केदारनाथ में गत दिवस हुई हेलीकाप्टर दुर्घटना में पायलट सहित सात लोगों की मृत्यु हो गयी | कोहरे की वजह से हेलीकाप्टर के चट्टान से टकरा जाने को हादसे का कारण माना जा रहा है | खराब मौसम के कारण हुआ यह सातवाँ हादसा है | पर्वतीय तीर्थस्थलों में हेलीकाप्टर सेवा काफी लोकप्रिय हो रही है | वैष्णों देवी और अमरनाथ में भी हजारों यात्री इसका उपयोग करते हैं | शारीरिक कष्ट के साथ ही इससे समय भी बचता है | यात्री चूंकि कुछ ही घंटों में लौट जाते हैं इसलिए वहां भीड़ भी कम होती है | साथ ही यात्रा मार्ग में होने वाली गंदगी भी घटती है | जबसे उड्डयन क्षेत्र में नई विमानन कम्पनियाँ आई हैं तबसे निजी हेलीकाप्टरों की भी बाढ़ आ गयी हैं | चुनावों में राजनीतिक नेता धड़ल्ले से इनका उपयोग करते हैं | एयर एम्बुलेंस का व्यवसाय भी तेजी से पनप रहा है | जिस तरह अच्छी सड़कें देश के विकास का मापदंड हैं उसी तरह से उड्डयन सेवाओं में लगातर वृद्धि भी समृद्धि का सूचक है | एक जमाना था जब घरेलू हवाई सेवा के लिए इन्डियन एयर लाइन्स ही एकमात्र विक्ल्प हुआ करता था | लेकिन पेशेवर रवैये के अभाव और सरकारी मुफ्तखोरी के चलते उसका भट्टा बैठता चला गया | उदारीकरण के बाद उड्डयन क्षेत्र निजी कंपनियों के लिए भी खोल दिया गया | देखते - देखते अनेक निजी एयर लाइन्स इस व्यवसाय में कूद गई | हवाई अड्डों की रौनक बढ़ने लगी तो उनके विस्तार का काम भी निजी क्षेत्र को दिया जाने लगा | इसमें दो राय नहीं है कि बीते दो दशक में भारत में हवाई यात्रा करने वाले बहुत तेजी से बढ़े हैं और विमानों की सीटों पर मध्यमवर्गीय यात्री भी नजर आने लगे हैं | ये स्थिति निश्चित रूप से उत्साहित करती है किन्तु दूसरी तरफ ये भी सही है कि जिस उम्मीद से निजी क्षेत्र को उड्डयन व्यवसाय में हाथ आजमाने का अवसर दिया गया था वह पूरी नहीं हो पा रही | केदारनाथ में गत दिवस जो दुखद घटना हुई उसके बारे में ये तो बता दिया गया कि मौसम खराब था और कोहरे के कारण वह उड़न खटोला चट्टान से टकरा गया | लेकिन जो जानकारी छन – छनकर आ रही है उसके अनुसार पर्वतीय तीर्थस्थलों में हेलीकाप्टर सेवा प्रदान करने वाली कम्पनियाँ नियमों के पालन में लापरवाह होने के साथ ही रखरखाव के बारे में बेहद लापरवाह हैं | उनके साथ ही हवाई यातायात को नियंत्रित करने वाले विभाग का गैर जिम्मेदाराना रवैया भी ऐसे हादसों के लिए उत्तरदायी है जो कोहरे के बावजूद उड़ान की अनुमति दे देता है
