Friday 16 September 2022

समूचे विपक्ष को भाजपा का एजेंट बताकर जयराम ने चला दाँव



कांग्रेस के थिंक टैंक में शामिल जयराम रमेश गंभीर किस्म के नेता हैं और राजनीतिक मामलों में काफ़ी सोच – समझकर बोलते हैं | गत दिवस उन्होंने  बिना लाग - लपेट के कह दिया कि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा का उद्देश्य विपक्षी एकता न होकर पार्टी को मजबूत करना है | उल्लेखनीय है वे इस यात्रा का प्रबंधन देख रहे हैं | बात को स्पष्ट करते हुए श्री रमेश ने कहा कि सभी पार्टियों ने अतीत में कभी न कभी कांग्रेस को कमजोर करने का काम किया है | सबसे चौंकाने वाली बात ये रही कि श्री रमेश ने सीपीएम पर निशाना साधते हुए उसे भाजपा की ए टीम बताया | स्मरणीय है कि जब ममता बैनर्जी ने प. बंगाल में कांग्रेस छोड़कर तृणमूल कांग्रेस बनाई थी तब उनका आरोप था कि काँग्रेस सीपीएम की बी टीम है | वह बात विगत विधानसभा चुनाव में सही साबित हुई जब प. बंगाल में कांग्रेस और वाममोर्चा ने मिलकर ममता के विरुद्ध मोर्चा बनाया | लेकिन दूसरी तरफ केरल में कांग्रेस और वाम  मोर्चा एक दूसरे के  ऐलानिया दुश्मन हैं | श्री रमेश द्वारा की गई यह टिप्पणी  किसी कांग्रेस नेता द्वारा वामपंथी दल पर किया गया सबसे तीखा हमला कहा जा सकता है | वे यहाँ तक बोल गए कि सीपीएम राष्ट्रीय स्तर पर तो कांग्रेस का समर्थन करना चाहती है किन्तु केरल में उसने भाजपा से समझौता कर रखा है | वे ये कहने से भी नहीं चूके कि वामपंथी दलों सहित अन्य विपक्षी दलों ने भी कांग्रेस को रोकने किसी न किसी रूप में भाजपा से हाथ मिला रखा है | उन्होंने सीपीम के बारे में इस तरह की टिप्पणी उस वक्त की जब श्री गांधी की यात्रा सीपीएम की सत्ता वाले राज्य केरल में ही है जहां की वायनाड  सीट से ही वे सांसद भी हैं | यदि ये टिप्पणी यात्रा के दूसरे प्रभारी दिग्विजय सिंह द्वारा की जाती तब शायद उसे गंभीरता से न लिया गया होता लेकिन श्री रमेश की छवि को देखते हुए ये माना जा सकता है कि उन्होंने विपक्षी दलों ख़ास तौर पर सीपीएम के बारे में जो कहा वह श्री गांधी की भावी राजनीति का हिस्सा है | ऐसे समय जब पूरे देश में विपक्षी एकता की कोशिशें चल रही हैं तब यात्रा के मुख्य प्रबंधक द्वारा विपक्षी दलों पर ये आरोप लगाना कि सभी ने किसी न किसी रूप में भाजपा से हाथ मिला रखा है , उन्हें ये एहसास करवाने का दांव हो सकता है  कि भाजपा का विरोध बिना कांग्रेस को केंद्र में रखे असम्भव है | वैसे श्री रमेश का ये कटाक्ष वास्तविकता के धरातल पर इसलिए सही प्रतीत होता है कि कांग्रेस ही  एकमात्र पार्टी है जिसने कभी भी भाजपा के साथ प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से गठजोड़ नहीं किया जबकि वामपंथी दलों के अलावा समाजवादी विचारधारा से निकले सभी दलों ने उसकी संगत की  है | आज विपक्ष की एकता का झंडा उठाये फिर रहे नेताओं में ममता , नीतीश , केसीआर भी अतीत में भाजपा से हाथ मिला चुके हैं | तमिलनाडु की दोनों प्रमुख पार्टियाँ भी केंद्र