Thursday 3 November 2022

पायलट के कटाक्ष में छिपे हैं कई संकेत



राजस्थान में कांग्रेस की अंतर्कलह थमने का नाम नहीं ले रही | हालाँकि आलाकमान के समझाने पर दोनों खेमों द्वारा ऐसा दर्शाया जाता रहा  कि सब कुछ समान्य है परंतु  मुख्यमंत्री अशोक गहलोत और मुख्यमंत्री बनने के लिए लम्बे समय से हाथ -  पांव मार रहे सचिन पायलट के बीच बयानों के तीर नहीं रुके  | इसमें कौन ज्यादा दोषी है और कौन कम , ये कह पाना कठिन है क्योंकि दोनों के बीच चल रहा शीतयुद्ध सत्ता की खातिर है | एक बार तो श्री पायलट राजस्थान से अपने समर्थक विधायकों को लेकर भाजपा के संरक्षण में हरियाणा जाकर बैठ गए थे | हालाँकि सरकार गिराने के लिए पर्याप्त संख्याबल जुटाने में असफल रहने के कारण वे वापिस लौट आए किन्तु उनके और मुख्यमंत्री के बीच दिखावटी सौहार्द्रता के बावजूद मनो - मालिन्य बना रहा | सबसे बड़ा पेच ये है कि गांधी परिवार चाहता तो था कि सचिन को राजस्थान की गद्दी पर बिठा दिया जाए लेकिन श्री गहलोत को हिलाने की उसकी सारी कोशिशें बेकार साबित हुई. | उन्हें कांग्रेस अध्यक्ष बनाकर श्री पायलट का रास्ता साफ़ करने की कोशिश भी बुरी तरह फुस्स साबित हुई | श्री गहलोत ने उस दौरान जिस तरह के तेवर दिखाए उनसे कांग्रेस आलाकमान के साथ ही गांधी परिवार की  धाक को भी धक्का पहुंचा | उससे भी ज्यादा हंसी का पात्र बने श्री पायलट जिनकी स्थिति मुख्यमंत्री के धोबी पछाड़ दांव से न घर के रहे न घाट के वाली होकर रह गई | श्री गहलोत भी अवसर मिलते ही बिना झिझके उनके बारे में जो कुछ कहते रहे उससे साफ़ हो गया कि वे झुकने तैयार नहीं हैं | कांग्रेस अध्यक्ष का पद ठुकराकर उन्होंने जब राजस्थान की सत्ता को प्राथमिकता दी तभी ये साफ़ हो चला था कि वे श्री पायलट के प्रति किसी भी प्रकार की उदारता बरतने के लिए तैयार नहीं हैं | हालाँकि बीते कुछ महीनों से मुख्यमंत्री के बारे में सचिन ने कोई तीखी बात नहीं कही जिसकी वजह ये मानी जा रही थी कि संभवतः उनको पार्टी आलाकमान  ये आश्वासन दे चुका है कि देर सवेर उनके अच्छे दिन आएंगे | कांग्रेस अध्यक्ष के  चुनाव के दौरान श्री गहलोत ने जिस तरह का पैंतरा दिखाया उसके बाद ये कयास लगाये जाने लगे थे कि गांधी परिवार  उनको पहले जैसा महत्व शायद नहीं देगा | कांग्रेस विधायक दल का नया नेता चुनने के लिए जयपुर आये पर्यवेक्षक मल्लिकार्जुन खरगे और अजय माकन के साथ जिस तरह का अपमानजनक व्यवहार गहलोत समर्थक विधायकों ने किया वह कांग्रेस के लिए अभूतपूर्व था | उन दोनों ने दिल्ली लौटकर आलाकमान को जो रिपोर्ट दी उसके बाद कुछ विधायकों को नोटिस भी दिए गए लेकिन अभी तक किसी का बाल बांका तक न हुआ | इसका कारण उनको श्री गहलोत का संरक्षण प्राप्त होना ही था | कुछ समय बाद मुख्यमंत्री राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा में भी शामिल होकर लौट आये | उसके बाद ये लगा कि शायद गांधी परिवार ने उनको अभयदान दे दिया है | बीच में राजस्थान में हुए निवेशक सम्मेलन में उद्योगपति गौतम