Saturday 20 February 2021

फसल जलाने का सुझाव हर दृष्टि से अनुचित




दो दिन पहले किसान आन्दोलन के अंतर्गत रेलें रोकने का जो प्रयास  गया वह  पंजाब , हरियाणा , राजस्थान और पश्चिमी उत्तर प्रदेश तक ही  आम तौर पर सीमित रहा | किसान नेता खास तौर पर राकेश टिकैत  अब दिल्ली के धरना स्थल को छोड़कर किसान पंचायतें करने बाहर घूम रहे हैं | इस कारण दिल्ली की सीमा पर  जमावड़ा पहले  जैसा नहीं रहा |  नेताओं के बयानों में  भले ही अभी भी सख्ती नजर आ रही हो लेकिन कहीं न कहीं हताशा और उससे उत्पन्न गुस्सा भी महसूस होने लगा है | विगत दिवस श्री टिकैत ने धमकी भरे अंदाज में कहा कि किसान  अपनी फसल भले जला देंगे लेकिन धरना स्थल छोड़कर नहीं जायेंगे | इसी तरह गुरनाम सिंह चढूनी ने 26 जनवरी की हिंसा के आरोपी किसानों को सलाह दी कि पुलिस वाले  उनके घर आयें तो उन्हें  रोककर रखें लेकिन  दुर्व्यवहार न करें | एक किसान पंचायत में श्री टिकैत ने कहा कि जो भी भाजपा नेता को बुलाएगा उसे 100 लोगों को भोजन देना पड़ेगा | इसी के साथ अब दिल्ली के निकट  गाजीपुर , टिकरी और सिंघु नमक स्थान पर बीते 86 दिनों से चले आ रहे धरने में उपस्थिति लगातार घट रही है | युवाओं का हुजूम भी पहले जैसा नहीं है | भले ही किसान नेता पक्के शौचालय बनवाने के साथ गर्मियीं में कूलर और एयर कंडीशनर लगवाने जैसे प्रलोभन दे रहे हैं लेकिन किसान अब और नुकसान झेलने से बच रहे हैं | ये स्थिति आन्दोलन में आ रहे ठहराव को दर्शाती है | जिसका सबसे बड़ा कारण गणतंत्र दिवस पर राष्ट्रीय राजधानी में हुआ उपद्रव था जिसने शांतिपूर्ण आन्दोलन पर हिंसा  रूपी धब्बा लगा दिया | बची - खुसी कसर किसान नेताओं के बीच आन्दोलन पर वर्चस्व कायम रखने के लिए चली खींचातानी ने पूरी कर दी | विशेष रूप से श्री टिकैत ने जिस तरह आंदोलन को गाजीपुर में  केन्द्रित करने का दांव चला उसने नेताओं के बीच सामंजस्य का अभाव उत्पन्न कर दिया | श्री टिकैत द्वारा फसल जलाने जैसी बात कहना बहुत ही खतरनाक संकेत है | बड़े किसान भले ही ऐसा कदम उठाने में सक्षम हों लेकिन छोटे और मध्यम श्रेणी के किसान के लिए ये आत्मघाती होगा | श्री टिकैत को ये नहीं भूलना चाहिए कि नेताओं के भड़काऊ बयानों की वजह से ही भावावेश में अनेक किसानों ने आत्महत्या जैसा कदम उठा लिया | किसी भी आन्दोलन में जोश की अपनी भूमिका होती है लेकिन होश उससे भी ज्यादा जरूरी है | फसल जलाने जैसा कदम  न सिर्फ किसान अपितु समूचे देश की क्षति होगी | 

-रवीन्द्र वाजपेयी


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