Friday 8 September 2023

एशिया में चीन का विकल्प बन रहा भारत : आसियान से मिला संकेत



किसी भी देश की विदेश नीति चूंकि  राष्ट्रीय हितों पर आधारित होती है , इसलिए सरकार बदलने पर भी  उसमें आधारभूत परिवर्तन नहीं होता।  मौजूदा केंद्र सरकार ने आसियान देशों के साथ जिस तरह से नजदीकी रिश्ते बनाकर उनसे राजनयिक , आर्थिक और सामरिक साझेदारी बढ़ाई उसका नजारा दो दिन पहले प्रधानमंत्री श्री मोदी की इंडोनेशिया  यात्रा के दौरान दिखाई दिया जहां वे  भारत - आसियान की बैठक में बतौर सह अध्यक्ष शामिल हुए और उसके बाद पूर्व एशिया सम्मेलन में शिरकत की। इन आयोजनों का महत्व उनमें  अमेरिका की उपराष्ट्रपति कमला हैरिस की मौजूदगी से प्रदर्शित होता है। उल्लेखनीय है आसियान संगठन का सदस्य नहीं होने के बावजूद भारत उससे जुड़ा है । चीन की विस्तारवादी नीतियों के विरोध में एक सशक्त क्षेत्रीय गठबंधन बनाने में भारत की भूमिका को आसियान देश स्वीकार कर रहे हैं । इसीलिए ऐसे समय जब भारत में जी - 20 देशों के सम्मेलन की तैयारियां अंतिम चरण में थीं , श्री मोदी कुछ घंटों के लिए जकार्ता गए । चूंकि चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग इस जी - 20 सम्मेलन में नहीं आ रहे इसलिए भारत के प्रधानमंत्री की आसियान सम्मेलन में उपस्थिति ने बड़ा कूटनीतिक संदेश दे दिया है । जो जानकारियां उपलब्ध हैं  उनके मुताबिक चीन अपने दक्षिणी समुद्र में  बेजा कब्जा बढ़ाने के साथ ही छोटे - छोटे देशों  को पिछलग्गू बनाकर उनका शोषण करना चाहता है । लेकिन आसियान में शामिल देशों ने चीन की चाल में आने से मना कर दिया । भारत ने इस अवसर का  लाभ उठाते हुए उनके सिर पर हाथ रखते हुए चीन के दबाव के सामने न झुकने का हौसला दिया। कोरोना के बाद बदली वैश्विक परिस्थितियों में चीन के प्रति दुनिया भर में अविश्वास का भाव बढ़ने से बड़ी संख्या में बहुराष्ट्रीय कंपनियां अपना कारोबार और निवेश वहां से समेट रही हैं। चूंकि दक्षिण पूर्वी एशियाई देशों में श्रमिक सस्ते हैं इसलिए आसियान और भारत पर उनकी नजर है। दूसरी बात ये है कि चीन से होने वाले आयात में कमी करने के साथ भारतीय उत्पादों के निर्यात में वृद्धि के लिए आसियान देश काफी उपयुक्त हैं जिनसे भारत का द्विपक्षीय व्यापार तेजी से बढ़ता जा रहा है । इसीलिए श्री मोदी , जी -20 की व्यस्तता के बावजूद जकार्ता गए और भारत - आसियान सम्मेलन के अलावा पूर्व एशिया सम्मेलन में  प्रभावशाली उपस्थिति दर्ज करवाई।  कुछ घंटों की जकार्ता यात्रा में उन्होंने चीन विरोधी दक्षिण एशियाई देशों को भारत के समर्थन और सहारे का भरोसा तो दिलाया ही लेकिन इसी के साथ  जी - 20  सम्मेलन में शामिल हो रहे राष्ट्राध्यक्षों को ये संदेश भी दे दिया कि भारत एक क्षेत्रीय महाशक्ति के तौर पर उभर रहा है। ऐसा करना इसलिए जरूरी है क्योंकि अभी तक वैश्विक मंचों पर एशिया के सिरमौर के तौर पर चीन को ही मान्यता मिली हुई थी। अमेरिका जैसी महाशक्ति तक उसके आभामंडल से प्रभावित हो गई। लेकिन बीते कुछ सालों में विशेष रूप से कोरोना के बाद से उक्त अवधारणा बदलने लगी । चीन के दक्षिणी समद्री क्षेत्र में उसकी विस्तारवादी नीतियों के विरुद्ध बने क्वाड नामक संगठन में अमेरिका , आस्ट्रेलिया और जापान के साथ भारत को शामिल किया जाना चीन को ये संकेत था कि दुनिया अब भारत को उसके विकल्प के तौर पर देखने लगी है। आसियान और पूर्व एशिया सम्मेलन में प्रधानमंत्री श्री मोदी के जाने से उक्त संदेश और मुखर हुआ है। दिल्ली में जी - 20 सम्मेलन में अमेरिका , फ्रांस और ब्रिटेन जैसी बड़ी शक्तियों की उपस्थिति से  भारत का कूटनीतिक महत्व बढ़ा है। भारत - आसियान बैठक और पूर्व एशिया सम्मेलन के तत्काल बाद जी - 20 का आयोजन विश्व स्तर पर दक्षिण एशिया की बढ़ती अहमियत और जरूरत का भी प्रमाण है। और इन सभी आयोजनों में भारत और श्री मोदी की सक्रिय भूमिका से विदेश नीति के  साथ ही आर्थिक और सामरिक मोर्चे पर भी हमारा महत्व और प्रभुत्व बढ़ा है। इस बारे में ये बात विचारयोग्य है कि महाशक्ति बनने के लिए क्षेत्रीय शक्ति बनना आवश्यक होता है। उस दृष्टि से आसियान  देशों के बीच भारत की बड़े भाई वाली भूमिका ने वैश्विक स्तर हमारी साख और धाक दोनों में वृद्धि की है। रूसी राष्ट्रपति पुतिन तो यूक्रेन के साथ चल रहे युद्ध के कारण जी - 20 सम्मेलन में नहीं आ रहे लेकिन चीन के राष्ट्रपति जिनपिंग का नहीं आना निश्चित रूप से ये दर्शाने के लिए पर्याप्त है कि भारत द्वारा इस आयोजन की शानदार मेजबानी से बीजिंग के पेट में मरोड़ शुरू हो गया है। यद्यपि इसके पहले भी भारत अनेक अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलनों का आयोजक बन चुका है लेकिन जिस भव्यता और आत्मविश्वास के साथ जी - 20 का सम्मेलन हो रहा है उसके कारण भारत की क्षमता और कूटनीतिक दक्षता नए कलेवर में उभरकर सामने आ रही है। चंद्रयान की  ऐतिहासिक सफलता और फिर सूर्य के अध्ययन हेतु अपने अंतरिक्ष यान के सफल प्रक्षेपण के तत्काल बाद जी - 20 का आयोजन हमारे बढ़ते कद का  प्रभाव है। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने भारतीय विदेश नीति को उसके सर्वोच्च स्तर तक पहुंचा दिया है।

- रवीन्द्र वाजपेयी 


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