Thursday 18 February 2021

जब तक भ्रष्ट तंत्र की पूंजी से राजनीति की दुकान चलेगी तब तक सुधार असंभव



मप्र के सीधी  जिले में दो दिन पूर्व बाणसागर की नहर में यात्री बस गिर जाने से 50  से ज्यादा मौतें हो जाने के बाद मुख्यमंत्री से लेकर निचले स्तर तक शासन और प्रशासन हरकत में हैं | जिम्मेदार ठहराये जा रहे तमाम अधिकारियों और कर्मचारियों को  स्थानान्तरण और निलंबन देकर जनता के गुस्से को ठंडा करने का घिसा - पिटा तरीका भी आजमाया जा रहा है | मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने शोक  संतप्त परिवारों तक  व्यक्तिगत  पहुंचकर अपनी संवेदनशीलता का परिचय दिया | मृतकों और घायलों के परिजनों को नियमानुसार मुआवजा भी  बांट दिया जाएगा | जांच रूपी  सरकारी कर्मकांड भी ऐसे हादसों के बाद होता ही है | जिस जगह दुर्घटना हुई वहां की व्यवस्थाएं सुधारने के लिए भी उठापटक की जायेगी | और फिर कुछ समय  बाद सब भूलकर पूरी व्यवस्था अपने ढर्रे में लौट आयेगी | कुछ साल पहले पन्ना के निकट एक बस में आग लगने के बाद सड़क परिवहन के नियमों का पालन करने के लिए सरकारी मुस्तैदी दिखाते हुए  खटारा  बसों को चलने से रोकने के लिए सख्ती की गई | निर्धारित संख्या से ज्यादा सवारियां बिठाये जाने वाली यात्री बसों के विरुद्ध कार्रवाई हुई | लेकिन  लेश मात्र सुधार  नहीं दिखा | इसलिए  ताजा हादसे के बाद परिवहन व्यवस्था में व्याप्त विसंगतियां जस की तस बनी रहेंगी ये कहना  गलत नहीं होगा | सही बात  ये है कि परिवहन महकमा भ्रष्टाचार का सबसे बड़ा अड्डा है | आरटीओ नाम आते ही आम नागरिक के मन में ये बात आ जाती है कि  बिना घूस और दलालों के उस दफ्तर में एक कागज भी इधर से उधर करवाना टेढ़ी - खीर है | ऐसा नहीं है कि सरकार में बैठे नेता और प्रशासन चलाने  वाले  साहेब बाहादुरों की फौज को कुछ पता न हो लेकिन परिवहन  विभाग एक तरह से राजनेताओं के लिए दुधारू गाय की तरह है | कहते हैं परिवहन आयुक्त का पद  कुबेर के खजाने का मालिक होने जैसा है | सत्तारूढ़ पार्टी के खर्चे चलाने में इस महकमे का सहयोग किसी से छिपा नहीं है | राजनीतिक रैलियों के लिए मुफ्त में बसों का इंतजाम परिवहन विभाग के सहयोग से होना भी जगजाहिर है | केवल सरकार में बैठे लोग ही नहीं अपितु विपक्ष की राजनीति चलाने में भी परिवहन विभाग पूरी  सौजन्यता दिखाता है | यही हाल लोक निर्माण विभाग का है | जिसमें जबरदस्त भ्रष्टाचार होता है | इन विभागों को मलाईदार इसीलिये कहा जाता है | मुख्यमंत्री अपने खासमखास को इन विभागों का मंत्री क्यों बनाते हैं ये साधारण बुद्धि वाला भी बता देगा | संदर्भित हादसे के पीछे  परिवहन और लोक निर्माण विभाग के अलावा पुलिस को भी कठघरे में खड़ा किया  जा रहा है | जाम लगने के कारण बस चालक ने जिस वैकल्पिक मार्ग को चुना वह जानलेवा बन गया | यदि यातायात को सुव्यवस्थित करने वाली पुलिस कर्तव्यनिष्ठ हो जाये तो सड़क दुर्घटनाएं काफी हद तक रोकी जा सकती हैं | लेकिन सवाल ये हैं कि ये साहस कौन करेगा ? भारत में राजनीति का जो रंग - रूप और तौर - तरीके हैं उनके चलते भ्रष्टाचार रोकना असंभव मान लिया गया है | सत्ता में बैठा कोई नेता ईमानदार भले हो लेकिन उसे भी अपनी पार्टी को चलाने के लिए भ्रष्ट नौकरशाहों से उगाही करनी होती  है | आरटीओ , लोक निर्माण विभाग और पुलिस के अलावा लोक स्वास्थ्य यांत्रिकी भी वह विभाग है जिसमें भरी।