मुख्तार अंसारी की पारिवारिक पृष्ठभूमि यूँ तो बहुत ही समृद्ध है | दादा आजादी के पहले भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्य्क्ष रहे | पिता साम्यवादी थे जिन्हें स्वच्छ छवि के चलते नगर पालिका के लिए निर्विरोध चुना गया | चाचा हामिद अंसारी विदेश सेवा में रहने के बाद उपराष्ट्रपति बने | नाना उस्मान खान फ़ौज में ब्रिगेडियर बने जिनकी सेवाओं के लिए उन्हें महावीर चक्र दिया गया | भाई अफजल अंसारी उप्र की गाजीपुर सीट से लोकसभा सदस्य हैं और बेटा निशानेबाजी की अन्तर्राष्ट्रीय प्रतियोगिताओं में हिस्सा ले चुका है | इन्हीं सबके कारण उप्र के मऊ इलाके में अंसारी परिवार का बड़ा नाम और् प्रतिष्ठा रही लेकिन मुख़्तार इससे अलग अपराधों की दुनिया में अपनी जगह बनाने में लग गया और देखते - देखते उसके विरुद्ध ह्त्या , अपहरण , फिरौती जैसे दर्जनों मामले कायम हो गये | बीते लगभग दो साल से किसी मामले में वह पंजाब की रोपड़ जेल में बंद था | उप्र पुलिस उसे वहां से लाने की कोशिश कर रही थी जिसमें पंजाब सरकार अज्ञात कारणों से अड़ंगे लगाने में जुटी रही | अंततः अदालती आदेश के तहत उसे उप्र लाने की अनुमति मिली जिसके बाद गत दिवस उप्र पुलिस भारी तामझाम के साथ उसे रोपड़ जेल से लेकर बांदा के लिए रवाना हुई | मुख्तार बीमार हैं इसलिए एम्बुलेंस में लाया गया | आगे पीछे वज्र वाहन चल रहे थे | लगभग 150 पुलिस वाले काफिले के साथ रहे | कुछ महीने पहले कानपुर के कुख्यात अपराधी विकास दुबे का उज्जैन से कानपुर ले जाते समय वाहन पलट जाने पर भागने की वजह से एनकाउंटर कर दिया गया | उस घटना को लेकर उप्र की पुलिस अभी भी संदेह के घेरे में है | मुख्तार और उनके परिवार ने पंजाब से उप्र लाये जाने का विरोध करने के लिए विकास की मौत को ही आधार बनाया | यहाँ तक कि सोशल मीडिया पर मुख़्तार के साथ भी विकास दुबे जैसे काण्ड की पुनरावृत्ति का शिगूफा छोड़ा जाता रहा | और इसी के चलते रोपड़ से बांदा जेल तक के तकरीबन 800 किमी तक के रास्ते पर मुख्तार के काफिले के साथ टीवी चैनलों के संवाददाताओं के वाहन मय कैमरों के चलते रहे | काफिला पंजाब से निकलकर हरियाणा में घुस गया , फलां वाहन में मुख्तार बैठा है , गाड़ियां 120 की गति से दौड़ रही हैं , रास्ते में काफिला कहीं रोका नहीं जाएगा , अब वह आगरा एक्सप्रेस हाइवे पर आ गया है जैसे समाचार लगातार सुनाये और दिखाये जाते रहे | बीच - बीच में मुख़्तार के भाई का बयान भी सुनाया गया जिसमें उसने कहा कि उसके भाई को कुछ हुआ तो उसे शहादत माना जायेगा और इसके बाद तानाशाही का अंत हो जाएगा | मुख्तार की पत्नी द्वारा उसकी सलामती को लेकर व्यक्त की जा रही चिन्ताओं से भी देश और दुनिया को अवगत कराने की होड़ टीवी चैनलों में लगी रही | ऐसा लग रहा था किसी बड़ी हस्ती का काफिला एक जगह से दूसरी को जा रहा है | लोकतंत्र में अभिव्यक्ति , मानवाधिकार और पारदर्शिता का महत्वपूर्ण स्थान है | आरोप लगने मात्र से किसी को तब तक सजा नहीं दी जा सकती जब तक वे प्रमाणित न हो जाएँ | मुख्तार भी दर्जनों मामलों में आरोपी है जिनका फ़ैसला होना है | सवाल ये है कि बरसों से चले रहे इन मामलों में फैसला क्यों नहीं हो पाता | न्याय प्रक्रिया निचली अदालत से सर्वोच्च न्यायालय तक चलती है जिसका लाभ लेकर संपन्न और प्रभावशाली अपराधी बचे रहते हैं | मुख्तार का आर्थिक साम्राज्य और राजनीतिक प्रभाव सर्वविदित है | अल्पसंख्यक होने के कारण उसे अतिरिक्त फायदा मिलता रहा , ये कहना गलत न होगा | उसका अपने इलाके में अल्पसंख्यक समुदाय के मतदाताओं पर भी खासा प्रभाव और दबाव है जिसके कारण पिछली राज्यं सरकारें उसके प्रति नरम बनी रहीं | योगी आदित्यनाथ के मुख्यमंत्री बनने के बाद अपराधी सरगनाओं पर कानून का शिकंजा कसने की जो कवायद शुरू हुई उसी के तहत मुख्तार भी घेरे में है | उसे पंजाब से वापिस लाने के लिए कितनी उठापटक करनी पड़ी ये किसी से छिपा नहीं है | उसके अपराधों की सूची इतनी लम्बी है कि मौजूदा गति से चल्र रही न्याय प्रक्रिया के अंजाम तक पहुचने में बरसों लग जायेंगे | ऐसे व्यक्ति के प्रति टीवी चैनलों का विशेष अनुराग समाचार माध्यमों द्वारा प्राथमिकता के चयन पर बड़ा सवाल है | मुख्तार के काफिले का मार्ग सुरक्षा कारणों से सार्वजनिक नहीं किया गया था | लेकिन टीवी कैमरे हर स्थान का नाम बताते हुए ये भी कहते जा रहे थे कि अगला स्थान कौन सा आयेगा | मुख्तार का रोपड़ से बाँदा जेल लाया जाना निश्चित तौर पर समाचार है लेकिन टीवी प्रसारण ने उसे एक ईवेंट बना दिया | गनीमत है कोई चैनल वाला उसकी एम्बुलेंस में बैठने का जुगाड़ नहीं कर सका वरना मुख़्तार अंसारी के कथित क्रांतिकारी विचार सुनने मिलते जिनमें तानाशाही के विरुद्ध निर्णायक जंग का आह्वान होता | बीते कुछ समय से टीवी चैनलों के पास दर्शकों को दिखाने के लिए गुणवत्तायुक्त सामग्री का अभाव होने से वे ऊलजलूल चीजें दिखाकर समय व्यतीत किया करते हैं | मुख्तार अन्सारी जैसे लोग समाज के लिए खतरा हैं | उनका खुली हवा में रहना जनसुरक्षा के लिहाज से ठीक नहीं है | बेहतर होगा माननीय न्यापालिका इनको दण्डित करने में तत्परता बरते जिससे इनका अनुसरण करने के इच्छुक लोगों में भी भय व्याप्त हो सके | संसद और विधानसभाओं में ऐसे लोगों की उपस्थिति लोकतंत्र के लिए किसी कलंक से कम नहीं है | समाचार माध्यमों को चाहिए कि वे ऐसे लोगों को बिना वजह महत्व देने से परहेज करें |
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