Friday 4 February 2022

क्रिप्टो की रहस्यमय दुनिया : न लेने वाले का पता न देने वाले का



 
आगामी वित्त वर्ष के बजट में क्रिप्टो करेंसी पर 30 फीसदी कर लगाये जाने के  प्रावधान  के साथ ही भारतीय क्रिप्टो करेंसी प्रारम्भ किये जाने की घोषणा भी शामिल है | बिटक्वाइन  नामक अदृश्य करेंसी के साथ शुरू हुआ ये चलन आज वैश्विक  स्तर पर समानांतर अर्थव्यवस्था का प्रतीक बन गया है | पूरी दुनिया के लाखों – करोड़ों लोग इस करेंसी में निवेश कर चुके हैं | ऐसा कहा जाता है कि बिटक्वाइन की विनिमय दर  बढ़ते जाने से इन लोगों को अकल्पनीय कमाई हो चुकी है | हालाँकि ज्यादा लालच से इस फेर में फंसे कुछ निवेशकों को नुकसान भी उठाना पड़ा है | यह एक ऐसा निवेश है जिसमें देने और लेने वाले का प्रत्यक्ष संवाद या सम्पर्क नहीं होता | इस व्यवस्था को कौन संचालित कर रहा है और निवेशक के हितों की गारंटी कौन  देता है , ये रहस्य के घेरे में है | शुरुआत में इसे शेयर बाजार की तरह का ही व्यवसाय समझा गया लेकिन धीरे – धीरे ये बात सामने आने लगी कि जिस तरह से दुनिया भर का काला धन स्विस बैंक में  जमा है ठीक उसी तरह से क्रिप्टो करेंसी के जरिये भी काले धन वालों ने अपनी राशि निवेश कर दी | इसका लाभ ये है स्विस बैंक में जमा गुप्त धन पर ब्याज नहीं मिलता जबकि क्रिप्टो करेंसी में जमा पूंजी पर शेयर की तरह मूल्य वृद्धि का लाभ मिलने की सम्भावना रहती है | इसकी शुरुवात किसने और कहाँ की ये अज्ञात है | इस व्यवस्था का संचालन किस शहर या देश से होता है ये भी किसी को नहीं मालूम | इसके लेनदेन की समूची व्यवस्था में मानवीय के साथ ही  बैंक अथवा अन्य वित्तीय संस्थान की किसी भी तरह की भूमिका नजर नहीं आती | बावजूद इसके पूरी दुनिया में इसका चलन हो चुका है | कितने निवेशक इसके साथ जुड़े हैं और उनका कितना धन क्रिप्टो करेंसी में लगा है ये जानकारी किस स्रोत से मिल सकती है ये भी कोई नहीं जानता | डिजिटल की दुनिया में विचरने वाले लोग क्रिप्टो को भविष्य की करेंसी मानने लगे हैं | लेकिन प्रश्न ये है कि जिस करेंसी का कोई भौतिक अस्तित्व  न हो और जिसके भुगतान की कोई वैधानिक गारंटी न हो उसमें निवेश किस हद तक वैध और स्थायी होगा ? मुद्रा के आने के पहले पुराने ज़माने में वस्तु - विनिमय का चलन  था | मुद्रा का आधुनिक स्वरूप भी सभ्यता के साथ ही विकसित होता गया | इसका बड़ा गुण ये है कि एक पैसे से लेकर सबसे बड़ी मुद्रा के भुगतान की वैधानिक जिम्मेदारी किसी न किसी की होती है | इसके पीछे सरकार या फिर केन्द्रीय बैंक होता है | इसीलिये एक देश की मुद्रा अन्य स्थान पर उसके विनिमय मूल्य पर स्थानीय करेंसी से बदली जा सकती है  | बैंक में जमा मुद्रा का विनिमय डेबिट कार्ड नामक प्लास्टिक मुद्रा से भी होता है |  इसके अलावा अच्छे ग्राहकों को क्रेडिट कार्ड भी दिए जाते हैं जिस पर तय सीमा तक उधारी मिल जाती है | आधुनिक मुद्रा प्रणाली का स्थान डिजिटल तकनीक ने आसान कर दिया है | लेकिन जहां  तक