Wednesday 9 November 2022

जिस अख़बार के साथ पाठकों का समर्थन हो उसे कोई नहीं झुका सकता



 9 नवम्बर 1989 थी  वो तारीख जिस दिन मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस का पहला अंक सम्माननीय पाठकों के हाथ आया था | वह दौर जबर्दस्त  राजनीतिक उठापटक का था | देश नई करवट ले रहा था | मंडल और मंदिर के मुद्दों के कारण पूरा राष्ट्र आंदोलित था और  सियासी समीकरण नया आकार ले रहे थे | महत्वाकांक्षाओं के विकृत रूप में सामने आने से  समाज को जातियों में खंडित करने का तानाबाना सामाजिक न्याय के नाम पर बुना जा रहा था | बेमेल गठबंधन और अवसरवाद समूचे राजनीतिक विमर्श पर हावी होने से जनमानस भ्रमित था | स्थापित प्रतिमाएं ध्वस्त होने के साथ ही नए भगवानों की प्राण प्रतिष्ठा की जा रही थी | कुल मिलाकर असमंजस चरम पर था | अविश्वास , अनिश्चितता और अस्थिरता के कारण सर्वत्र भ्रम और भय का माहौल बन गया | उस  माहौल में महाकोशल की राजनीतिक चेतनास्थली संस्कारधानी जबलपुर में जब एक नए सांध्य दैनिक का उदय हुआ तब उसके लिए अपनी जगह बनाना आसान नहीं था | लेकिन देखते - देखते मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस पाठकों की आदत बन गया | अपनी निर्भीक प्रस्तुति और सटीक टिप्पणियों के कारण उसे जनता का प्यार और समर्थन जिस मात्रा में मिलने लगा उसने हमारा हौसला बुलंद किया और हम साहस के साथ अपने कर्तव्य का निर्वहन करने में समर्थ हो सके | आज तीन दशक से ज्यादा का समय बीत चुका है | देश और दुनिया में बड़े परिवर्तन इस दौरान हुए हैं | राजनीति , अर्थव्यवस्था , कला , संस्कृति , समाचार माध्यम सभी में तब्दीली देखी जा सकती  है | सत्ता के  स्वरूप और संस्कृति में भी आमूल परिवर्तन हो गया है | कहना गलत न होगा कि राजनीति की दिशा पूरी तरह उलट गयी है | 1989 में तेजी से उभार ले रही हिन्दू लहर अब राष्ट्रीय मुख्यधारा बन चुकी है जबकि  मंडलवादी राजनीति अपने ही बनाए जाल में उलझकर दम तोड़ती जा रही है | देश की सबसे पुरानी राजनीतिक पार्टी अपनी प्रतिष्ठा बचाए  रखने के लिए संघर्ष कर रही है | भारत आर्थिक और सामरिक दृष्टि से विश्व के बड़े देशों के साथ बराबरी से बैठने की स्थिति में आ गया है | कोरोना जैसी महामारी का मुकाबला जिस कुशलता के साथ देश ने किया उसकी वजह से आम भारतीय का आत्मविश्वास और मजबूत हुआ है | दुनिया भर में भारतीय समुदाय अपने बुद्धिकौशल और पौरुष के बलबूते सम्मान और समृद्धि अर्जित कर रहा है | ब्रिटेन में ऋषि सुनक के प्रधानमन्त्री बन जाने से भारत का प्रभाव और प्रतिभा नए रूप  में सामने आई है | 33 साल की इस यात्रा में मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस एक जागरूक और जिम्मेदार समाचार पत्र के रूप में लगातार पाठकों के साथ बना रहा | हमने स्वस्थ पत्रकारिता की ध्वजा को जिस मजबूती से थामे रखा उसके कारण पत्रकारिता पर मंडराते  विश्वास के संकट के बावजूद इस समाचार पत्र ने अपनी विश्वसनीयता कायम रखी जो आज भी उसकी पहिचान बनी हुई है | लेकिन इस गौरव को हासिल करने के लिए हमें अनगिनत परेशानियों , अवरोधों और विरोध का सामना करना पड़ा | तकनीक में तेजी से होने वाले बदलाव के कारण लघु  और मध्यम  श्रेणी के समाचार पत्रों के सामने पूंजी का जबरदस्त संकट उत्पन्न होता जा रहा है | उसके साथ ही डिजिटल माध्यम के विकास ने समाचार पत्रों के लिए नई प्रतिस्पर्धा पेश कर दी है | लेकिन मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस इस सबसे अविचलित रहकर आगे बढ़ता जा रहा है | हमारे पाठकों का हम पर जो विश्वास है वह हमारी ऊर्जा का अक्षत स्रोत है | निःस्वार्थ भाव से हमें सहयोग देने वाले विज्ञापनदाताओं की उदारता हमारा संबल है | जिसके कारण पत्रकारिता के आदर्शों को अक्षुण्ण रखते हुए  संघर्षपथ पर बिना रुके  चलते रहने के लिए हम प्रतिबद्ध हैं | जिसे पढ़े बिना शाम अधूरी है का जो विशेषण हमारे साथ शुरू से ही जुड़ा हुआ है , उसे बरकरार रखने हम संकल्पबद्ध भी हैं और समर्पित भी | आने वाला समय बेहद चुनौतीपूर्ण है | राजनीतिक घटनाचक्र भी तेजी से घूम रहा है | अगले साल म.प्र और उसके बाद लोकसभा का चुनाव होगा | समाचार माध्यमों के लिए ये समय अपनी साख बचाने का है | आरोपों और आक्षेपों की चौतरफ़ा बौछार के बीच उन्हें अपनी छवि के लिए जो संघर्ष करना पड़ रहा है उसके लिए काफी हद तक वे स्वयं भी जिम्मेदार हैं | लेकिन मध्यप्रदेश हिन्दी एक्सप्रेस अपने पाठकों को विश्वास दिलाता है कि हम आपके विश्वास की रक्षा करने में पीछे नहीं रहेंगे | दबाव और बहाव पहले भी आते रहे और आगे भी आयेंगे परन्तु उनके सामने झुकने की तासीर हमारी नहीं है | लिहाजा भविष्य में भी इन्हीं तेवरों के साथ ये यात्रा जारी रहेगी क्योंकि जिस अख़बार के साथ पाठकों का समर्थन हो उसे कोई नहीं झुका सकता |

-रवीन्द्र वाजपेयी

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