Tuesday 5 September 2023

सनातन विरोधी बयान पर चुप्पी हिंदू विरोधी मानसिकता का प्रमाण


अपने आपको हिन्दू  साबित करने के लिए यज्ञोपवीत धारण करने का दावा ,  गोत्र का प्रचार   , पारंपरिक वेश में मंदिर जाकर पूजन  , मठों के दर्शन और मानसरोवर जाकर खुद को शिव भक्त होने प्रमाणपत्र  देने वाले नेता सनातन धर्म को नष्ट करने जैसे बयान पर अब तक मुंह में दही जमाए बैठे हैं। जो नेता हिंदुत्व पर भाजपा के एकाधिकार को चुनौती देते हुए खुद को सबसे बड़ा हिंदू साबित करने में आगे - आगे नजर आते हैं उनके मुंह से भी एक शब्द नहीं निकल रहा। जब देश की 82 फीसदी आबादी हिन्दू  है तब वह हिन्दू राष्ट्र नहीं तो और क्या है , जैसी बात कहने वाले नेता जी भी मौन हैं। यही कारण है कि तमिलनाडु के मुख्यमंत्री का बेटा उदयनिधि ताल ठोककर कह रहा है कि वह सनातन धर्म को नष्ट करने के अपने बयान पर कायम है और किसी भी कानूनी प्रकरण का सामना करने तैयार है।  उस बयान से राजनीतिक नुकसान की आशंका देख कांग्रेस  ने बिना देर लगाए उससे दूरी बना ली। हालांकि , हिंदुत्व की तरफ झुकने का संकेत दे रही पार्टी से अपेक्षा थी कि वह बयान देने वाले के पिता स्टालिन को चेतावनी देती कि  इसका प्रभाव इंडिया नामक गठबंधन की एकता पर पड़ेगा। लेकिन पहले पार्टी के वरिष्ट नेता पी.चिदंबरम  के सांसद पुत्र कार्ति और फिर राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे के बेटे और कर्नाटक सरकार में मंत्री प्रियांक ने  सनातन धर्म को नष्ट करने वाले बयान का पुरजोर समर्थन कर डाला। ऐसे में जब छत्तीसगढ़ में भूपेश बघेल और  म.प्र में  कमलनाथ जैसे उसके नेता खुद को  राम और हनुमान भक्त साबित करने में जुटे हुए हैं तब पार्टी के अध्यक्ष सहित एक अन्य बड़े नेता के बेटे का सनातन धर्म विरोधी बयान के पक्ष में कूदना कांग्रेस के लिए आत्मघाती साबित हो सकता है।  राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा बीते कुछ सालों से हिंदू मंदिरों में  पूजा - अनुष्ठान करते रहे हैं। ऐसे में इंडिया नामक गठबंधन के एक प्रमुख घटक  के सबसे बड़े नेता और तमिलनाडु के मुख्यमंत्री  के पुत्र द्वारा सनातन विरोधी बयान पर उनकी सरकार में भागीदार  कांग्रेस का मौन , बयान का समर्थन ही माना जाएगा। जहां तक बात उदयनिधि की है तो उनका ऐसा बयान देना चौंकाता नहीं है क्योंकि इनकी पार्टी द्रमुक और करुणानिधि खानदान हिन्दू विरोधी रहा है । उल्लेखनीय है  2014 के लोकसभा चुनाव में  शिकस्त के बाद पार्टी द्वारा बनाई एंटोनी समिति ने उसे नर्म हिंदुत्व की ओर झुकने की सलाह दी थी ।  उसी के बाद से राहुल गांधी के जनेऊ धारण करने , सारस्वत ब्राह्मण और शिवभक्त होने जैसी बातें कांग्रेस के प्रवक्ताओं द्वारा कही जाने लगीं । श्री गांधी खुद भी अपने भाषणों में गीता के उद्धरणों सहित पौराणिक गाथाओं के जरिए ये साबित करने का प्रयास करते रहते हैं कि हिन्दू धर्म में उनकी गहरी आस्था है। उसी क्रम में उनकी अनुजा प्रियंका ने भी मंदिरों में  मत्था टेकना शुरू कर दिया किंतु जब उस धर्म को नष्ट करने जैसा बयान  सहयोगी पार्टी के नेता द्वारा दिया गया तब श्री गांधी का मुंह न खोलना उनके हिंदू  प्रेम पर आशंका पैदा करता है। सबसे बड़ी बात ये है कि मंच से हनुमान चालीसा तथा चंडी पाठ गाने वाले  अरविंद केजरीवाल और ममता बैनर्जी ने भी सनातन विरोधी  बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करने की हिम्मत नहीं दिखाई। इस प्रकार का दब्बूपन ही तुष्टीकरण को बल प्रदान करता है। जो नेता गण चुनाव प्रचार का शुभारंभ अयोध्या में हनुमान गढ़ी से करने का ढोंग रचाते हों वे हिन्दू धर्म को नष्ट करने वाले का विरोध न करें तो इसे कायरता नहीं तो और क्या कहा जाए?  किसी एक छोटी सी घटना पर असहिष्णुता का ढिंढोरा पीटने वाले और भारत को रहने लायक न बताने वाले भी हिंदुओं की आस्था के साथ होने वाले अपमानजनक व्यवहार पर मुंह सिलकर बैठ जाते हैं। देश की 82 फीसदी आबादी जिस धर्म की अनुयायी हो उसे नष्ट करने वालों का साथ देकर श्री चिदम्बरम और श्री खरगे के बेटों ने कांग्रेस ही नहीं अपितु समूचे इंडिया गठबंधन की असलियत उजागर कर दी । ऐसे में यदि ये आरोप लग रहा है कि ये  गठबंधन हिन्दू विरोधी ताकतों का जमावड़ा है तो उस पर विश्वास करना ही पड़ेगा। कांग्रेस यदि वरिष्ट नेताओं के बेटों पर जो कि सांसद और मंत्री हैं , कार्रवाई नहीं करती तब उसे म.प्र, छत्तीसगढ़ और राजस्थान के विधानसभा चुनावों में नुकसान होना तय है ।उसकी छद्म धर्मनिरपेक्षता तो  पहले ही प्रमाणित हो चुकी है और इस घटना के बाद उसका छद्म हिंदुत्व प्रेम भी  जनता की निगाहों में आए बिना नहीं रहेगा। सबसे बड़ी बात ये है कि उदयनिधि के संदर्भित बयान से यदि शांतिप्रिय हिंदुओं की भावनाएं भड़क उठीं तो देश नए संकट में फंस सकता है।

- रवीन्द्र वाजपेयी 

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