Monday 7 February 2022

राजनीति को कॉमेडी सर्कस बनाने वाले सिद्धू से न हँसते बन रहा है न रोते



आखिरकार पंजाब में कांग्रेस ने  मौजूदा मुख्यमंत्री चरणजीत चन्नी के चेहरे पर ही चुनाव लड़ने का ऐलान कर दिया | चौंकाने वाली बात ये रही कि इसकी घोषणा  राहुल गांधी ने की  जो  फ़िलहाल पार्टी के सांसद भर हैं | 2019 में उनके द्वारा पार्टी का राष्ट्रीय पद छोड़ने के बाद उनकी माताजी सोनिया गांधी कार्यकारी अध्यक्ष बनीं और उसके बाद संगठन के चुनाव करवाने को लेकर पार्टी के भीतर  जबरदस्त खींचातानी मची हुई है | जी – 23 नामक एक गुट ने तो इसे लेकर विरोध का झंडा तक उठा रखा है |   इसके बावजूद  राहुल ही पार्टी के सारे मसले निपटाते हैं | उन्हीं की पहल पर पंजाब में नवजोत सिंह सिद्धू के अरमानों पर पानी फेरते हुए दलित चेहरे के नाम पर श्री चन्नी की ताजपोशी की गई थी | लेकिन नवजोत ने उनके विरुद्ध  भी वैसे ही मुंह चलाना जारी रखा जैसा वे कैप्टन अमरिंदर सिंह के समय किया करते थे | बीच – बीच में ये हवा भी उड़ती रही कि वे बगावत कर सकते हैं किन्तु आम आदमी पार्टी द्वारा  भगवंत  मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित किये  जाने के बाद श्री सिद्धू के सामने कोई विकल्प नहीं बचा | हालाँकि गांधी परिवार ने ही उन्हें अमरिंदर के सिर पर बिठाकर  ताकतवर बनाया था किन्तु जल्द ही उसको समझ में आ गया कि वे  जरूरत से ज्यादा महत्वाकांक्षी  और अस्थिर दिमाग के इन्सान हैं | उनको पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष बनाये जाने के बाद से ही पंजाब में कांग्रेस में बिखराव शुरू होने लगा ] सुनील जाखड़ और मनीष तिवारी जैसे वरिष्ठ नेताओं को भी उनका धूमकेतु की तरह उभरना रास नहीं आया | यही वजह है कि कांग्रेस पंजाब में बुरी तरह बिखर गई है | उसके तमाम नेता दूसरी पार्टियों में चले गए वहीं टिकिट कटने से नाराज अनेक बागी बनकर चुनाव मैदान में खड़े हैं | बीते दिनों श्री जाखड़ ने ये बयान देकर पार्टी आलाकमान की चिंता बढ़ा दी कि उनको हिन्दू होने के कारण  उपेक्षा का शिकार होना पड़ता है | इस राज्य में चूँकि सिख समुदाय बहुमत में है इसलिए राजनीति में उसका ही वर्चस्व रहा है |  विशेष रूप से जाट सिखों का जिसका प्रतिनिधित्व श्री सिद्धू करते हैं | चूँकि  अकाली दल ने  32 फीसदी दलित मतों की चाहत में बसपा से गठबंधन कर लिया इस कारण  कांग्रेस को   दलित समुदाय के श्री चन्नी को अमरिंदर का उत्तराधिकारी बनाना पड़ा | उसके बाद भी श्री सिद्धू को उम्मीद रही कि वे लटके – झटके दिखाकर पार्टी हाईकमान को इस बात के लिए तैयार कर ही लेंगे कि आगामी चुनाव में उनको बतौर मुख्यमंत्री प्रत्याशी पेश किया जावे | पार्टी का प्रदेश अध्यक्ष होने के बाद भी उन्होंने श्री चन्नी को कमजोर करने का कोई  अवसर नहीं गंवाया | हाल ही में खनिज घोटाले में  रिश्तेदारों