Monday 3 October 2022

राजस्थान में शह पर शह के खेल में बाजी तेजी से पलट रही



 राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत  नेतागिरी करने से पहले अपने पिता के साथ जादू किया करते थे | उनके करीबी आज भी उनको जादूगर कहकर पुकारते हैं | हालाँकि संगठन के प्रारंभिक स्तर से ऊपर उठकर राष्ट्रीय पदों को सुशोभित करने के साथ ही मुख्यमंत्री तक की उनकी यात्रा उनके राजनीतिक कौशल और परिश्रम का परिणाम है लेकिन इसी के साथ उन्हें गांधी परिवार का भरपूर समर्थन और सहयोग भी मिला | और इसी के चलते उनको कांग्रेस का अध्यक्ष बनाया जा रहा था | लेकिन अचानक जादुई अंदाज में सब कुछ उलट - पुलट हो गया | अपना त्यागपत्र सोनिया गांधी के पास रखा होने की  बात कहने वाले श्री गहलोत ने मुख्यमंत्री पद से हटाये जाने की भनक लगते ही जिस तरह के पांसे चले उससे न सिर्फ गांधी परिवार वरन पूरी कांग्रेस पार्टी हतप्रभ  रह गई |  यद्यपि उसके बाद उन्होंने दिल्ली जाकर सोनिया गांधी  से क्षमा मांगने के बाद अपने भविष्य का निर्णय उन्हीं को सौंपने का बयान भी दे डाला जिससे लगने लगा कि अध्यक्ष बनने से बचने के बावजूद उनका मुख्यमंत्री पद सुरक्षित रहेगा | लेकिन जिस तरह की खबरें आ रही हैं उनके अनुसार राहुल गांधी और प्रियंका वाड्रा  राजस्थान में गहलोत समर्थक कांग्रेस विधायकों द्वारा पर्यवेक्षकों के रहते हुए की गई अनुशासनहीनता से भन्नाये होने से उन्हें किसी भी कीमत पर बर्दाश्त करने राजी नहीं है | हालाँकि बीते कुछ समय से पार्टी के भीतर जो कुछ हो रहा है उसके बाद अब ये चर्चा  होने लगी है कि सोनिया जी की राहुल तथा प्रियंका के साथ विभिन्न मुद्दों पर मतभिन्नता बढ़ी है | राजस्थान में माताजी जहां श्री गहलोत को बनाये रखने की पक्षधर रहीं हैं वहीं  बेटा और बेटी सचिन पायलट की ताजपोशी के लिए अड़े हुए हैं | कहा जा रहा है यदि उनकी जगह किसी और को मुख्यमंत्री बनाये जाने की बात आती तब श्री गहलोत एक व्यक्ति एक पद के फार्मूले के मुताबिक कांग्रेस अध्यक्ष बनने राजी हो जाते | लेकिन जब उन्हें लगा कि उनके साथ हाथ की सफाई हो रही है तब उन्होंने भी वह कर दिखाया जो उनके खुद के अनुसार कांग्रेस में अभूतपूर्व था | दिल्ली में माफीनामा पेश   किये जाने के बाद उनको लगने लगा था कि भले ही उन्होंने गांधी परिवार का विश्वास खो दिया लेकिन मुख्यमंत्री की कुर्सी बचाने में वे कामयाब हो गये | लेकिन बीते दो तीन दिनों के भीतर जिस तरह के संकेत आये उनके बाद उनके सुर बदलने लगे | गत दिवस उन्होंने सांकेतिक शैली में पर्यवेक्षकों की आड़ में हाईकमान पर निशाना साधते हुए जिस तरह की टिप्पणियाँ कीं उससे लगता है वे आने वाले खतरों के प्रति सतर्क हो उठे हैं | उनका ये कहना बेहद अर्थपूर्ण है कि 102 विधायकों के अभिभावक होने के नाते उनके हितों का संरक्षण करना उनका फर्ज़ है | यहाँ तक तो ठीक है लेकिन जिस तरह मुख्यमंत्री ने पत्रकारों के सामने पायलट समर्थक विधायकों की केन्द्रीय गृह मंत्री अमित शाह के साथ मिलकर सरकार