की राजनीति में भाजपा की सहयोगी रह चुकी हैं | यहाँ तक कि जम्मू कश्मीर में भाजपा की दुश्मन नंबर एक नेशनल कांफ्रेंस और पीडीपी तक ने उसके साथ केंद्र और राज्य में सत्ता सुख लूटा | विपक्ष के वे दल जो अब तक भाजपा की संगत से अछूते रहे उनका राष्ट्रीय राजनीति में खास महत्व नहीं है | आम आदमी पार्टी का जहाँ तक सवाल है वह वैसे तो भाजपा से टकराने का दम भरती है लेकिन उसका भी असली निशाना  कांग्रेस ही है जिसे कमजोर किये बिना अरविन्द केजरीवाल की राष्ट्रीय विकल्प बनने की महत्वाकांक्षा अधूरी रहेगी | बीते कुछ सालों में मुस्लिमों के नेता के तौर पर उभर रहे असदुद्दीन ओवैसी पर तो सभी  विरोधी सभी दल आरोप लगाते हैं कि वे भाजपा के एजेंट हैं और मुस्लिम मतों में बंटवारा  करवाकर उसे जितवाने में सहायक बनते हैं | हरियाणा में 25 सितम्बर को स्व. देवीलाल की जयन्ती पर उनके बड़े बेटे पूर्व मुख्यमंत्री ओमप्रकाश चौटाला द्वारा विपक्षी नेताओं का जो जमावड़ा किया जा रहा है उसमें भी आम आदमी पार्टी और कांग्रेस को नहीं बुलाया गया जबकि विपक्ष के अधिकांश बड़े चेहरे उसमें शामिल होने की स्वीकृति दे चुके हैं | गौरतलब है श्री चौटाला के पोते दुष्यंत हरियाणा की वर्तमान सरकार में भाजपा के साथ उपमुख्यमंत्री बने हुए हैं | इस प्रकार  श्री रमेश की टिप्पणी के गहरे राजनीतिक निहितार्थ हैं जिसके जरिये उन्होंने वामपंथियों सहित समूचे विपक्ष पर ये तोहमत लगा दी कि उन सभी ने भाजपा के साथ हाथ मिला रखा हैं | देखने वाली बात ये होगी कि विपक्ष उनकी इस बात पर क्या प्रतिक्रिया व्यक्त करता है क्योंकि केरल से निकलने के बाद श्री गांधी की यात्रा ज्योंही कर्नाटक , आंध्र और तेलंगाना में प्रविष्ट होगी त्योंही उनका सामना उन क्षेत्रीय दलों से भी होने लगेगा जो भाजपा के विरोधी तो हैं लेकिन कांग्रेस को भी अपने प्रभावक्षेत्र में पाँव जमाने की जगह  देने तैयार नहीं हैं | हो सकता है  इसीलिये श्री रमेश ने टिप्पणी के जरिये इन दलों को कठघरे में खड़ा करने का पैंतरा चला हो | हालाँकि श्री गांधी ने यात्रा में अभी तक केवल भाजपा और रास्वसंघ पर ही निशाने साधे हैं लेकिन अब तक वे ये एहसास उत्पन्न नहीं कर सके कि 2024 के महा मुकाबले में वे ही नरेंद्र मोदी के मुकाबले विपक्ष का चेहरा बनेंगे | ऐसे समय में जब विपक्षी खेमे के अनेक छत्रपों द्वारा भाजपा विरोधी मोर्चा बनाने की भरसक कोशिश चल रही है तब श्री रमेश के मुंह से समूचे विपक्ष पर भाजपा से हाथ मिलाये रखकर कांग्रेस को रोकने जैसा आरोप साधारण बात नहीं है | इस टिप्पणी को  उनकी निजी राय बताकर पल्ला झाड़ लेना भी कांग्रेस के लिए आसान नहीं होगा श्री क्योंकि वे आजकल 24 घंटे श्री गांधी के साथ ही बने हुए हैं | देखना ये है कि ममता , नीतीश और केसीआर जैसे विपक्षी एकता के पैरोकार श्री रमेश के आरोप पर क्या सफाई देते हैं जिसकी वजह से पूरे विपक्ष की विश्वसनीयता संदेह के घेरे में आ गई  है |

- रवीन्द्र वाजपेयी

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