के यहाँ पड़े छापों पर मुख्यमंत्री के विरुद्ध सार्वजनिक बयान देने में भी वे नहीं हिचके | उनकी हरकतों से पार्टी हाईकमान को भी ये डर बना रहा कि वे  रायता फैला सकते हैं | इसीलिए उसने आम आदमीं पार्टी के मुख्यमंत्री  उम्मीदवार की घोषणा होने तक अनिश्चितता बनाये रखी | उसके बाद ये शिगूफा भी छोड़ा गया कि  श्री चन्नी और श्री सिद्धू ढाई – ढाई साल के लिए मुख्यमंत्री बनेंगे किन्तु  पहला अवसर किसे दिया जावे ये चुने हुए विधायकों की मर्जी पर होगा |  लेकिन  श्री जाखड़ ने इस फैसले पर ऐतराज जताते हुए  बागी स्वर में बोलना शुरू कर दिया | सुना तो ये भी गया कि भाजपा उन पर डोरे डालने लगी थी | अमरिंदर से भी उनके  अच्छे रिश्ते हैं | ये सब देखने के बाद ही कांग्रेस ने  आखिरकार श्री चन्नी के चेहरे को ही सामने लाने का निर्णय कर लिया जिसकी घोषणा गत दिवस श्री गांधी से करवाई गयी | इस मौके पर उन्होंने श्री सिद्धू की तारीफ भी की और श्री चन्नी ने भी ये कहकर उनको खुश  करना चाहा कि नई सरकार बनने पर वे सिद्धू मॉडल लागू करेंगे | इस बारे में सबसे बड़ी बात ये है कि श्री  चन्नी को ही भावी मुख्यमंत्री बनाये जाने का  फैसला श्री गांधी का है या इसमें उनकी माताजी और बहिन की भी भूमिका है , ये कोई नहीं बता सकता |  अब सवाल ये है कि जब श्री सिद्धू के लिए भविष्य की संभावनाएं भी खत्म कर दी गईं तब वे क्या करेंगे ? क्रिकेट के बाद राजनीति के साथ श्री सिद्धू कामेडी शो में भी बतौर एंकर काफी चर्चित हुए थे | मंत्री बनने के बाद उन्हें वह काम छोड़ना पड़ा | उनकी पत्नी ने हाल ही में अपना दुखड़ा रोते हुए कहा था कि वे  टीवी शो में घंटे भर में 25 लाख कमा लिया करते थे और राजनीति में मनमाफिक स्थान नहीं मिला तब वे  वापिस उसी काम में लौट जायेंगे क्योंकि यहाँ उन्हें आर्थिक नुकसान भी उठाना  पड़ रहा है | स्मरणीय है  मुख्यमंत्री  पद पर आने के पहले श्री चन्नी को श्री सिद्धू का  समर्थक माना जाता था किन्तु सत्ता में आते ही उन्होंने रंग बदल लिया | अपनी ही सरकार के विरुद्ध श्री सिद्धू ने जिस तरह से खुले आम बयानबाजी की उससे ये लग रहा था कि वे पार्टी आलाकमान पर हावी होकर अपने पक्ष में फैसला करवा लेंगे किन्तु गत दिवस श्री गांधी ने उनके सामने ही उनका पत्ता काट दिया और वे मन - मसोसकर रह गये | सही बात तो ये है कि अमरिंदर को हटाने के लिए गांधी परिवार ने उनका चालाकी से उपयोग किया था  और काम होते ही उन्हें किनारे लगा दिया गया | वह भी ऐसे समय जब उनके पास कोई और रास्ता नहीं बचा | इस तरह दूसरों का तमाशा बनाने में सिद्धहस्त नवजोत खुद ही तमाशा बन गये हैं | वैसे आज की राजनीति भी सही मायनों में कॉमेडी सर्कस बनकर रह गई है जिसमें श्री सिद्धू जैसे एक – दो किरदार हर पार्टी में देखने मिलते हैं | 

- रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment