हरियाणा के पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला शिक्षक भर्ती घोटाले में लम्बी कैद काटकर रिहा होते ही फिर सक्रिय हो उठे | गत दिवस अपने पिता पूर्व उप प्रधानमंत्री स्व. देवीलाल की 109 वीं जयन्ती पर राज्य के फतेहाबाद में उन्होंने विपक्षी दलों का जो सम्मलेन किया वह इस आधार पर विफल कहा जा सकता है क्योंकि लगभग डेढ़ दर्जन विपक्षी नेताओं को आमन्त्रण दिए जाने के बावजूद उनमें से पहुंचे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार , उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और एनसीपी प्रमुख शरद पवार ही वे चेहरे रहे जिनकी राजनीतिक अहमियत है | जहाँ तक बात अकाली दल के सुखबीर सिंह बादल और सीपीएम नेता सीताराम येचुरी का सवाल है तो इनकी हैसियत अब पिछलग्गू से ज्यादा नहीं रह गई है | शिवसेना ने अपना नुमाइंदा भेजकर रस्म अदायगी कर दी | लेकिन कांग्रेस , टीआरएस , सपा , बसपा , बीजद , तृणमूल और आम आदमी पार्टी जैसी विपक्षी पार्टियों की अनुपस्थिति ने श्री चौटाला के उत्साह पर पानी फेर दिया | सही बात तो ये है कि इसके जरिये वे हरियाणा में अपनी ताकत दिखाना चाहते थे | चौधरी देवीलाल की विरासत के दावेदार रहे ओमप्रकाश अनेक वर्षों तक जेल में रहने के कारण राज्य में आप्रसंगिक हो चुके हैं | उनके परिवार में भी बिखराव आ चुका है | जिस भाजपा को कल के सम्मलेन में कोसा गया उसी के साथ हरियाणा में उनके पौत्र दुष्यंत उपमुख्यमंत्री बने हुए हैं | भले ही नीतीश , तेजस्वी और शरद पवार ने मंच से भाषण दिए लेकिन विपक्षी एकता की धुरी बनने की जो योजना श्री चौटाला ने बनाई वह कारगर नहीं हो सकी | वैसे भी विपक्ष की एकता मेंढक तोलने जैसी होती जा रही है | कहने को तो सब भाजपा को हराने का दम भरते हैं लेकिन महत्वाकांक्षाओं की टकराहट के चलते एक कदम आगे दो कदम पीछे वाली स्थिति बनी हुई है | हरियाणा की राजनीति में कांग्रेस ही भाजपा की प्रमुख प्रतिद्वंदी रही है | ऐसे में उसके बिना श्री चौटाला की कोशिश का असर उनके राज्य में ही संभव नहीं दिखता | देखने वाली बात ये भी है कि उनकी अपनी छवि बेहद दागदार रही है जिसकी वजह से अनेक विपक्षी नेता सम्मेलन से कटे रहे | सबसे बड़ा मुद्दा ये है कि जब वे अपने परिवार को ही एक मंच पर लाने में कामयाब नहीं हो पा रहे तब बाकी विपक्षी दल भी भला उन्हें भाव क्यों देने लगे ?
- रवीन्द्र वाजपेयी
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