Thursday 25 February 2021

खेल के मैदान से भी आती है तरक्की : अहमदाबाद का अनुसरण बाकी राज्य भी करें



अहमदाबाद में विश्व के सबसे बड़े क्रिकेट मैदान का  शुभारम्भ होने के साथ ही विश्वस्तरीय खेल काम्पलेक्स की भी घोषणा  हुई। इसके साथ ही ये संभावना भी व्यक्त्त की जाने लगी कि इसके बन  जाने के बाद  भारत छह महीने के भीतर ओलम्पिक करवा सकेगा। ये दावा भी किया जा रहा है कि  अहमदाबाद भारत की  खेल राजधानी के रूप में जाना जाएगा। स्टेडियम के नामकरण को लेकर राजनीतिक विवाद भी उत्पन्न हो गये हैं जो हमारे देश के लिए नई बात नहीं है। ये बात भी उठेगी कि बड़े प्रकल्प गुजरात ही ले जाए जा रहे हैं। मसलन बुलेट ट्रेन मुम्बई से अहमदाबाद चलेगी। हाल ही में प्रधानमंत्री ने समुद्र जल यातायात की शुरुवात भी सूरत के पास ही की। सरदार सरोवर के पास सरदार पटेल की जो मूर्ति लगवाई गयी वह विश्व में सबसे ऊंची होने से पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र बनी हुई है। हाल ही में उस स्थान के लिए 9 नई  रेलगाड़ियां भी शुरू की गईं। हालाँकि एक जमाने में पंजाब और हरियाणा में खेलों के विकास के लिए अनेक केंद्र विकसित हुए किन्तु अहमदाबाद के इस प्रस्तावित काम्प्लेक्स के बनने के बाद खिलाड़ी इसकी तरफ आकर्षित होंगे। भारत जैसे देश में जहाँ गरीबी , बेरोजगारी , बेघरबारी और भुखमरी जैसी  समस्याएं हैं वहां खेल सुविधाओं पर मोटी रकम खर्च करने के औचित्य पर सवाल उठ सकते हैं। लेकिन इस बारे में चीन का उदाहरण सबके सामने है जिसने आर्थिक विकास के समानंतर खुद को खेलों के क्षेत्र में भी विकसित देशों के मुकाबले बराबरी से खड़ा कर लिया। ओलम्पिक की पदक तालिका में चीन अग्रणी देशों की  कतार में आ गया है। ओलम्पिक की मेजबानी कर उसने अपनी  प्रबंधन क्षमता से भी विश्व बिरादरी को प्रभावित किया। उस दृष्टि से भारत बहुत पीछे है। क्रिकेट, बैडमिन्टन , कुश्ती और बॉक्सिंग को छोडकर बाकी  खेलों में हमारी स्थिति बहुत अच्छी नहीं है। इसका कारण विश्वस्तरीय सुविधाओं के साथ प्रशिक्षण का अभाव है। वैसे बीते एक-डेढ़ दशक  में  छोटे शहरों से जैसी खेल प्रतिभाएं निकलीं उनसे आशा बंधी है लेकिन अच्छा प्रशिक्षण और सुविधाएँ मिल सकें तो बड़ी बात नहीं  135   करोड़ की आबादी वाले देश में ओलम्पिक पदक जीतने वालों की संख्या में सम्मानजनक वृद्धि हो सके। अहमदाबाद में बनने वाला कामप्लेक्स भारत को खेलों के क्षेत्र में विश्वस्तर पर ला खड़ा करेगा ये उम्मीद पूरी तरह सही है। इस बारे में ध्यान रखने वाली बात ये है कि खेल भी अब उद्योगों की शक्ल  ले चुके हैं। आईपीएल ने इंग्लिश काउंटी के साथ ही ऑस्ट्रेलिया के क्लब क्रिकेट की रंगत फीकी कर दी और वह बहुत बड़ा ब्रांड बन गया जिसके कारण भारतीय क्रिकेट नियन्त्रण मंडल को अकल्पनीय कमाई होने लगी। खेलों से पैसा कमाने की शुरुवात ऑस्ट्रेलिया के कैरी  पैकर नामक टीवी चैनल मालिक ने की थी। उसने दुनिया भर के क्रिकेटरों को मोटी रकम देकर जो विश्व श्रृंखला करवाई उसने एकदिवसीय और बाद में  टी - 20 क्रिकेट की शुरुवात की। उसी के बाद से क्रिकेट  विश्व कप प्रारम्भ हुआ। फुटबाल विश्व कप के अलावा यूरोप के फुटबाल क्लब  अपने आप में एक उद्योग हैं। आजकल खेलों से केवल खिलाड़ी , प्रशिक्षक और प्रायोजक  ही नहीं कमाते अपितु ये बड़ी संख्या में रोजगार प्रदान करने का माध्यम भी हैं। भारत के ऐसे अनेक गुमनाम क्रिकेटर आईपीएल के बाद करोड़पति हो गए जिन्हें भारतीय टीम में खेलने का अवसर शायद कभी नहीं मिलता। अहमदाबाद का खेल काम्प्लेक्स उस लिहाज से पूरे देश के लिए दिशासूचक बन सकता है। वैसे क्रिकेट नियन्त्रण मंडल देश भर में स्टेडियम बनाने हेतु वित्तीय सहायता प्रदान करता है जिसके अच्छे परिणाम निकले हैं। गुजरात में विश्व के सबसे बड़े क्रिकेट स्टेडियम के बाद  विशाल खेल प्रशाल बनाने की योजना वाकई उत्साह जगाने वाली है। इस क्षेत्र में निजी निवेश भी मिलने की प्रबल सम्भावना है। बेहतर हो अन्य राज्य सरकारें  भी अहमदाबाद की तर्ज पर खेल काम्पलेक्स बनाने की तरफ ध्यान दें। अच्छे स्टेडियम और खेल प्रशिक्षण की समुचित व्यवस्था भी अर्थव्यस्था को मजबूती प्रदान करने में सहायक होती हैं। भारत एक दिवसीय  और टी-20  क्रिकेट विश्वकप के अलावा राष्ट्रमंडल और एशियाड की मेजबानी सफलतापूर्वक कर चुका है किन्तु विश्व ओलम्पिक के आयोजन के उसके दावे को अब तक स्वीकार नहीं किया जा सका क्योंकि उसके लिए जरूरी खेल संबंधी संरचना का अभी भी अभाव है। जिस तरह राजमार्ग , हवाई अड्डे, बंदरगाह , फ्लाय ओवर, गगनचुम्बी इमारतें , तेज गति की रेलगाड़ियाँ और वायु सेवा विकास के प्रतीक हैं वैसे ही खेल संबंधी सुविधाएँ भी मौजूदा विश्व में विकास का मापदंड मानी जाती हैं। खेल प्रतियोगिताओं का आयोजन पर्यटकों को भी आकर्षित करता है। अमेरिका  में कहा जाता है कि विकास अच्छी सड़कों पर चलकर आता है लेकिन 21 वीं सदी में खेल के मैदान भी मुल्क की तरक्की का पैमाना बन गये हैं।


-रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment