Friday 4 November 2022

गुजरात चुनाव से बदलेंगे राष्ट्रीय राजनीति के समीकरण



गुजरात विधानसभा चुनाव की तारीखें घोषित हो गई | उसके पहले हिमाचल प्रदेश के चुनाव हो चुके होंगे | दिसंबर के पहले सप्ताह में दोनों परिणाम आने के बाद राष्ट्रीय राजनीति के समीकरणों में बड़ा बदलाव होने की संभावना है | इसकी एक वजह इस बार वहाँ त्रिकोणीय मुकाबला होना है | आम आदमी पार्टी पंजाब की शानदार सफलता के बाद हिमाचल प्रदेश और गुजरात के चुनावों में पूरे जोर - शोर से उतरी है | हालांकि  उसकी मौजूदगी गुजरात में ज्यादा महसूस की जा रही है | इसकी वजह भी साफ़ है | दरअसल अरविन्द केजरीवाल की सोच ये है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और गृह मंत्री अमित शाह के गृह प्रदेश में यदि उनकी पार्टी धमाकेदार प्रदर्शन कर सकी तो राष्ट्रीय स्तर पर ये सन्देश जायेगा कि भाजपा से सामने आकर टकराने का साहस केवल  आदमी पार्टी में ही है | इस बारे में उल्लेखनीय  है कि आगामी लोकसभा चुनाव में भाजपा के विरुद्ध विपक्ष का संयुक्त मोर्चा बनाने की जो कवायद अब तक चली है उसका नेतृत्व कौन करेगा ये निश्चित नहीं है | कांग्रेस को अब तक ये गुमान है कि बिना उसके झंडे तले गैर भाजपा गठबंधन बन ही नहीं सकता | दूसरी तरफ ममता बैनर्जी हमेशा की तरह मेरी मुर्गी की डेढ़ टांग चिल्लाती फिरती हैं | तेलंगाना के मुख्यमंत्री चंद्रशेखर राव की अपनी राजनीति है | कुल मिलाकर विपक्ष की समस्या ये है कि श्री मोदी के मुकाबले उसका चेहरा कौन होगा ये पक्का नहीं हो पा रहा |  अब तक जो देखने में आया है उससे ये लगता है कि कांग्रेस को तो श्री केजरीवाल से खुन्नस है ही क्योंकि आम आदमी पार्टी ने पहले दिल्ली और  फिर पंजाब में उसका सूपड़ा साफ़ कर दिया | हिमाचल प्रदेश और गुजरात में भी इस पार्टी के मैदान में उतरने का सबसे ज्यादा नुकसान कांग्रेस को ही होगा क्योंकि भाजपा विरोधी मतों में वही बटवारा करेगी | राजनीतिक विश्लेषक भी ये मानकर चल रहे हैं कि भले ही उक्त दोनों राज्यों में आम आदमी पार्टी कुछ ख़ास न कर  सके किन्तु वह कांग्रेस का खेल बिगाड़ने में सक्षम जरूर है | श्री केजरीवाल की रणनीति भी यही है | उन्हें मालूम है कि जिन राज्यों में अन्य क्षेत्रीय दल मजबूत हैं वहां उनकी दाल नहीं गलने वाली लेकिन जहाँ कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधा संघर्ष है वहां तीसरी ताकत के रूप में वे अपनी उपस्थिति इस एहसास के साथ करवाना चाहते हैं कि कांग्रेस डूबता जहाज है अतः भाजपा का विकल्प आम आदमी पार्टी ही बनेगी | इस दावे की वजनदारी इसलिए बढ़ जाती  है क्योंकि कांग्रेस के अलावा यही ऐसी विपक्षी पार्टी है जिसकी एक से अधिक राज्यों  में सरकारें हैं | दूसरी बात ये है कि श्री केजरीवाल  ने दिल्ली के मुख्यमंत्री के तौर पर मुफ्त बिजली और पानी के साथ ही शिक्षा और चिकित्सा के क्षेत्र में जो काम किया उसकी राष्ट्रीय स्तर पर चर्चा है | हिमाचल प्रदेश और गुजरात दोनों में श्री केजरीवाल दिल्ली सरकार की इन्हीं उपलब्धियों के आधार पर मतदाताओं को लुभाने में जुटे हैं | उन्हें कितनी कामयाबी मिलेगी ये तो चुनाव परिणाम आने के बाद ही स्पष्ट होगा लेकिन इतना जरूर है कि कांग्रेस की हालत पतली करने में वे कामयाब नजर आ रहे हैं | अब तक चुनाव पूर्व जितने भी सर्वेक्षण आये हैं वे सभी उक्त दोनों राज्यों में भाजपा की सरकार लौटने की उम्मीद जता रहे हैं |  यद्यपि ऐसे सर्वेक्षण अनेक बार बुरी तरह गलत भी साबित हुए हैं | विशेष रूप से हिमाचल प्रदेश में चूंकि छोटी विधानसभा है इसलिए मुकाबला नजदीकी हो सकता है | वैसे आम आदमी पार्टी चाह रही है कि दोनों राज्यों में  त्रिशंकु विधानसभा बने जिससे सत्ता का रिमोट कंट्रोल उसके हाथ आ जाए | लेकिन गुजरात में इसकी सम्भावना कम है और भाजपा 2017 की अपेक्षा बेहतर प्रदर्शन करने के आत्मविश्वास से भरपूर है क्योंकि अहमद पटेल के न रहने से कांग्रेस के पास कोई रणनीतिकार नहीं बचा | राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को पार्टी ने वहां का प्रभारी बनाया जरूर लेकिन वे अपने ही राज्य में घिर गये हैं | दूसरे , राष्ट्रीय अध्यक्ष के चुनाव के दौरान जिस तरह की नौटंकी उन्होंने की उसके बाद कांग्रेस के भीतर ही उनकी विश्वसनीयता कम हुई है | आम आदमी पार्टी कांग्रेस में उत्पन्न शून्य को भरते हुए गुजरात में खुद को दूसरे स्थान पर स्थापित करने में जुटी हुई है | कांग्रेस के टूटे हुए मनोबल का अनुमान इसी से लगाया जा सकता है कि उसके सबसे बड़े स्टार प्रचारक राहुल गांधी भारत जोड़ो यात्रा पर हैं और उनका  चुनाव वाले इन दोनों राज्यों में प्रचार करने का कोई कार्यक्रम नहीं है | प्रियंका वाड्रा ने हिमाचल प्रदेश में मोर्चा संभाला जरूर है लेकिन उ.प्र में उनके नेतृत्व में कांग्रेस के दयनीय प्रदर्शन के बाद इस पहाड़ी राज्य में भी उनसे किसी चमत्कार की उम्मीद राजनीति के जानकार नहीं कर रहे हैं | वैसे 70 विधायकों और चार लोकसभा सीटों के कारण हिमाचल प्रदेश राष्ट्रीय राजनीति में ज्यादा असर नहीं रखता | हालाँकि भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा का गृह राज्य होने से यहाँ  उनकी प्रतिष्ठा दांव पर है | और फिर यहाँ हर चुनाव में सरकार बदल जाने का सिलसिला चला आ रहा है किन्तु आम आदमी पार्टी के कूदने के कारण कांग्रेस को नुकसान होना तय है | रही बात गुजरात की तो पिछले चुनाव में भाजपा को बहुमत प्राप्त करने में पसीना आ गया था | हालाँकि बाद में उसने कांग्रेस में जमकर तोड़फोड़ मचाई और पांच साल सरकार भी चलाई | लेकिन मुख्यमंत्री सहित पूरे मंत्रीमंडल को बदलने की मजबूरी भी उसे झेलनी पड़ीं | सत्ता विरोधी रुझान को टालने के लिए प्रधानमंत्री ने लगातार गुजरात के दौरे किये और गृह मंत्री भी मौका पाते ही अपना घर बचाने आते रहे हैं | आम आदमी पार्टी हालाँकि ये दावा कर रही है कि मुकाबला उसके और भाजपा के बीच है लेकिन सर्वेक्षणों में उसे तीसरे स्थान पर ही दिखाया जा रहा है | इस बात को  जानते तो श्री केजरीवाल भी  हैं लेकिन उनका निशाना कांग्रेस है | अगर वे गुजरात में मुख्य विपक्षी दल बन सके तो अगले साल राजस्थान , म.प्र और छत्तीसगढ़ के चुनाव में वे पूरी ताकत झोंकेगे जहाँ  कांग्रेस और भाजपा के बीच सीधी लड़ाई होती रही है | लोकसभा चुनाव आने से पहले श्री केजरीवाल अपनी पार्टी को भाजपा का मुकाबला करने में सक्षम साबित करने के जिस अभियान में जुटे हैं उसका भविष्य काफी हद तक गुजरात चुनाव के नतीजों से तय हो जाएगा |

-रवीन्द्र वाजपेयी 

No comments:

Post a Comment