Tuesday 6 September 2022

आम आदमी पार्टी और कांग्रेस की दुश्मनी विपक्षी एकता में रोड़ा

 

गुजरात के चुनाव नजदीक हैं | राजनीतिक दलों द्वारा रस्ते का माल सस्ते में की आवाज लगा – लगाकर मतदाता रूपी ग्राहकों को लुभाने का जतन किया जा रहा है | इस धंधे में अग्रणी कहे जाने वाले आम आदमी पार्टी के संयोजक हर हफ्ते गुजरात जाकर मुफ्त बिजली , शिक्षा , चिकित्सा , बेरोजगारों को हर माह 3 हजार और महिलाओं को 1 हजार भत्ता  देने का  वचनपत्र बाँट रहे हैं | पुराने बिजली देयक माफ़ करने का भी आश्वासन दिया जा रहा है | दिल्ली मॉडल उनके वायदे का आधार है | लेकिन गत दिवस गुजरात गये राहुल गांधी ने भी कांग्रेस की डिस्काउंट सेल लगा दी | इसमें 300 यूनिट मुफ्त बिजली , 10 लाख सरकारी रोजगार , कोरोना में मारे गये लोगों के परिवारों को 4 लाख , लड़कियों को मुफ्त शिक्षा , 3 हजार अंग्रेजी माध्यम के विद्यालय और रसोई गैस का सिलेंडर महज 500 रु. में देने का ऐलान किया गया है | ज्यों – ज्यों चुनाव नजदीक आते जायेंगे आश्वासनों की सूची  और आकर्षक बना दी जायेगी | चुनावी पंडित इस बार के चुनाव में आम आदमी पार्टी को कांग्रेस के मुकाबले ज्यादा भाव दे रहे हैं | दावा किया जा रहा है कि गुजरात के युवा इस पार्टी के साथ तेजी  से जुड़ रहे हैं | इसका कारण कांग्रेस के कुनबे में आया बिखराव है | श्री  गांधी का दौरा होने के एक दिन पहले राज्य के युवक कांग्रेस अध्यक्ष विश्वनाथ सिंह वाघेला ने पार्टी छोड़ दी | कार्यकारी अध्यक्ष हार्दिक पटेल पहले ही भाजपा में जा चुके हैं | दरअसल अहमद पटेल के न रहने के बाद गुजरात में कांग्रेस नेतृत्वशून्य हो चुकी है जिसका लाभ लेने आम आदमी पार्टी पूरे जोर – शोर से लगी है | उसका सोचना है कि यदि वह गुजरात में भाजपा के प्रमुख प्रतिद्वंदी के तौर पर उभर सकी तब राष्ट्रीय स्तर पर बतौर विकल्प उसकी स्वीकार्यता बढ़ जायेगी | शायद इसीलिये राहुल ने गत दिवस इस पार्टी को उसी के हथियार से कमजोर करने का दांव चला | दरअसल आम आदमी पार्टी ने सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस का ही अब तक किया है | दिल्ली के बाद पंजाब में भी उसे ही हराकर सत्ता छीनी | कुछ माह पहले संपन्न विधानसभा चुनावों में उत्तराखंड और गोवा में भी आम आदमी पार्टी का बड़ा हल्ला था लेकिन नतीजों में वह फुस्स साबित हुई लेकिन उसने कांग्रेस का कबाड़ा करवा दिया |  गुजरात में चूंकि कांग्रेस अब तक की सबसे कमजोर स्थिति में है इसलिए आम आदमी पार्टी को ये लग रहा है यदि उसने यहाँ अच्छा प्रदर्शन किया तब वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के किले में सेंध लगाने का दावा करते हुए 2024 के लोकसभा चुनाव में बड़े खिलाड़ी के तौर पर मैदान में उतरेगी | वैसे लोकसभा चुनाव के पहले विपक्षी मोर्चेबंदी के लिहाज से गुजरात का चुनाव अच्छा अवसर साबित हो सकता है | लेकिन अपने आपको कट्टर ईमानदार कहने वाली आम आदमी पार्टी कांग्रेस से हाथ मिलायेगी इसमें संदेह है | कांग्रेस भी 2014 में भाजपा को रोकने के लिए दिल्ली में श्री केजरीवाल की अल्पमत सरकार को टेका लगाने की सजा आज तक भोग रही  है |  गत दिवस बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने दिल्ली में श्री गांधी  से मुलाकात की थी और  आज वे श्री केजरीवाल से मिल रहे हैं | लेकिन गुजरात में विपक्षी गठबंधन बनाना उनकी विषयसूची में नहीं है | उधर पंजाब में मिली जीत से उत्साहित आम आदमी पार्टी हिमाचल प्रदेश में भी कांग्रेस की जड़ें खोदने में जुटी हुई है | ऐसे में सवाल ये है कि क्या नीतीश कुमार और तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.सी रेड्डी जिस विपक्षी एकता के लिये हाथ पाँव मार रहे हैं उसमें आम आदमी पार्टी साथ होगी या नहीं ? ये इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि श्री केजरीवाल की रणनीति आम आदमी पार्टी को कांग्रेस की जगह भाजपा का विकल्प साबित करना है | ऐसे में कांग्रेस के साथ गठबंधन में  शरीक होना उसकी सम्भावना को कमजोर करने वाला होगा | ये देखते हुए नीतीश , श्री केजरीवाल को विपक्षी मोर्चे में शामिल करवा पाएंगे इसमें संदेह है | गुजरात में श्री गांधी ने गत दिवस जिस तरह के वायदे किये वे आम आदमी पार्टी को परेशान करने वाले हैं क्योंकि यही तो उसकी  भी रणनीति का हिस्सा है | नीतीश कुमार निश्चित तौर पर विपक्ष की उम्मीद के रूप में उभरे हैं लेकिन टुकड़ों में बंटी विपक्षी राजनीति को केवल भाजपा और मोदी विरोध के नाम पर एकजुट करना आसान नहीं है क्योंकि सबके अपने प्रभावक्षेत्र हैं जहां वे किसी और का प्रवेश बर्दाश्त करने तैयार नहीं होते | इसीलिये आम आदमी पार्टी दिल्ली और पंजाब में कांग्रेस और अकाली दल के लिए सीटें छोड़ने की दरियादिली दिखायेगी ये सम्भव नहीं दिखता | हाल ही में दिल्ली के उपमुख्यमंत्री मनीष सिसौदिया के यहाँ सीबीआई के छापे का  कांग्रेस ने जिस तरह स्वागत किया उसके बाद  आम आदमी पार्टी उसके  साथ किसी भी तरह का रिश्ता रखने तैयार नहीं होगी | राजनीतिक विश्लेषक भी अब ये मानने लगे हैं कि श्री मोदी द्वारा कांग्रेस मुक्त भारत का जो नारा दिया गया उसे वास्तविकता में बदलने के  काम में  आम आदमी पार्टी भी अप्रत्यक्ष रूप से  मदद कर रही है | गुजरात और हिमाचल में भाजपा से सत्ता छीनने में जुटी आम आदमी पार्टी यदि मुख्य विपक्ष ही बन बैठी तो वह भी कांग्रेस का बड़ा नुकसान होगा क्योंकि उसकी वजह से 2024 में राहुल की ताजपोशी का सपना हवा हवाई होकर रह जायेगा |


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