Sunday 24 September 2023

पवार का अडानी प्रेम विपक्षी गठबंधन के लिए मुसीबत बना



एनसीपी अध्यक्ष शरद पवार ने एक बार फिर राहुल गांधी को झटका दे दिया। गत दिवस ही श्री गांधी ने आरोप लगाया था कि उद्योगपति गौतम अडानी के विरुद्ध भाषण देने के कारण उनकी संसद सदस्यता खत्म की गई थी और कल ही श्री पवार ने गुजरात जाकर अडानी की एक फैक्टरी का न सिर्फ उद्घाटन किया बल्कि उनके निवास पर भी गए। उल्लेखनीय है कांग्रेस सहित अनेक विपक्षी दलों ने बजट सत्र में अडानी मामले में जेपीसी बनाए जाने को लेकर संसद को बाधित रखा था। लेकिन श्री पवार ने जेपीसी की मांग को निरर्थक बताते हुए उद्योगपति की शान में कसीदे पढ़कर श्री गांधी के आरोपों की हवा निकाल दी। मुंबई में अपने निवास पर अडानी के साथ हुई उनकी लंबी मुलाकात भी खासी चर्चित हुई। उसके बाद श्री पवार के भतीजे अजीत और निकट सहयोगी रहे प्रफुल्ल पटेल भाजपा के साथ जा मिले। तब ऐसा भी कहा गया था कि ये सब श्री पवार के इशारे पर किया गया और वे भी जल्द ही भाजपा के साथ गठबंधन करेंगे। उनके या उनकी बेटी सुप्रिया सुले के केंद्र में मंत्री बनने की अटकलें भी लगाई जाने लगीं। लेकिन अभी तक वैसा कुछ नहीं हुआ और वे विपक्षी गठबंधन आई. एन. डी. आई. ए के साथ बने हुए हैं। उसकी एक बैठक तो मुंबई में उनके घर पर भी हो चुकी है। यद्यपि अडानी के कारोबार पर विदेशी एजेंसी की रिपोर्ट से आया संकट तो काफी हद तक खत्म होने को है किंतु श्री गांधी को सोते - जागते वे याद आया करते हैं और उसी धुन में वे हर मौके पर उनके बारे में बोलते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर तीखे हमले करने की कोशिश करते हैं। यद्यपि विपक्ष के अन्य दलों से इस बारे में उनको ज्यादा समर्थन नहीं मिल पाया। लेकिन श्री पवार तो खुलकर अडानी के साथ निजी रिश्ता रखते हुए श्री गांधी के हमले की हवा निकालने में जुटे हुए हैं। गत दिवस गुजरात यात्रा के दौरान उनका अडानी की फैक्टरी का उद्घाटन और फिर उनके निवास जाकर चर्चा करने के बाद राजनीतिक क्षेत्रों में ये चर्चा शुरू हो गई है कि श्री पवार एन वक्त पर कांग्रेस को वैसा ही झटका दे सकते हैं जैसा आपातकाल के बाद 1977 में हुए लोकसभा चुनाव के पूर्व स्व.जगजीवन राम ने कांग्रेस छोड़कर स्व.इंदिरा गांधी को दिया था। एक वरिष्ट पत्रकार ने हाल ही में अपने विश्लेषण में कहा भी कि श्री पवार बहुत ही अनुभवी और कुशल राजनीतिक नेता हैं जिनके संबंध विचारधारा की लक्ष्मण रेखा के पार जाकर सभी नेताओं से हैं। लेकिन उनकी विश्वसनीयता जरा भी नहीं है क्योंकि वे कब किसे धोखा दे दें ये अंदाज लगाना किसी के बस में नहीं है। विपक्षी गठबंधन में शामिल दलों के बीच लोकसभा चुनाव के लिए सीटों के बंटवारे का मामला जिस तरह टलता और उलझता जा रहा है उसे देखते हुए उसकी एकता पर संशय पैदा होने लगा है। ममता बैनर्जी और अरविंद केजरीवाल के रवैए से तो कांग्रेस परेशान है ही लेकिन श्री पवार के रुख के बारे में कोई अंदाज वह नहीं लगा पा रही। गत दिवस गौतम अडानी की फैक्टरी के उद्घाटन के बाद उनके घर जाकर चर्चा करना गठबंधन में अपना भाव बढ़ाने का दांव है या फिर गांधी परिवार को एक बार फिर फिर बड़ा झटका देने की तैयारी, ये अंदाज लगाना कठिन है। लेकिन राहुल द्वारा अडानी का खुलकर विरोध किए जाने के बावजूद श्री पवार द्वारा लगातार उनके साथ अपनी निकटता के प्रदर्शन से कांग्रेस हतप्रभ है। और कोई होता तो अब तक श्री गांधी अडानी का दोस्त बताकर उस पर आक्रामक हो जाते लेकिन श्री पवार के विरुद्ध बोलने की हिम्मत उनमें नहीं हैं । राजनीति के जानकार खुलकर कहने लगे हैं कि एनसीपी अध्यक्ष का अडानी से मिलना - जुलना महज औपचारिकता नहीं है बल्कि किसी बड़े दांव की तैयारी है।

- रवीन्द्र वाजपेयी 

No comments:

Post a Comment