क्रिप्टो का इस्तेमाल करने की  बात है तो इसमें निवेशक जो जोखिम उठाता है उसमें होने वाली हानि या धोखाधड़ी से उसको संरक्षण कौन देगा ये भी अज्ञात है | शेयर बाजार में पूंजी  लगाने वाले अथवा बैंक के जमाकर्ता को सरकार और कुछ वैधानिक संस्थाओं द्वारा कुछ न कुछ कानूनी सुरक्षा तो मिलती ही है लेकिन क्रिप्टो में पैसा लगाने वालों के निवेश का मूल्य किस आधार पर बढ़ता या घटता है इसका कोई मान्य आधार या गणित गिनती के लोगों की जानकारी में हो तो हो वरना ये वह अँधा कुआ है जिसकी गहराई किसी को नहीं पता | ये भी  सुनने में आया है कि रातों – रात मालामाल होने के लालच में  दुनिया के लाखों जन क्रिप्टो के कारण कंगाल भी हो चुके हैं | लेकिन वे अपना दुखड़ा किसके सामने रोयें ये भी उनको नहीं पता | भारत में क्रिप्टो की वैधानिकता को लेकर भारी भ्रम की स्थिति है | चूँकि इसमें किया जाने वाला निवेश शायद ही कोई दर्शाता होगा इसलिए इस पर होने वाली आय  पर करारोपण करने से क्या हासिल हो जाएगा ये अब तक कम लोगों को ही पल्ले पड़ा है | हालांकि सरकार और रिजर्व बैंक समय – समय पर इस बारे में आगाह करते रहे हैं लेकिन ये कहने में कुछ भी गलत नहीं है कि काला धन रखने वालों को क्रिप्टो एक जरिया मिल गया अपने पैसे से बिना कुछ किये कमाई करने का | शेयर बाजार में तो क्रेता और विक्रेता की पहिचान होती है जबकि  क्रिप्टो पूरी तरह अनजान व्यक्तियों के बीच का धंधा है जो मांग और पूर्ति के मौलिक अर्थशास्त्रीय सिद्धांत पर आधारित है | जिसमें आभासी मुद्रा किसी वस्तु की तरह बेची और खरीदी जाती है | वायदे के सौदे या फारवर्ड ट्रेडिंग के जरिये तो भौतिक रूप से किसी वस्तु का लेनदेन हुए बिना व्यापार चला करता है जिसे सरल भाषा में सट्टा  भी कहा जा सकता है किन्तु क्रिप्टो के जरिये कौन , क्या और किससे खरीदता  बेचता है ये पूरी तरह से आभासी है | भारत सरकार अपनी जो क्रिप्टो  मुद्रा लाने जा रही है उसका उद्देश्य डिजिटल लेनदेन को प्रोत्साहित करना है | वैसे भी  भारत में ज्यादातर नई पीढ़ी नगदी की  बजाय डिजिटल में ही भुगतान और पैसे का ट्रांसफर करने लगी है | व्यापार जगत भी इसे तेजी से अपनाता जा रहा है | क्रिप्टो मुद्रा के प्रादुर्भाव के बाद मोबाइल लेन - देन में बैंक की भूमिका को भी सीमित किया जायेगा ,ऐसा कहा जा रहा है | हालाँकि इस बारे में अब तक पक्के तौर पर  कोई भी कुछ बताने की स्थिति में नहीं है | ऐसे में  क्रिप्टो करेंसी से आय पर 30 फीसदी कर लगाने से सरकार को क्या हासिल होगा ये बड़ा सवाल है क्योंकि जिसके पास वैध तरीके से कमाया  धन होगा वह ऐसी किसी जगह निवेश  क्यों करेगा जिसमें उसको किसी भी सुरक्षा की गारंटी न हो | भारत सरकार जो क्रिप्टो करेंसी लाने जा रही  है वह डिजिटल लेनदेन का और भी विकसित रूप तो बन सकती है लेकिन उसके जरिये काले  धन की समस्या हल हो जायेगी ये सोचना बुद्धिमत्ता नहीं होगी।

- रवीन्द्र वाजपेयी

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