मलाई पर राजनेताओं की लार टपकती  है | ऐसे में जो हादसा  सीधी में हुआ उसकी पुनरावृत्ति रोकने के दावे सिवाय झूठ के और कुछ भी नहीं हैं | दुर्घटनाएं होंगी , लोग मरते रहेंगे और भ्रष्ट व्यवस्था से चलने वाली राजनीति मुआवजे बाँटकर अपनी संवेदनशीलता का भौंड़ा प्रदर्शन करती रहेगी | हादसे के लिए जिम्मेदार माने जा रहे चंद सरकारी मुलाजिम भले ही निलम्बित या स्थानांतरित कर दिए जाएँ लेकिन मौत न निलम्बित की जा सकती है और न ही स्थानांतरित | जब तक मलाईदार विभागों से उगाही  राजनेता करते रहेंगे तब तक व्यवस्था में सुधार की बात सोच लेना मूर्खीं के स्वर्ग में रहने के समान होगा | ऐसे हादसों के बाद जनता के गुस्से की आग पर पानी डालने के जो परंपरागत तरीके हैं वे भी भ्रष्टाचार पर पर्दा डालने के उपाय होते हैं | जिन विभागों की लापरवाही के चलते ऐसे हादसे होते हैं उनकी कार्यप्रणाली में कोई सुधार या बदलाव तब तक नहीं हो सकता जब तक उनका आर्थिक शोषण   राजनेता बंद नहीं करते | आरटीओ से मुफ्त बसों तथा  टैक्सियों का जुगाड़ करने और पुलिस और लोक निर्माण विभाग का  कामधेनु की तरह उपयोग करने वाली राजनीतिक संस्कृति के चलते लोगों के सस्ते में बेमौत मरने की घटनाए दोहराई जाती रहेंगीं | हाल ही में मुरैना में नकली  जहरीली शराब से काफी लोग मारे जाने के बाद खूब  हल्ला मचा | उसके बाद दो - चार दिन शिव जी के तांडव की तरह राज्य सरकार ने खूब सख्ती दिखाई लेकिन आबकारी महकमा   किसी भी राज्य सरकार के लिए नोट छापने की मशीन होने से उसमें भ्रष्टाचार को रोक पाना असम्भव माना जाता है | शिवराज सिंह चौहान व्यक्तिगत रूप से बहुत ही सम्वेदनशील और भावुक इंसान हैं जो जनता से सीधा संपर्क और संवाद करने में सिद्धहस्त हैं | लेकिन क्या वे  भ्रष्टाचार और राजनीति के गठजोड़ को रोकने का जोखिम उठाने का दुस्साहस कर सकते हैं और जवाब है नहीं क्योंकि राजनीति बिना पैसे के नहीं चल सकती और उस पैसे का बड़ा स्रोत सरकारी तंत्र में व्याप्त भ्रष्टाचार ही है | सीधी बस हादसे के लिए जिम्मेदार  मानकर हाल - फ़िलहाल जिन्हें निलम्बित अथवा स्थानांतरित किया गया वे  सब कुछ समय बाद बहाल हो जायेंगे क्योंकि एक भ्रष्ट की जांच जब दूसरा भ्रष्ट करेगा तब और क्या उम्मीद की जा सकती हैं | कुछ समय पूर्व प्रदेश  के एक परिवहन आयुक्त का लिफाफे लेते हुए वीडियो सार्वजनिक होने के बाद उनकी जांच हुई लेकिन वे बेदाग़ करार दिए गये क्योंकि जिस अफसर को उनकी जांच का काम मिला वह उन्हीं के मूल विभाग में  कनिष्ठ पद पर था | इसीलिये जब उनको निर्दोष बताया गया तब उसका खूब मजाक उड़ा | इस हादसे के लिए जिम्मेदार सरकारी लोगों को भी ऐसी ही रस्म अदायगी के बाद राहत दे दी जायेगी क्योंकि जब तक सरकारी तंत्र द्वारा प्रदत्त पूंजी से राजनीति नामक  दुकान चलेगी तब तक किसी सुधार की कल्पना करना ही व्यर्थ है |

- रवीन्द्र वाजपेयी

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