्ञान के साथ - साथ जय संविधान का नारा भी लगाया जाना जरूरी है | ध्यान देने वाली बात ये है कि 26 जनवरी को गणतंत्र दिवस पर होने वाले आयोजन केवल रस्म अदायगी नहीं बल्कि सार्थक  चिंतन का अवसर है जो किसी भी देश को एकजुट रखने के लिए निहायत जरूरी है |

गणतंत्र दिवस पर हार्दिक शुभकामनाओं सहित ,

रवीन्द्र वाजपेयी


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