Friday 25 November 2022

राहुल की मेहनत पर पानी फेरने आमादा हैं गहलोत



भारत जोड़ो यात्रा से कांग्रेस को बहुत आशाएं हैं | हालाँकि राजनीतिक प्रेक्षक मान रहे हैं कि  इससे राहुल गांधी की छवि में  सुधार  भले हो जाये लेकिन बतौर पार्टी कांग्रेस को कुछ हासिल होने वाला नहीं  क्योंकि संगठन को मजबूत करने की कोशिश इस यात्रा की कार्यसूची में नजर नहीं आ रही  | म.प्र में प्रवेश के बाद अब उत्तर भारत में यात्रा का संज्ञान लिया जाने लगा है | दक्षिण के जिन राज्यों के बाद महाराष्ट्र में राहुल ने पद यात्रा की वहां उन्हें देखने तो काफी जनता आई लेकिन उनमें कांग्रेस अपने बलबूते क्षेत्रीय पार्टियों या भाजपा का मुकाबला करने में असमर्थ है | लेकिन म.प्र . और राजस्थान वे  राज्य हैं जहाँ उसका भाजपा से सीधा संघर्ष है |  गुजरात में भी चुनाव चल रहे हैं लेकिन वह श्री गांधी के मार्ग में नहीं है | हालाँकि वे यात्रा के बीच में से वहां जाकर एक – दो सभाएं कर आये हैं | म.प्र  के बाद वे राजस्थान में प्रविष्ट होंगे | इन दोनों राज्यों में एक साल बाद विधानसभा चुनाव होने हैं | 2018 में उसने यहाँ की सत्ता भाजपा से छीनी थी | हालाँकि म.प्र में तो ज्योतिरादित्य सिंधिया की बगावत के कारण वह विपक्ष में आ गयी किन्तु राजस्थान का दुर्ग तमाम झटकों के बावजूद अब तक बचा हुआ है | वहां के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को गांधी परिवार का अत्यंत विश्वस्त माना जाता था और इसीलिये उन्हें पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष बनाने का निर्णय हुआ लेकिन वे सत्ता छोड़ने तैयार नहीं थे और उसका  कारण ये था कि पार्टी हाईकमान उनकी जगह सचिन पायलट की ताजपोशी चाह रहा था जो उन्हें सपने में भी मंजूर नहीं है  | उसके बाद जो राजनीतिक नाटक हुआ वह सर्वविदित है | श्री गहलोत ने उस दौरान गांधी परिवार को जिस तरह ठेंगा दिखाया और हाईकमान द्वारा भेजे पर्यवेक्षकों को उनके समर्थकों ने  अपमानित किया वह मामूली बात नहीं थी | हालाँकि बाद में श्री गहलोत ने सोनिया गांधी से मिलकर माफी मांगते हुए ये तो कहा कि उनका भविष्य हाईकमान ही तय करेगा किन्तु उनके हाव - भाव से साफ़ होता  गया कि वे सत्ता किसी भी हालत में नहीं छोड़ने वाले | सबसे बड़ी बात ये हुई कि  जयपुर में छीछालेदर करवाने के बाद दिल्ली लौटकर जिन कांग्रेस विधायकों के विरुद्ध कार्रवाई की अनुशंसा पर्यवेक्षक द्वय अजय माकन और मल्लिकार्जुन खरगे ने हाईकमान से की ,  उनका बाला भी बांका नहीं हुआ | हद तो तब हो गयी जब उनमें से एक  को  भारत जोड़ो यात्रा का प्रभारी बना दिया | इससे  नाराज होकर श्री  माकन ने राष्ट्रीय महासचिव पद से त्यागपत्र दे दिया परन्तु   हाईकमान  बागी तेवर दिखाने वाले विधायकों को दण्डित करने का साहस नहीं बटोर पा रहा जबकि  पर्यवेक्षकों में  एक तो खुद खरगे जी ही थे | ये भी महत्वपूर्ण है कि गांधी परिवार की खुली  अवहेलना करने के बाद भी श्री गहलोत गुजरात में कांग्रेस के चुनाव संचालक बने हुए हैं | पिछले चुनाव में