Tuesday 20 April 2021

टीकाकरण अभियान में समाज की सहभागिता भी जरूरी



चौतरफा मांग के बाद आखिरकार केंद्र सरकार ने आगामी 1 मई से 18 वर्ष से ऊपर के प्रत्येक व्यक्ति को कोरोना का टीका लगाने का फैसला कर ही लिया | इसके साथ ही वर्तमान व्यवस्था में अनेक व्यवहारिक बदलाव किये गये | देश में कोरोना का टीका बनाने वाली कम्पनियों को अपने उत्पादन का 50 फीसदी अनिवार्य रूप से केंद्र सरकार को देना होगा | लेकिन शेष वे राज्य सरकारों के साथ ही  खुले बाजार में विक्रय कर सकेंगी | विक्रय करने के पहले उसकी कीमत का खुलासा करना होगा जिससे कि उसे लेकर अनिश्चितता न रहे | इस प्रकार अब केंद्र सरकार द्वारा चलाये जा रहे निःशुल्क टीकाकरण के साथ ही निजी तौर पर भी टीका खरीदा जा सकेगा , जिसकी जरूरत संपन्न वर्ग महसूस  कर ही  रहा था | इस तरह की वैकल्पिक व्यवस्था से टीकाकरण केन्द्रों पर लगने वाली भीड़ और उससे उत्पन्न अव्यवस्था पर काबू पाया जा सकेगा | केंद्र सरकार ने टीकों की आपूर्ति सुचारू रूप से जारी रखने के उद्देश्य से विदेशों से उनका आयात करने की अनुमति भी  दे दी है | जिसके बाद  अब लोगों के पास अनेक विकल्प हो जायेंगे और सरकार का भार भी कम  होगा | ये भी देखने में आया है कि टीकाकरण केन्द्रों पर लोगों का हुजूम उमड़ने की वजह से भी अनेक लोग संक्रमित हो गये | कोरोना की दूसरी लहर जिस तरह से विकराल रूप धारण कर चुकी है उसे देखते हुए व्यापक पैमाने पर टीकाकरण  बेहद जरूरी हो गया है | अभी तक सरकार ने दो विकल्प दे  रखे थे | पहला सरकारी केंद्र में जाकर निःशुल्क और दूसरा निजी अस्पताल में उसकी निर्धारित कीमत 150 रु. के अलावा 100 रु. सेवा शुल्क देकर टीकाकरण करवा लिया जावे | आर्थिक  तौर पर सक्षम और भीड़भाड़ से बचने के इच्छुक लोगों ने तो दूसरा विकल्प चुना लेकिन अधिकतर लोगों ने निःशुल्क सरकारी  टीकाकरण सुविधा का लाभ उठाया | ये अभियान  शुरुवाती हिचक के बाद जोर पकड़ने ही लगा था कि संक्रमण का फैलाव तेज हो चला |  जिससे इसमें रूकावट तो आई ही लगे हाथ टीकों की आपूर्ति भी गड़बड़ा गई | ये बात  सही है कि अनेक राज्य ऐसे भी हैं जहां पर्याप्त टीके उपलब्ध होने के बाद भी लक्ष्य पूरा नहीं  किया जा सका क्योंकि  अशिक्षा के कारण बड़ी संख्या में लोग टीका लगवाने से बच रहे हैं | लेकिन आश्चर्य तब ज्यादा होता है जब पढ़े - लिखे वर्ग में भी कुछ लोगों के मन में टीके को लेकर आशंकाएं हैं | अब जबकि करोड़ों लोगों को टीका लग चुका है तब इसे लेकर फैलाये  जा रहे डर को निराधार मानकर उपेक्षित कर देना  चाहिए | जाहिर है खुले बाजार में आने वाले टीके अपेक्षाकृत महंगे  ही होंगे लेकिन समाज  का संपन्न वर्ग यदि  कुछ राशि खर्च कर भी ले तो उस पर बहुत  बड़ा बोझ नहीं पड़ेगा | और फिर  ऐसा करने से सरकार पर दबाव कम होने से आम जनता को जल्द टीका उपलब्ध हो सकेगा | वैसे भी अब 18 वर्ष से ऊपर के सभी व्यक्तियों को टीका  लगाये जाने के कारण टीकाकरण केन्द्रों पर युवा वर्ग की  जबर्दस्त भीड़ उमड़ेगी | इसका आकलन करते हुए ही सरकार ने निजी स्तर पर टीकों  की खरीद और विक्रय की सुविधा दे दी , जो देर सवेर तो होना ही था | लेकिन सरकार से हटकर अब टीकाकरण का दायित्व जनप्रतिनिधियों , समाजसेवी संस्थाओं ,धार्मिक और सामाजिक न्यासों सहित बड़े औद्योगिक घरानों को भी लेना चाहिए | हालाँकि  समूची  प्रक्रिया में  चिकित्सकीय देख - रेख सहित  अनेक तरह की सावधानियां रखना अनिवार्य होता है  किन्तु थोड़े से प्रबंधन से इस जरूरत को पूरा किया जा सकता है | बेहतर हो देश भर में बड़े पैमाने पर टीकाकरण शिविर लगाये जाएं  | ये बात पूरी तरह सही है कि मौजूदा टीका लम्बे समय तक कारगर रहेगा इसकी कोई गारंटी नहीं है और हो सकता है इसके बाद कालान्तर में फिर से टीकाकरण करवाना पड़े किन्तु ये भी उतना ही सच है कि मौजूदा परिस्थितियों में ये टीके औसतन 75 फ़ीसदी से ज्यादा कारगर हैं | ऐसे में जरूरी  होगा कि अगले कुछ महीनों में देश की बड़ी आबादी को इस रक्षा कवच का संरक्षण मिल सके | ये भी अपेक्षित है कि आर्थिक दृष्टि से संपन्न वर्ग अपने कर्मचारियों के टीकाकरण में मदद कर्रे | विशेष रूप से घरेलू कर्मचारियों के लिए ऐसा किया जाना हम सबका कर्तव्य है | कोरोना चूँकि तेजी से फैलने वाली  संक्रामक बीमारी है इसलिए उससे अपनी सुरक्षा  के साथ ही जितना हो सके दूसरों के बचाव में सहभागिता भी मानवीय कर्तव्य है | 

-रवीन्द्र वाजपेयी

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