Wednesday 13 September 2023

अपने नेता पुत्रों के सनातन विरोधी बयानों पर कांग्रेस की चुप्पी सवाल खड़े कर रही


जी -20 सम्मेलन समाप्त होते ही लोगों का ध्यान एक बार फिर घरेलू मामलों पर केंद्रित होने लगा है। विशेष रूप से तमिलनाडु सरकार में मंत्री उदयनिधि द्वारा सनातन धर्म के बारे में दिए गए आपत्तिजनक बयान को लेकर देश भर में हिंदू धर्मावलंबी अक्रोशित हैं। सनातन धर्म और आध्यात्मिक क्षेत्र की अनेक हस्तियों ने उदयनिधि के कथन की कड़ी निन्दा की है। अनेक शहरों में विरोध स्वरूप जुलूस , धरना -प्रदर्शन भी देखने मिले। लेकिन आश्चर्य की बात ये है कि विपक्ष से जिस तरह की प्रतिक्रिया अपेक्षित थी वह नहीं सुनाई दी। सबसे चौंकाने वाला रवैया कांग्रेस का कहा जा सकता है जो उदयनिधि के बेहद आपत्तिजनक बयान से केवल पल्ला झटककर बैठ गई जबकि उसे चाहिए था कि खुलकर सनातन धर्म की डेंगू , मलेरिया और कोरोना से तुलना करने वाले संदर्भित बयान पर उनके पिता तामिलनाडु के मुख्यमंत्री स्टालिन के समक्ष अपना विरोध व्यक्त करते हुए  चेतावनी देती कि उनके बेटे का सनातन विरोधी रवैया विपक्षी एकता के लिए नुकसानदेह साबित होगा और  जनमानस  में ये बात गहराई तक बैठ जाएगी कि इंडिया नामक विपक्षी गठबंधन हिंदुओं की भावनाओं को ठेस पहुंचाने बना है।  कांग्रेस ही नहीं बल्कि उक्त गठबंधन में शरीक अन्य दलों ने भी उदयनिधि की आलोचना में बेहद नर्म रवैया अपनाकर दिखा दिया कि वे सब द्रमुक के दबाव में हैं। शिवसेना जैसी कट्टर हिंदूवादी पार्टी के  बड़बोले नेता तक दबी जुबान ही विरोध करने का साहस जुटा सके। इससे उदयनिधि का हौसला और बढ़ा और उन्होंने बजाय खेद जताने के अपनी आपत्तिजनक बातों को ही दोहराया। सनातन के बाद वे अपने असली रंग पर आ गए और भाजपा के बारे में भी उसी तरह की टिप्पणी करने लगे। तामिलनाडु के कांग्रेस सांसद कार्ति चिदंबरम और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक खरगे ने भी उदयनिधि के बयान का समर्थन किया जो  कांग्रेस के दिग्गज नेता क्रमशः पी चिदंबरम और मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे हैं । इस बारे में ध्यान देने योग्य बात ये है कि कांग्रेस ने उदयनिधि के बयान से तो किनारा कर लिया किंतु पार्टी के सांसद और राज्य सरकार में मंत्री की कुर्सी पर बैठे नेता पुत्रों की सनातन विरोधी टिप्पणियों पर उसका चुप्पी साध लेना ये दर्शाता है कि इस मामले में वह दोहरा रवैया अपना रही है। अन्यथा जिस तत्परता से उसने द्रमुक नेता के बयान से दूरी बनाई वैसी ही मुस्तैदी वह कार्ति और प्रियांक के जहरीले बयान पर भी दिखाती। इंडिया गठबंधन के कुछ नेता जिनमें ममता बैनर्जी भी हैं ,ने केवल ये कहकर रस्म अदायगी की कि किसी को भी दूसरे धर्म की आलोचना नहीं करना चाहिए। इसी के साथ ये बात भी देखने मिली कि इंडिया गठबंधन में शामिल  किसी भी दल की ओर से श्री चिदम्बरम और श्री खरगे के बेटों द्वारा उदयनिधि के समर्थन में दिए बयान की आलोचना करने की हिम्मत नहीं दिखाई गई। इससे ये प्रतीत होता है कि सनातन अथवा हिन्दू धर्म के प्रति इन पार्टियों का दृष्टिकोण बेहद लापरवाही भरा है। भाजपा नेत्री नुपुर  शर्मा द्वारा इस्लाम के प्रवर्तक के बारे में की गई टिप्पणी पर इन्हीं पार्टियों ने पूरे देश में आसमान सिर पर उठा लिया था किंतु कट्टरपंथियों द्वारा नुपुर को जिस तरह की धमकियां दी गईं उनके बारे में कुछ नहीं बोला गया। भाजपा ने तो हिन्दू वादी  होने के बावजूद अपनी नेत्री को निकाल बाहर किया जिस पर पार्टी के भीतर भी असंतोष देखा गया। हालांकि उदयनिधि तो  दूसरे दल के हैं लेकिन कांग्रेस अपने नेता पुत्रों पर सनातन विरोधी बयान का समर्थन किए जाने के दंड स्वरूप कार्रवाई करती तब उसका सर्व धर्म प्रेम साबित होता । लेकिन वह शांत रही जिससे यही एहसास निकलकर सामने आया कि उदयनिधि के बयान से बचने के बाद उसके अपने नेताओं द्वारा उसी बात को सही ठहराया जाना परोक्ष तौर पर बयान का समर्थन ही है। निकट भविष्य में कुछ राज्यों के  विधानसभा चुनाव होने जा रहे हैं। उसके कुछ महीनों बाद से लोकसभा चुनाव की हलचल शुरू हो जायेगी। ऐसे में कांग्रेस के सहयोगी दल द्रमुक के नेता  द्वारा सनातन धर्म का विरोध और कांग्रेस के भीतर से उसका समर्थन हवा में उड़ाने वाली बात नहीं है। भाजपा द्वारा सोनिया गांधी और राहुल गांधी से इस विवाद पर अपना रूख स्पष्ट करने की मांग  उचित ही है क्योंकि ऐसे संवेदनशील मामले में कांग्रेस के प्रथम परिवार का मौन अनेक प्रश्नों को जन्म दे रहा है। देश का नाम इंडिया से भारत किए जाने के मुद्दे को जोर - शोर से उठाने वाली पार्टी देश की 82 फीसदी आबादी की धार्मिक भावनाओं को ठेस पहुंचाए जाने पर यदि चुप रहे तो फिर उस पर लगने वाला तुष्टीकरण का आरोप साबित करने के लिए किसी सबूत की जरूरत ही नहीं रह जाती।


-रवीन्द्र वाजपेयी 

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