Saturday 26 August 2023

अवैध कालोनियों को वैध करना जनहित में किंतु भविष्य में सख्ती जरूरी



म.प्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने गत दिवस प्रदेश की 2700 से अधिक अवैध कालोनियों को वैध घोषित कर उनमें रहने वाले लाखों लोगों को राहत की सांस लेने का अवसर प्रदान कर दिया। इनमें अनेक कालोनियां तो दशकों पहले बनाई गई थीं।अपने घर का सपना  साकार करने के लिए निम्न और मध्यम वर्ग के लोगों ने इन कालोनियों में अपनी मेहनत की कमाई निवेश कर दी। स्थानीय निकायों में व्याप्त भ्रष्टाचार के कारण मकानों  के नक्शे भी स्वीकृत हो गए । उसके बाद वोटों की चाहत में जनप्रतिनिधियों ने वहां बिजली के खंबे लगवा दिए । पानी की पाइप लाइन भी पहुंचा दी गई। लेकिन अवैध कालोनी होने से सड़क , नाली बनाने जैसे कार्य रुके  रहे । जिन कालोनाइजरों ने ऐसी कालोनियाँ बनाईं वे तो पैसा कमाकर चलते बने किंतु उनमें रहने वाले अपने आशियाने के उजड़ जाने के मानसिक तनाव में जी रहे थे  ।  लंबे समय से ये मांग उठती आ रही थी कि इन कालोनियों को वैधता प्रदान की जाए। सरकार भी इनको लेकर अपराध बोध से ग्रसित थी क्योंकि उसका अपना अमला ही इसके लिए जिम्मेदार है। यदि स्थानीय निकाय के अधिकारी - कर्मचारी कर्तव्यनिष्ठ हों तो अवैध कालोनी अस्तित्व में आ ही नहीं सकती । इसलिए ये कहना पूरी तरह सही है कि इनका निर्माण सरकारी मशीनरी द्वारा जानबूझकर की गई अनदेखी के चलते हुआ जिसका कारण किसी से छिपा नहीं है। अन्यथा नौकरशाही के ईमानदार रहते किसी की क्या मजाल है कि कालोनी तो बड़ी बात है , एक मकान भी नियम विरुद्ध बना सके। हालांकि इनमें भूखंड खरीदने वाले की भी ये जिम्मेदारी होती है कि वह कालोनी की वैधता जांच ले किंतु वास्तविकता ये है कि साधारण लोग इतनी गहराई में नहीं जाते और कालोनाइजर तथा बिल्डर  की लुभावनी बातों में फंसकर अपना पैसा फंसा देते हैं। अनेक अवैध कालोनियां ऐसी हैं जिनमें रहने वाले नारकीय स्थिति में जिंदगी बसर कर रहे हैं। विकास होना तो दूर रहा  अवैध होने के कारण आशियाना उजड़ने का डर उनको हमेशा सताया करता था। मौजूदा परिस्थितियों में जब सरकारी भूमि पर बसी झुग्गी झोपड़ी हटाने में भी कानूनी से ज्यादा मानवीयता आड़े आती है तब लाखों घरों को उजाड़ने की कल्पना करना भी असंभव प्रतीत होता है। ये देखते हुए मुख्यमंत्री श्री चौहान की सरकार द्वारा अवैध कालोनियों को  वैधता प्रदान करने का फैसला व्यवहारिक तौर पर समझदारी भरा है।  इसका सबसे बड़ा लाभ ये होगा कि एक तो शासन को इनसे करों की  आय होने लगेगी और दूसरा ये कि उनमें रह रहे लाखों लोगों को समुचित विकास का लाभ मिलेगा। मुख्यमंत्री ने ये स्पष्ट कर दिया कि आगे से अवैध कालोनी बनाने नहीं दी जावेगी । लेकिन ऐसा करने के लिए सरकारी मशीनरी में कसावट लाते हुए उसके मन में ये बात बिठानी जरूरी है कि अवैध कालोनी या उस जैसा कोई भी निर्माण होने पर उसके लिए  संबंधित कालोनाइजर और बिल्डर  तो कसूरवार माना ही जाएगा किंतु अवैध निर्माण को न रोकने वाले अधिकारी और उसके अधीनस्थों पर भी कड़ी कार्रवाई होगी। सही बात तो ये है कि अवैध निर्माण और अतिक्रमण हमारे देश में एक प्रवृत्ति के तौर पर विकसित हो गए हैं। अवैध कालोनियां और झोपड़ पट्टियां लाइलाज बीमारी बन गई हैं । शिवराज सरकार ने अवैध कालोनियों को वैध बनाकर जिस मानवीय पहलू को ध्यान में रखा उसकी जरूरत से कोई इंकार नहीं करेगा । लेकिन देखने वाली बात ये भी है कि अवैध कालोनी , बहुमंजिला काम्प्लेक्स और झुग्गियों की बसाहट में नौकरशाही के साथ राजनेताओं की भी महती भूमिका रहती है। ऐसे में राजनीतिक दलों का भी ये दायित्व है कि अवैध निर्माण करवाने वाले कालोनाइजर , बिल्डर और माफिया को संरक्षण देने से परहेज करें। अक्सर देखा गया है कि किसी अवैध निर्माण को तोड़ने के विरोध में नेतागिरी होने लगती है। इसलिए मुख्यमंत्री श्री चौहान का ये कहना पूरी तरह जायज है कि भविष्य में बनने वाली अवैध कालोनी के विरुद्ध पूरी तरह सख्ती बरती जाएगी। इसमें दो मत नहीं है कि समाज के गरीब और निम्न आय वर्ग के लोगों के लिए  अपना  घर बनाना आज भी सपना है। श्री चौहान ने माफिया से खाली कराई गई हजारों एकड़ भूमि गरीबों को पट्टे पर देने की जो घोषणा की वह भी सही निर्णय है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत बेघरबारों को घर देने की जो योजना शुरू की गई उसके सुखद परिणाम आ रहे हैं। मुंबई में  एशिया की सबसे बड़े झोपड़पट्टी धारावी को सुविकसित कर वहां रह रहे लोगों को पक्के मकानों में स्थानांतरित करने की जो योजना है उसको बाकी शहरों में भी लागू किया जाए तो अरबों -  खरबों की सरकारी जमीन का व्यवसायिक उपयोग किया जा सकता है । साथ ही उस पर काबिज गरीब  भी पक्के घरों में जाकर बेहतर जिंदगी जी सकेंगे। शिवराज सरकार ने अवैध कालोनियों से अवैध का ठप्पा हटाकर सामयिक निर्णय लिया है। लेकिन  भविष्य में अवैध कालोनी बनाने जैसी हिमाकत कोई न कर सके उसके लिए शासन और प्रशासन के साथ ही नेताओं को भी सतर्क रहना होगा । अवैध निर्माण कानूनी अपराध होने के साथ ही सामाजिक बुराई भी है जिसे मिटाए बिना शहर , कस्बे और यहां तक कि गांव तक का व्यवस्थित विकास संभव नहीं है।

- रवीन्द्र वाजपेयी 

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