गिराने की कथित योजना का बार - बार जिक्र किया , वह राहुल और प्रियंका के लिए एक तरह की चुनौती है | कांग्रेस के भीतर चल रही चर्चाओं के अनुसार श्रीमती गांधी जहाँ राजस्थान के  मामले में फूंक – फूंककर कदम बढ़ाने की पक्षधर हैं वहीं राहुल – प्रियंका का मत है कि श्री पायलट की ताजपोशी अविलम्ब की जानी चाहिए जिससे श्री गहलोत को संभलने का अवसर न मिले | इसके पीछे सोच ये है कि मुख्यमंत्री बदलने की कार्रवाई शुरू होते ही उनके विधायक भी पाला बदलने में देर नहीं करेंगे | इसी रणनीति के अंतर्गत श्री गहलोत और उनके समर्थकों द्वारा कही गईं तीखी बातों के जवाब में न तो श्री पायलट ने जुबान खोली और न ही उनके साथ खड़े विधायकों ने | लेकिन कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव के पहले ये सब होगा या उस तक रुकने की श्रीमती गांधी की सलाह मानी जावेगी ये अनिश्चित है | उधर अध्यक्ष के चुनाव में भी श्री गहलोत की जगह दिग्विजय सिंह को उतारने की जो कोशिश राहुल द्वारा की गई थी उसे रातों - रात जिस तरह विफल किया गया उससे भी गांधी परिवार के भीतर मतभेद  सामने आया है | संभवतः यही देखकर श्री गहलोत ने भी अचानक तेवर  बदल डाले |  गत दिवस उनके द्वारा खोला गया मोर्चा सीधे – सीधे आला कमान को भेजा गया  सन्देश है कि श्री पायलट द्वारा सत्ता पलटने की पिछली कोशिश के दौरान जिन विधायकों ने उनके प्रति अपनी निष्ठा साबित की वे उनके हितों पर आघात करने वाले किसी भी व्यक्ति को मुख्यमंत्री बर्दाश्त नहीं करेंगे | उन्होंने आलाकमान से  आने वाले वाले पर्यवेक्षकों को भी नसीहत दे डाली कि उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष के प्रतिनिधि के तौर पर गरिमामय आचरण करना चाहिए | राजस्थान के घटनाचक्र पर नजर रख रहे विश्लेषक इस आशंका  को भी टटोल रहे हैं कि विधानसभा अध्यक्ष सी.पी, जोशी को दिए गए विधायकों के स्तीफे मंजूर हो सकते हैं  | ऐसा कहा जा रहा है श्री पायलट को गद्दीनशीन न कर पाने की खुन्नस में राहुल राज्य में मध्यावधि चुनाव करवाने की  नौबत पैदा करने तक की हद तक जाने से परहेज नहीं करेंगे | कुल मिलाकर राजस्थान कांग्रेस के गले में हड्डी की तरह जाकर फंस गया है | निश्चित रूप से इसके कारण एक तरफ तो राहुल की यात्रा पर असर पड़ रहा है वहीं दूसरी तरफ पार्टी अध्यक्ष के चुनाव के जरिये आंतरिक लोकतंत्र का डंका पीटने की कोशिश भी मजाक बनकर रह गई है | हालाँकि इस बारे में पक्के तौर पर कुछ भी कहना जल्दबाजी होगी किन्तु इतना तय है कि अशोक गहलोत विशुद्ध जादूगर की तरह नए – नए करतब दिखा रहे हैं | कुछ समय पहले तक उन्हें गांधी परिवार का सबसे विश्वस्त कांग्रेस नेता माना  जाता था लेकिन महज कुछ दिन के भीतर वे सबसे बड़े गद्दार करार दिए जा रहे हैं | शह पर शह का ये दौर कब तक चलेगा  और अंत में किसकी मात होगी ये आने वाले दिनों में साफ़ हो जाएगा | फ़िलहाल तो बाजी तेजी से पलटी खा रही है | 

- रवीन्द्र वाजपेयी

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