Saturday 24 April 2021

मानव जीवन को खतरे में डालकर मुनाफा कमाने वालों का पर्दाफाश जरूरी



कोरोना की दूसरी लहर वाकई सुनामी बनकर आई है | बीते तीन दिनों में ही 10 लाख से ज्यादा नए मरीजों का मिलना डरा देने वाला है | यद्यपि गत दिवस स्वस्थ होकर घर लौटने वाले भी अब तक के सबसे   ज्यादा  रहे | लेकिन चारों ओर से आ रही मौतों की  संख्या के अलावा ऑक्सीजन और कतिपय दवाइयों की कमी मुख्य समाचार बने हुए हैं | यद्यपि केंद्र और राज्य सरकारें मिलकर व्यवस्थाओं को पटरी पर लाने  का भरसक प्रयास कर रही हैं | ऑक्सीजन की अप्रत्याशित कमी को दूर करने के लिए विशेष रेल गाड़ियों के अलावा वायुमार्ग तक से  उसकी आपूर्ति कराई जा रही है | देश में ऑक्सीजन का उत्पादन बढ़ाने का भी युद्धस्तरीय प्रयास चल रहा है | उसका औद्योगिक उपयोग रोककर केवल अस्पतालों को दिए जाने की नीति भी बन गई है | दवाइयों का स्टॉक भी जरूरत वाली जगहों पर पहुंचाया जा रहा है | अस्थायी अस्पताल बनाकर ज्यादा से ज्यादा मरीजों को चिकित्सा सुविधा प्रदान किये जाने की कोशिशें चल रही हैं | ये संतोष का विषय है कि निजी क्षेत्र के उद्यमी और समाजसेवा से जुड़े लोग भी इस काम में मदद करने आगे आ रहे हैं |  कुछ लोगों द्वारा धन एकत्र कर ऑक्सीजन की आपूर्ति जरूरतमंदों को किये जाने के समाचार भी मिल रहे हैं | गत वर्ष भी लम्बे समय तक चले  लॉक डाउन के दौरान आम जनता ने इसी तरह की सहायता देकर अपने सामाजिक कर्तव्य का निर्वहन  किया था | लेकिन इस सबसे हटकर कुछ ऐसी खबरें भी आ रही हैं जो दुखी के साथ ही शर्मसार भी करती हैं | गत दिवस दो समाचार ऐसे आये जिनसे लगा कि जिन्हें देवदूत समझा जाता है उनमें भी कुछ ऐसे लोग घुस आये हैं जिनकी मानसिकता राक्षसी प्रवृत्तियों से प्रेरित है | एक नर्स द्वारा लगाये जा रहे इंजेक्शन के बारे में ज्ञात हुआ कि  किसी मरीज के लिए जो विशेष इंजेक्शन  मंगवाया गया था वह डाक्टर ने अपने पास रखकर नर्स को कोई साधारण  इंजेक्शन दे दिया | लेकिन इस प्रकरण में  दोष नर्स का नहीं वरन  डाक्टर का है जिसने अपने पेशे की प्रतिष्ठा को मिट्टी में मिला दिया | दूसरी ऐसी ही घटना में एक नर्स महंगा इंजेक्शन चुराकर अपने प्रेमी  के जरिये  उसकी कालाबाजारी करवा रही थी |  उससे होने वाली कमाई  का कुछ हिस्सा संबंधित डाक्टर को दिए जाने की जानकारी भी मिली है | सरकारी अस्पतालों से रेमेडिसिविर के सैकड़ों इंजेक्शन चोरी होने की खबरें भी अनेक स्थानों   से आईं | कुछ लोगों ने अपने घरों में आक्सीजन के भरे सिलेंडर छिपाकर रख लिए हैं | कोरोना संबंधी अनेक दवाइयों का कृत्रिम अभाव पैदा करते हुए दो के चार करने का गंदा खेल भी चल रहा है | इस बारे में ये कहना गलत न होगा कि उक्त घटनाएँ तो महज बानगी हैं | देश भर में हजारों मामले ऐसे हैं जिनमें मानवता पर मंडरा रहे इस संकट के समय भी कुछ लोग  मुनाफाखोरी और कालाबाजारी के  जरिये लोगों की मजबूरी का बेजा लाभ उठा रहे हैं | जैसी कि जानकारी मिल रही है उसके अनुसार इस खेल में शामिल छोटी मछलियाँ तो जाल में फंस जाती हैं किन्तु मगरमच्छ बचे रहते हैं | निजी क्षेत्र के अस्पताल चूँकि  उद्योग की शक्ल ले चुके हैं इसलिए उनका उद्देश्य सेवा से ज्यादा  अपनी पूंजी  पर लाभ कमाना रह गया है | कहते हैं किसी भी देश के चरित्र की  पहिचान संकट के समय ही होती है | उस दृष्टि से हमारे देश में कोरोना काल के दौरान कतिपय लोगों का आचरण पूरी तरह से मानवीयता से परे है | फिलहाल तो लोगों की जान  बचाना मुख्य काम है किन्तु  ये दौर गुजर जाने के बाद ऐसे लोगों का पर्दाफाश किया जाना चाहिए | जो लोग मानव जीवन को खतरे में डालकर भी पैसा बटोरने में लगे हुए हैं उन्हें यदि दंड न मिला तो ये प्रवृत्ति और मजबूत होती जायेगी |

- रवीन्द्र वाजपेयी



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