Monday 28 August 2023

आधी आबादी को साधने का दांव शिवराज का तुरुप का पत्ता




म.प्र के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान मैदानी राजनीति के अनुभवी खिलाड़ी बन चुके हैं। इसमें कोई शक नहीं कि प्रदेश की राजनीति में इस समय उनसे मेहनती राजनेता और कोई नहीं है । और ये भी कि उनका चेहरा शहरों के अलावा ग्रामीण क्षेत्रों में भी जाना - पहिचाना है। लंबे समय  से सत्ता में रहने के कारण प्रदेश के प्रत्येक हिस्से में उनका आना - जाना बना रहा । इसलिए  उनकी  छवि उन नेताओं से अलग है जो चुनाव के समय ही चेहरा दिखाते हैं। ये कहना भी गलत नहीं है कि श्री चौहान हर समय खुद को मुकाबले के लिए तैयार रखते हैं। प्रदेश विधानसभा के आगामी चुनाव हेतु कांग्रेस ने ये  माहौल बनाया था कि वह 2018 के परिणाम को  दोहराते हुए भाजपा को सत्ता से दूर कर देगी। कमलनाथ को मुख्यमंत्री पद का दावेदार बनाकर उसने बढ़त लेने की कोशिश की थी । चूंकि भाजपा में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर काफी सुगबुगाहट थी इसलिए कांग्रेस को उस पैंतरे से  मनोवैज्ञानिक लाभ होता दिखाई देने लगा किंतु ज्योंही वह अनिश्चितता खत्म हुई त्योंही शिवराज सिंह ने पूरी ताकत से मुकाबले में उतरने का हौसला दिखाते हुए कांग्रेस पर ताबड़तोड़ हमले करने का दांव चला। कांग्रेस ने महिलाओं को 1500 रु. हर महीने देने के साथ ही 500 रु.में गैस सिलेंडर देने का वायदा कर भाजपा पर दबाव बनाने की जो कोशिश की वह श्री चौहान के एक ही वार में फुस्स हो गई जब उन्होंने लाड़ली बहना नामक योजना के अंतर्गत जून महीने से करोड़ों महिलाओं को प्रति माह 1000  रु. देने के साथ ही ये वायदा भी कर दिया कि धीरे - धीरे इसे 3000 रु.तक बढ़ा दिया जावेगा। और गत दिवस भोपाल में प्रदेश भर से एकत्र हुए लाखों महिलाओं के बीच 250 रु. उनके खाते में जमा करवाते हुए कहा कि अब अक्टूबर से उनको 1250 रु. दिए जावेंगे । इस तरह कांग्रेस का वायदा तो हवा में रह गया किंतु शिवराज सिंह ने करोड़ों बहनों के खाते में पैसे जमा करवाना शुरू कर दिया। कांग्रेस इस पैंतरे के सामने असहाय होकर रह गई। गत दिवस उन्होंने सावन के महीने में 450 रु. का गैस सिलेंडर देने की घोषणा कर एक और जबरदस्त चाल चलते हुए कांग्रेस को पिछले पांव पर जाने मजबूर कर दिया। साथ ही सितंबर में बढ़े हुए बिजली बिल माफी के अलावा महिलाओं को नौकरी में 35 फीसदी  आरक्षण  और 100 रु. में बिजली के अलावा महिलाओं के सामूहिक विरोध पर शराब दुकान बंद करने जैसी घोषणा कर आधी आबादी को अपने पाले में खींचने का जो दांव चला उसका कांग्रेस के पास फिलहाल कोई जवाब नहीं है। सबसे बड़ी बात ये है कि कांग्रेस वायदा करती रह गई लेकिन  शिवराज सरकार ने एक कदम आगे बढ़कर वायदे को कार्यरूप में बदलकर अपनी  विश्वसनीयता स्थापित कर ली। अपनी शुरुआती पारियों में श्री चौहान ने लाड़ली लक्ष्मी योजना के जरिए पूरे देश में ख्याति अर्जित की थी। हाल ही में उन्होंने छात्राओं को स्कूटी प्रदान कर युवा मतदाताओं को आकर्षित किया। लाड़ली बहना की पात्र महिलाओं की बेटियों को निःशुल्क शिक्षा की सुविधा का ऐलान भी शिवराज सिंह का बेहद प्रभावशाली कदम है। कुल मिलाकर ये कहा जा सकता है कि मुख्यमंत्री ने औपचारिक तौर पर चुनावी मुकाबला शुरू होने के पहले ही दबाव से बाहर आकर कांग्रेस को रक्षात्मक होने बाध्य कर दिया है। 2018 में भाजपा थोड़े से  अंतर से चूक गई थी जिसके लिए पार्टी के अति आत्मविश्वास को जिम्मेदार ठहराया गया । ऐसा लगता है इस बार मुख्यमंत्री किसी भी प्रकार की खुश फहमी से दूर रहते हुए कोई कसर नहीं छोड़ रहे। इसीलिए वे कांग्रेस के वायदों के जवाब में नई - नई योजनाओं को अमल में लाकर मतदाताओं पर असर छोड़ने में जुटे हैं। और कुछ  समय पहले तक जो  राजनीतिक विश्लेषक ये मानकर चल रहे थे कि इस बार मुकाबला बेहद कड़ा होगा और कांग्रेस मजबूती के  साथ चुनौती पेश करेगी ,  वे भी मानने लगे हैं कि शिवराज सिंह की सक्रियता और आक्रामक शैली ने  कांग्रेस को फिलहाल तो ठहराव की स्थिति में ला दिया है। भाजपा ने 39 प्रत्याशी घोषित करने का निर्णय लेकर भी कांग्रेस पर मनोवैज्ञानिक दबाव बना दिया है। इसमें दो राय नहीं है कि कांग्रेस कुछ महीनों पहले तक जिस आक्रामक अंदाज में नजर आ रही थी उसमें लगातार कमी आ रही है। ये भी महसूस होने लगा है कि कमलनाथ अकेले ही मैदान में जूझ रहे हैं। दूसरी पंक्ति के नेता भी प्रभाव नहीं छोड़ पा रहे। एकमात्र दिग्विजय सिंह ही कांग्रेस के दूसरे चेहरे हैं लेकिन वे जितना  फायदा करते हैं उससे  ज्यादा अपने बयानों से पार्टी को नुकसान पहुंचाते हैं। चुनावों की तारीखों का ऐलान अक्टूबर के पहले सप्ताह में संभावित है। उसके साथ ही आचार संहिता लग जायेगी और तब नए कार्यक्रमों और योजनाओं का ऐलान नहीं हो सकेगा और इसीलिए मुख्यमंत्री बिना समय गंवाए लोक लुभावन घोषणाएं  करते जा रहे हैं। कांग्रेस को उम्मीद थी कि वह सत्ता विरोधी रुझान का लाभ लेकर भाजपा पर हावी हो सकेगी किंतु मुख्यमंत्री ने उल्टे  दबाव कांग्रेस पर बना दिया। हालांकि चुनाव में लगभग दो माह हैं और आज के दौर में राजनीति भी टी - ट्वेंटी क्रिकेट जैसी हो गई है किंतु शिवराज सिंह धीरे - धीरे अपना स्कोर जिस तरह बढ़ा रहे हैं उसका पीछा कांग्रेस किस तरह करती है ये देखने वाली बात होगी।

- रवीन्द्र वाजपेयी 

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