अडाणी की जब उन्होंने खुले मंच से तारीफ़ की तो कांग्रेस के भीतर खुसफुसाहट  शुरू हुई क्योंकि श्री गांधी लगभग रोजाना ही अम्बानी और अडाणी की तीखी आलोचना  किया करते हैं | लेकिन आश्चर्य तब हुआ जब उन्होंने भी ये कहते हुए श्री गहलोत को क्लीन चिट दे दी कि राजस्थान में उन्हें गलत तरीके से उपकृत नहीं किया जावेगा और यदि वैसा हुआ तब वे सबसे पहले उसका विरोध करेंगे | धीरे – धीरे ये बात तय मान ली गई कि श्री गहलोत ही आगामी विधानसभा चुनाव में कांग्रेस का चेहरा होंगे | ऐसे में सवाल ये उठने लगा कि सचिन का भविष्य क्या होगा ? भले ही वे अपनी तरफ से मुख्यमंत्री के विरुद्ध कुछ बोलने से बचते रहे लेकिन श्री गहलोत ने उनके बारे में बोलने में ज़रा सी भी नरमी नहीं दिखाई | लेकिन अचानक ऐसा कुछ हो गया जिससे दोनों के बीच की खटास फिर सामने आने लगी | हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने किसी  आयोजन में श्री गहलोत की तारीफ़ कर डाली जो कि ऐसे अवसरों पर राजनीतिक सौजन्यता का हिस्सा होता है | लेकिन श्री पायलट ने उसे मुद्दा बनाते हुए ये कटाक्ष कर दिया कि प्रधानमंत्री ने ऐसी ही प्रशंसा गुलाम नबी आजाद की भी की थी | स्मरणीय है राज्यसभा से विदाई के समय दिए गए भाषण में श्री मोदी ने श्री आज़ाद के प्रति जिस तरह की आत्मीयता और  प्रशंसा भरे उद्गार  व्यक्त किये उसके बाद ही ये कयास लगाये जाने लगे थे कि वे कांग्रेस से किनारा करने वाले हैं | ये बात भी सही है कि राज्यसभा की सदस्यता के कारण ही न सिर्फ श्री आजाद अपितु कपिल सिब्बल और आनंद शर्मा जैसे वरिष्ट नेता तक कोप भवन में बैठ गये | जी 23 नामक समूह इसलिए अस्तित्व में आया था | श्री सिब्बल तो पार्टी छोड़कर सपा से राज्यसभा टिकिट लेकर उच्च सदन में लौट आये | श्री शर्मा ने भी भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से मिलकर सनसनी मचा दी थी किन्तु अभी तक वे पार्टी में बने हुए हैं | दूसरी तरफ गुलाम नबी ने जम्मू  कश्मीर में अपनी अलग पार्टी बना ली | श्री पायलट ने श्री मोदी द्वारा की गई प्रशंसा के बहाने श्री गहलोत पर जो तीर छोड़ा उसका वैसे तो प्रभाव होता नजर नहीं आता | लेकिन इससे ये संकेत मिला है कि मुख्यमंत्री ने जिस तरह से अपनी सक्रियता समूचे राज्य में बढ़ा दी है वह उनके बढे हुए आत्मविश्वास का प्रमाण है परन्तु अचानक श्री पायलट ने उन पर जो व्यंग्य बाण छोड़ा उसे आसानी से हवा में नहीं  उड़ाया जा सकता | इसे आने वाले किसी बड़े राजनीतिक घटनाक्रम की आहट भी समझा जा सकता है | बहरहाल राजस्थान में कांग्रेस को जितना खतरा भाजपा से है उससे भी ज्यादा श्री पायलट से नजर आ रहा है क्योंकि वे घायल शेर जैसी  मानसिकता दर्शा रहे हैं | उन्हें धीरे – धीरे ही सही ये लगने लगा है कि उनके पास खोने को कुछ नहीं है इसलिए वे इस बार ऐसा वार  कर सकते हैं जो खाली न जाए | वैसे भी चुनाव के समय घात – प्रतिघात के नए – नए रूप देखने मिलते हैं |

- रवीन्द्र वाजपेयी


 

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