| पहाड़ी क्षेत्रों में वैसे भी हेलीकाप्टरों को उड़ने के लिए ज्यादा जगह उपलब्ध नहीं होती | अनेक मर्तबा उन्हें नियन्त्रण कक्ष से मिलने वाले संकेत भी ठीक से नहीं मिल पाते | ये भी ज्ञात हुआ है कि गत दिवस जब उक्त दुर्घटना हुई उस समय कोहरे के बाद भी कुछ और हेलीकाप्टर उसी हवाई मार्ग पर उड़ रहे थे जिसकी वजह से पायलट के सामने मार्ग बदलने का विकल्प ही नहीं बचा | जाँच के बाद और भी बातें सामने आयेंगीं लेकिन हवाई यातायात में केवल दुर्घटना ही समीक्षा का विषय नहीं अपितु विमानन कंपनियों की बढ़ती लापरवाही और ग्राहक सेवा की अनदेखी भी बड़ा मुद्दा बन गया है | मसलन घरेलू उड़ानों में समय से अपने गंतव्य तक पहुंचने की गारंटी करीब – करीब खत्म हो गई है | सुरक्षा जाँच आदि औपचारिकताओं को पूरा करने के लिए यात्रियों को घन्टों पहले हवाई अड्डे पहुंचना होता है | महानगरों में दूरी और यातायात की समस्या का सामना भी उसे करना होता है | लेकिन घंटों पहले आने के बाद जब उसे ज्ञात होता है कि उड़ान विलम्ब से जायेगी तब उसे इस बात पर गुस्सा आता है कि पहले से इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई ? और फिर उसके बाद जो होता है वह खून के आंसू रुलाने जैसा है | घंटे – दर घंटे बीतने के बाद भी उड़ान का पता नहीं चलता | सूचना क्रांति के इस दौर में भी जब हवाई यात्री को विमानन कम्पनी का स्टाफ ये नहीं बता पाता कि उड़ान कितने बजे जायेगी तब वह तिलमिलाकर रह जाता है | कम्पनी जानती है कि जाना यात्री की मजबूरी है क्योंकि यदि वह टिकिट करवाता है तब उसे अगली टिकिट और ज्यादा दाम पर मिलेगी | उड़ान विलम्बित होने पर कई कम्पनियाँ यात्रियों के लिए चाय - पानी की व्यवस्था तक करने से बचती हैं | सही बात ये है कि कम संख्या में विमान होने के बाद भी ज्यादा से ज्यादा शहरों तक सेवा शुरू किये जाने के कारण विमानों का रखरखाव भी अपेक्षित तरीके से नहीं हो पाता जिससे आये दिन उड़ानें रद्द होने की खबर आती हैं | मध्यम श्रेणी के शहरों से विदेश जाने वाले वालों के लिए उस समय संकट उत्पन्न हो जाता है जब महानगर जाने वाली उनकी उड़ान ऐन समय पर रद्द हो जाती है | ज्योतिरादित्य सिंधिया ने जबसे उड्डयन मंत्रालय संभाला है तबसे हवाई यातायात में वृद्धि के दावे हो रहे हैं | नई उड़ानों की बाढ़ सी आ गयी है | नए हवाई अड्डों के निर्माण और पुरानों के विस्तार का काम भी तेजी से चल रहा है | अन्तर्राष्ट्रीय हवाई अड्डे वाकई वैश्विक स्तर का नजारा उत्पन्न करते हैं | लेकिन ये कहना लेशमात्र भी गलत नहीं होगा कि केदारनाथ में घटित हादसे के अलावा विमानन कम्पनियों का लचर प्रदर्शन आगे पाट पीछे सपाट की स्थिति पेश कर रहा है | सरकार ने भले अपनी विमानन कम्पनी बेच दी हो लेकिन हवाई यात्रा करने वाले यात्रियों की सुविधा और सुरक्षा के प्रति उसकी जिम्मेदारी खत्म नहीं हुई है | निजीकरण किसी भी सेवा में सुधार के लिए किया जाता है , लेकिन मौजूदा दौर में विमानन कम्पनियां इस अवधारणा को पलीता लगाने का काम कर रही हैं | अच्छे हवाई अड्डे के अलावा विमानों और हेलीकाप्टरों की बड़ी संख्या ही इस क्षेत्र में प्रगति का पैमाना नहीं है |
-रवीन्द्र वाजपेयी
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