Thursday 15 September 2022

राहुल की यात्रा के दौरान बिखराव होना कांग्रेस के लिए चिंता का विषय



कांग्रेस नेता राहुल गांधी पर उनके विरोधी ये कटाक्ष करते रहे हैं कि भारत जोड़ो यात्रा से पहले उनको कांग्रेस जोड़ो अभियान चलाना चाहिए था | इसके पीछे कांग्रेस में चल रही अंतर्कलह बताई जा रही है | ये भी सुनने में आ रहा है कि जी 23  नामक असंतुष्ट नेताओं के समूह द्वारा विरोध का जो झंडा उठाया गया उससे निपटने में नाकाम गाँधी परिवार ने राहुल की पांच महीने चलने वाली भारत जोड़ो यात्रा का कार्यक्रम बनाया | जो जानकारी आई उसके अनुसार कांग्रेस के वरिष्ट नेता दिग्विजय सिंह और जयराम रमेश बीते अनेक माह से इस यात्रा को पेशेवर तरीके से संपन्न करवाने के काम में जुटे हुए थे | जबकि इसी दौरान पहले कपिल  सिब्बल और उनके बाद  गुलाम नबी आजाद जैसे दो ऐसे नेता कांग्रेस छोड़ गए जो गांधी परिवार के बेहद विश्वासपात्र माने जाते थे | इनके अलावा कुछ और नेताओं का गांधी परिवार के एकाधिकार के विरुद्ध जुबानी  हमला सार्वजनिक रूप से जारी रहा | इस संकट को हल करने में पार्टी की कार्यकारी अध्यक्ष सोनिया गांधी के अलावा राहुल और प्रियंका वाड्रा ने कुछ ठोस कदम उठाये हों ऐसा नजर नहीं आता | राजस्थान में सचिन पायलट और अशोक गहलोत के बीच चल रही खींचातानी अब मंत्रियों पर जूते – चप्पल फेंके जाने तक बढ़ चुकी है | छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और टी. एस . सिंहदेव के बीच रस्साखींच थमने का नाम नहीं ले रही | हिमाचल में आनंद शर्मा कोप भवन में बैठे हैं | गुजरात में भगदड़ लगातार जारी है  | अन्य राज्यों से भी ऐसी ही खबरें लगातार आ ही रही थीं कि गत दिवस गोवा में कांग्रेस के 11 में से 8 विधायक भाजपा में शामिल हो गए | स्मरणीय है विधानसभा चुनाव की टिकिट देते समय कांग्रेस ने इन विधायकों को वफादारी की शपथ दिलवाई थी | इस समय पार्टी  का पूरा ध्यान श्री गांधी की  यात्रा पर केन्द्रित है | उसके तमाम नेता और कार्यकर्ता इस ऊम्मीद को पाल बैठे हैं कि इसके पूरा होने तक कांग्रेस और राहुल दोनों 2024 के लोकसभा  चुनाव में नरेंद्र मोदी के विजय रथ को रोकने लायक शक्ति अर्जित कर लेंगे और जो जनता कांग्रेस से दूर हो चली थी वह दोबारा उसके साथ जुड़ जायेगी | राजनीतिक नेता का जनता से सीधा संवाद हर दृष्टि से लाभदायक होता है | हालांकि इसके तौर – तरीके  समय , काल और परिस्थिति पर निर्भर करते हैं किन्तु प्रत्यक्ष रूप से लोगों के बीच जाना सूचना क्रांति के इस युग में भी सर्वोत्तम है | लेकिन इसी के साथ ये भी देखना चाहिए कि आगे पाट पीछे सपाट वाली स्थिति न बने | गोवा में जो कुछ हुआ उसके लिए कांग्रेस समर्थक भाजपा द्वारा की जाने वाली सौदेबाजी पर उंगली उठा रहे हैं | लेकिन जो जानकारी आ रही है उसके अनुसार वहां पार्टी के भीतर खींचातानी काफी समय से चली आ रही थी जिसे दूर करने में हाईकमान द्वारा जो कि वास्तविक रूप में गांधी परिवार ही है , कुछ ख़ास नहीं किया गया | ये इसलिए सही लगता है कि आगामी वर्ष  विधानसभा चुनाव का सामना करने वाले राज्यों में राजस्थान भी है जहाँ पार्टी के दो बड़े नेताओं के बीच वर्चस्व की जंग बिना रुके जारी है और जिसे जब मौका मिलता है दूसरे पक्ष पर धारदार हमला कर देता है | राजस्थान की ताजा घटना वाकई पार्टी के लिए चिंता का विषय होना चाहिए | अपनी ही सरकार के मंत्री पर जूते फेंकने वालों ने सचिन पायलट के समर्थन में नारे लगाकर अपने इरादे जाहिर कर दिए | बाद में मंत्री महोदय ने भी बिना नाम लिये चुनौती भरे शब्दों में श्री पायलट को ललकारा | इस बारे में रोचक बात ये है कि श्री पायलट और श्री गहलोत दोनों गांधी परिवार के करीबी हैं। लेकिन उनके बीच का झगड़ा दूर करने में किसी की भी रूचि नहीं है | बावजूद इसके कि चुनावी वर्ष में इस तरह के विवाद किसी भी दल के लिए नुकसानदेह होते हैं | ये सब देखते हुए लगता है जैसे कांग्रेस श्री गांधी की यात्रा से ऐसा कोई ब्रह्मास्त्र प्राप्त होने की उम्मीद लगाये बैठी है जिसके प्रयोग से वह अपने राजनीतिक शत्रुओं को चारों खाने चित्त कर देगी | लेकिन वह भूल जाती है कि शत्रु पर विजय तभी प्राप्त होती है जब घरेलू मोर्चे पर भी मजबूती रहे | उस लिहाज से कांग्रेस को अपनी अंदरूनी हालत पर ज्यादा ध्यान देना चाहिए था ,बजाय श्री गांधी को केंद्र बिंदु में रखने के | भारत जोड़ो यात्रा पार्टी का एक कार्यक्रम है जिसकी उपयोगिता और संभावित लाभों से इंकार नहीं किया जा सकता किन्तु उसके फेर में बाकी सब उपेक्षित कर दिया गया तो यात्रा के अंत तक बहुत कुछ हाथ से निकल चुका होगा | केवल भाजपा पर खरीद फरोख्त करने का आरोप लगाने से कांग्रेस अपनी दशा नहीं सुधार सकेगी क्योंकि उसका भाजपा से सीधा मुकाबला तो म.प्र , छत्तीसगढ़ और राजस्थान में ही रह गया है । हिमाचल और गुजरात में आप आदमी पार्टी ने मुकाबले को त्रिकोणीय बना दिया है | बाकी के ज्यादातर राज्यों में क्षेत्रीय पार्टियाँ भाजपा के लिए कांग्रेस से बड़ी चुनौती हैं | ऐसे में अगर कांग्रेस से नेताओं  का निकलना  इसी तरह जारी रहा तब उसको विपक्षी दल भी कितना वजन देंगे ये प्रश्न बेहद महत्वपूर्ण है | ये देखते हुए कांग्रेस के लिए जरूरी है कि वह राहुल की यात्रा रूपी मोर्चे पर पूरा ध्यान केन्द्रित करने की बजाय अपने संगठन को बिखरने से बचाने पर भी ध्यान दे | उसे इस बात का फैसला भी करना होगा कि श्री गांधी की भारत जोड़ो यात्रा उनको मजबूत करने के लिए हो रही है या फिर कांग्रेस को ? 

- रवीन्द्र वाजपेयी

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