Saturday 30 January 2021

छोटे से धमाके के पीछे छिपे हो सकते हैं बड़े खतरे




भले ही  जान - माल का ज्यादा नुकसान न हुआ हो लेकिन दिल्ली में इजरायली दूतावास के समीप कल शाम हुआ बम धमाका न सिर्फ राजधानी की सुरक्षा व्यवस्था के लिए बड़ी चुनौती है अपितु इससे हमारे देश की विदेश  नीति भी प्रभावित हो सकती है।  इस बारे में उल्लेखनीय ये है कि ख़ुफिय़ा एजेंसियों ने गणतंत्र दिवस पर दिल्ली में किसी बड़ी वारदात की आशंका जताई  थी।  उसके चलते सुरक्षा प्रबंध काफी चाक --  चौबंद कर  दिए गये थे।  यूँ भी ऐसे अवसरों पर अव्वल दर्जे की सतर्कता रखी जाती है।  और फिर उस दिन किसान संगठनों की ट्रैक्टर परेड को लेकर भी पुलिस और प्रशासन हरकत में था।  बावजूद उसके लालकिले वाला हादसा हो गया।  किसानों को बेकाबू होने से भी नहीं  रोका जा सका।  उसे अपराधिक घटना मानकर प्रकरण भी  दर्ज कर  लिए गये।  जांच के बाद गिरफ्तारियों की भी  सम्भावना व्यक्त की जा रही है ।  लेकिन सुरक्षा एजेंसियां इस बात को लेकर संतुष्ट हो चली थीं  कि किसी आतंकवादी घटना से दिल्ली बची रही।  किसान  आन्दोलन के भी ठन्डे पड़ने के आसार नजर आने लगे लेकिन अचानक राकेश टिकैत के पैंतरे के बाद दिल्ली के विभिन्न बाहरी हिस्सों में किसान  आन्दोलन ने फिर जोर पकड़ लिया जिससे पुलिस और प्रशासन दोनों दबाव में थे।  उधर राजपथ पर गणतंत्र दिवस का समापन समारोह बीटिंग दि रिट्रीट चल रहा था जिसमें राष्ट्रपति , उपराष्ट्रपति और प्रधानमन्त्री सहित तमाम अति विशिष्टजन मौजूद थे।  उसी समय लगभग दो किलोमीटर दूर इजरायली दूतावास के पास रोड डिवाइडर पर कम तीव्रता का  धमाका हुआ जिससे आस पास खड़े वाहनों के कांच चटक गये।  दूतावास वाले इलाके में हर समय कड़ी सुरक्षा रहती है इसलिये इस धमाके से चारों तरफ हड़कंप मच गया।  जाँच दल को  वहां  इजरायली दूतावास को संबोधित एक चिट्ठी भी मिली जिसमें इसे ट्रेलर बताया गया है । इससे ये आशंका बढ़ गई कि इसके बाद कोई बड़ा हादसा हो सकता है।  मामले की जांच की जा रही है जिसके चलते गृह मंत्री अमित शाह ने बंगाल  दौरा भी रद्द कर दिया।  प्राथमिक संकेत में उक्त घटना के पीछे ईरान और  अमेरिका के बीच चल रही तनातनी को कारण माना जा रहा है।  चूँकि इजरायल पश्चिम एशिया में अमेरिका का सबसे बड़ा समर्थक है इसलिए उसके दूतावास को निशाना बनाया गया।  इसके साथ ही  ईरान द्वारा भारत को  ये आगाह करना  भी हो सकता है कि वह उसकी कीमत पर यदि इजरायल और अमेरिका से नजदीकी बढ़ाएगा तो उसे नुकसान हो सकता है।  याद रहे भारत और ईरान के आपसी  रिश्ते बहुत मधुर रहे जिसका उदहारण सस्ता तेल आयात था लेकिन अमेरिका के दबाव में वह समझौता खटाई में पड़ने से ईरान ने चीन की तरफ झुकाव प्रदर्शित किया।  संयोगवश  कल ही भारत और इजरायल के कूटनीतिक रिश्तों की 29 वीं सालगिरह भी थी।  हालांकि सीधे - सीधे ईरान पर संदेह करना जल्दबाजी होगी क्योंकि आतंकवादी संगठन अक्सर जाँच को भटकाने के लिए भ्रम पैदा करते हैं।  लेकिन दिल्ली की सुरक्षा व्यवस्था पर इस घटना ने सवालिया निशान लगा दिए हैं।  खबर है कि इजरायल अपनी जांच टीम दिल्ली भेजने वाला है जो ऐसे मामलों में बहुत ही पेशेवर मानी जाती है।  उसके आने के बाद मामले के बारे में और अधिक विश्लेषण करना होगा।  इसके पीछे पाकिस्तान की भूमिका से भी इंकार नहीं किया जा सकता जो कश्मीर के रास्ते अभी भी आतंकवाद को पाल - पोस रहा है।  पश्चिम एशिया में इजरायल द्वारा हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात के साथ दोस्ताना समझौते से काफी हलचल है।  भारत भी लगातार इजरायल के करीब आता जा रहा है।  हो सकता है ये ईरान को बर्दाश्त न हो लेकिन वह अपने दूरगामी हितों के मद्देनजर भारत से सीधा पंगा नहीं लेगा।  ऐसे में इस धमाके की सूक्ष्म जाँच जरूरी है क्योंकि धमाका करने वालों ने ट्रेलर की बात कहकर चेतावनी भी दी है जो वैसे तो गले नहीं उतरती लेकिन इस्लामी जगत में आतंकवाद के इतने चेहरे हैं कि उनको  पहिचनाना कठिन हो गया है।  और फिर वे  भी माफिया गैंग की तरह आपसी समझौते करते हुए एक दूसरे की मदद किया करते हैं।  दिल्ली में चल रहे किसान  आन्दोलन के कारण यूँ भी लाखों की भीड़ है जिसकी वजह से पुलिस और प्रशासन दोनों अतिरिक्त दबाव में हैं।  ऐसे में इस तरह की वारदात भले ही देखने में छोटी हो लेकिन उसके पीछे छिपे बड़े खतरे को नजरअंदाज नहीं किया जा सकता।

- रवीन्द्र वाजपेयी

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