वहां कांग्रेस ने काफी अच्छा प्रदर्शन किया था किन्तु इस बार वह आधे – अधूरे मन से मैदान में है | ऊपर से  आम आदमी पार्टी उसकी संभावनाओं को कमजोर कर रही है |  इसके बाद भी श्री गांधी का गुजरात चुनाव से दूर रहने का निर्णय समझ से परे है | हिमाचल प्रदेश के चुनाव में भी वे  गैर हाजिर रहे | इस यात्रा से पार्टी में एकता का संचार कितना हो रहा है उसका ताजा नमूना श्री गहलोत द्वारा अपने प्रतिद्वंदी पर किया गया नया हमला है | एक साक्षात्कार में उन्होंने सचिन को गद्दार बताते हुए कहा कि ऐसे व्यक्ति को पार्टी मुख्यमंत्री नहीं बना सकती जिसने प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए अपनी ही सरकार को गिराने की साजिश रची हो | उन्होंने ये आरोप भी दोहराया कि श्री पायलट गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा नेता धर्मेन्द्र प्रधान के सम्पर्क में थे और 10 करोड़ रु. भी लिए | उन्हें मुख्यमंत्री बनाये जाने की सम्भावना को काल्पनिक बताते हुए श्री गहलोत  ने कहा कि जिसके पास 10 विधायक हों उसकी कोई उम्मीद नहीं है | हालाँकि दोनों नेताओं के बीच बयानबाजी का सिलसिला कई सालों से चला आ रहा है लेकिन दो दिन पहले श्री पायलट म.प्र में श्री गांधी की पदयात्रा में शामिल हुए जो जल्द   राजस्थान में प्रवेश करेगी  | ये देखते हुए श्री  गहलोत का ताजा बयान  श्री गांधी को  साफ़ संकेत है कि राजस्थान में वे ही कांग्रेस के सर्वेसर्वा हैं और उनके शत्रु को साथ रखना उन्हें बर्दाश्त नहीं होगा | राजनीति में समय चयन का बड़ा महत्व है | उस दृष्टि से श्री गहलोत ने सचिन पर धारदार हमले का जो समय चुना वह उनके राजनीतिक चातुर्य के साथ ही दुस्साहस का प्रमाण है | कांग्रेस में  जाहिर तौर पर उनकी काफी अहमियत है लेकिन श्री गांधी की यात्रा के राजस्थान में आने के पहले उनका बयान पार्टी को कमजोर करने के साथ ही गांधी परिवार के लिए भी चुनौती है | इसीलिए राजनीतिक विश्लेषकों का ये सोचना काफी हद तक सही है कि श्री गांधी का यह महत्वाकांक्षी आयोजन उनके आपने आभामंडल की चमक बढ़ने तक सिमटकर रह जायेगा किन्तु  कांग्रेस पार्टी की दशा यथावत रहेगी | ये देखते हुए श्री गहलोत का साक्षात्कार पार्टी के लिए बड़े नुकसान  का कारण बन जाये तो आश्चर्य नहीं होगा | सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि न तो श्री गांधी और न ही सोनिया जी इस बारे में कुछ कर रहे हैं | रही बात पार्टी अध्यक्ष श्री खरगे की तो वे जयपुर में उनका अपमान करने वाले विधायकों के कान नहीं खींच सके तब उनसे किसी बड़े कदम की अपेक्षा करना व्यर्थ है | ऐसा लगता है पार्टी को मजबूत बनाने के लिए हजारों  कि.मी की यात्रा पर निकले श्री गांधी की  मेहनत पर उनके दल के ही  कतिपय नेता  पानी  फेरने में जुटे  हैं | तभी तो वे जहां भाजपा पर हमला करने का कोई अवसर नहीं छोड़ रहे वहीं दूसरी ओर श्री गहलोत जैसे दिग्गज नेता अपने ही घर को आग लगाने की मूर्खता करने पर आमादा हैं | 

- रवीन्द्र वाजपेयी

No comments:

Post a Comment