Wednesday 16 November 2022

जनसंख्या नियंत्रण कानून की सख्त जरूरत



दुनिया की आबादी 8 अरब हो गई और भारत अगले  साल चीन को पीछे छोड़कर सबसे ज्यादा जनसँख्या वाला देश बन जाएगा | वैश्विक आबादी में अगली एक अरब की वृद्धि जिन देशों से अपेक्षित है उनमें  भारत , पाकिस्तान , कांगो , मिस्र , इथियोपिया , नाइजीरिया , फिलीपींस और  तंजानिया माने जा रहे हैं | इसका अर्थ ये है कि अव्वल तो चीन ने अपनी जनसँख्या वृद्धि पर जबर्दस्त नियंत्रण किया और दूसरा यह  कि दुनिया के संपन्न देश अभी भी आबादी बढ़ने के मामले में पीछे हैं | उक्त आठों देश अफ्रीका और एशिया महाद्वीप में स्थित हैं | जिनमें कुछ बेहद गरीब हैं  तो कुछ विकास की राह पर धीरे – धीरे बढ़ रहे हैं | केवल भारत ही है जो आर्थिक दृष्टि से उत्थान की ओर है | उल्लेखनीय तथ्य ये भी है कि दुनिया की आबादी में पिछली एक अरब  की वृद्धि में भारत का योगदान 15 फीसदी से ज्यादा है | बाली में चल रहे जी 20 देशों के सम्मलेन में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत की विशाल जनसँख्या के आधार पर दुनिया के बड़े देशों को तो दो टूक समझा दिया कि इतने बड़े उपभोक्ता बाजार की उपेक्षा करना अब उनके लिये संभव नहीं है इसलिए  भारत के बिना दुनिया का काम नहीं चल सकता | उन्होंने भारत की बढ़ती सामर्थ्य का उदाहरण देते हुए बताया कि उसने अपनी विशाल आबादी को कोरोना का टीका लगाने जैसा काम बेहद कुशलता से करने के साथ ही दुनिया भर को टीके की आपूर्ति भी की | श्री मोदी ने अमेरिका  के राष्ट्रपति जो बाईडेन की तरफ इशारा करते हुए कहा कि अमेरिका की कुल जनसँख्या से ज्यादा तो भारत में गरीबों के बैंक खाते हैं | जनसँख्या का आंकड़ा 8 अरब तक पहुंचते ही ये बात भी सामने आई कि चीन अपनी जनसँख्या में स्थिरता आने से चिंतित है और एक बच्चे की नीति में शिथिलता देने की तैयारी कर रहा है | ये भी सुनने में आ रहा है कि अगली एक अरब  की वृद्धि पिछले से ज्यादा समय में होगी | और बढ़ती औसत आयु के बावजूद जनसंख्या में बढ़ोतरी की गति पूर्ववत न होकर मंद पड़ेगी | लेकिन आंकड़ों के इस खेल के बीच हमारे लिये  चिंता का विषय ये है कि चीन जहां आर्थिक विकास के चरम पर है वहीं भारत आज भी अपने 80 करोड़ लोगों को मुफ्त खाद्यान्न देने की मजबूरी से गुजर रहा है | इसका कारण ये है कि हम  समय रहते अपने मानव संसाधन को उस तरह काम पर नहीं लगा पाए जैसा चीन ने कर दिखाया | भारत में परिवार नियोजन का नाम बदलकर परिवार कल्याण करने के बाद उस कार्यक्रम का कैसा बंटाधार हुआ ये सब जानते हैं | यहाँ तक कि दीवारों पर हम दो हमारे दो और छोटा परिवार सुखी परिवार जैसे नारे तक दिखाई देना बंद हो गए | किसी भी राजनीतिक दल के घोषणापत्र में जनसँख्या नियंत्रण सम्बन्धी कोई कार्ययोजना नहीं दिखती | हालाँकि बीते कुछ समय से राजनीतिक क्षेत्रों में चर्चा है कि केंद्र सरकार समान नागरिक संहिता के साथ ही जनसँख्या नियंत्रण कानून भी लाने जा रही है | यद्यपि इस बारे में कोई  अधिकृत जानकारी नहीं है | वैसे भाजपा शासित कुछ राज्यों में  समान नागरिक संहिता लागू किये जाने का मुद्दा आम  विमर्श बन गया है | गोवा में तो वह पहले से लागू  है | लेकिन जनसँख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाने का अधिकार चूंकि केंद्र के पास है इसलिए इस बारे में पहल उसे ही करनी पड़ेगी | लेकिन ऐसे विषयों पर राजनीति से ऊपर उठकर राष्ट्रीय हितों के मद्देनजर विचार होना चाहिए | मसलन मुस्लिम समुदाय में परिवार नियंत्रण के बारे में जो अरुचि है वह सदैव आलोचना के घेरे में रही | हालाँकि शिक्षित हो चुके मुसलमान भी एक या दो बच्चों की अवधारणा को स्वीकार करने लगे हैं लेकिन धर्मान्धता के प्रभावस्वरूप अपनी आबादी बढ़ाने की मानसिकता बहुतेरे मुस्लिमों में आज भी है | हिन्दुओं में भी अशिक्षा के कारण अनेक  निम्न वर्गीय लोग परिवार नियोजन को लेकर लापरवाह नजर आते हैं | इसके कारण केंद्र और राज्य सरकारों के काफी आर्थिक संसाधन लोक कल्याणकारी योजनाओं पर खर्च हो जाते हैं | मोदी सरकार ने जनधन खातों के जरिये सीधे बैंकों में राशि जमा करवाने की जो व्यवस्था की उसके कारण भ्रष्टाचार बेशक घटा लेकिन सरकार पर पड़ने वाला आर्थिक बोझ कम नहीं हो पा रहा | सबसे बड़ी बात ये है कि इतनी बड़ी आबादी के भोजन के लिए देश में पैदा होने वाला खाद्यान्न भले कम न पड़े लेकिन शिक्षा और  स्वास्थ्य जैसी मूलभूत आवश्यकताओं की समुचित व्यवस्था आज तक नहीं हो  सकी | आज देश के सामने जितनी भी समस्याएँ हैं उनके मूल में कहीं न कहीं जनसंख्या वृद्धि है जिसके कारण समूचा आर्थिक नियोजन गड़बड़ा जाता है | ये देखते हुए देशहित का तकाजा है कि केंद सरकार बिना देर किये जनसंख्या नियंत्रण संबंधी कानून बनाये | इसे लेकर राजनीतिक बवाल मचना स्वाभाविक है | धर्मनिरपेक्षता पर आघात जैसी बातें भी सुनाई देंगी परन्तु  जिस तरह जम्मू कश्मीर से धारा 370 हटाने का साहसिक कदम  उठाया गया ठीक वैसी ही मुस्तैदी जनसंख्या नियंत्रण के मामले में भी दिखानी चाहिए क्योंकि चीन से ज्यादा जनसँख्या होना गौरव की बात नहीं होगी बल्कि जब आर्थिक प्रगति के मामले में हम उसे पीछे छोड़ेंगे उस दिन सही  मायनों में हम विश्व शक्ति कहलाने लायक होंगे | 

- रवीन्द्र वाजपेयी

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