Tuesday 1 November 2022

विकास की राह पर तेजी से बढ़ता देश का हृदय प्रदेश



अपने नाम के अनुरूप देश के मध्य भाग में स्थित मध्यप्रदेश  आज अपना 67 वां स्थापना दिवस मना रहा है | 1 नवम्बर 1956 को राज्य पुनर्गठन के आधार पर जब नए राज्यों की संरचना हुई तब मध्यभारत , महाकोशल , विन्ध्य और भोपाल नामक चार अंचलों  को मिलाकर इस प्रदेश का गठन किया गया | यद्यपि इसकी राजधानी जबलपुर  में प्रस्तावित थी किन्तु राजनीतिक कारणों से भोपाल को वह गौरव हासिल हो गया | उक्त चारों अंचल हिंदी भाषी थे इसलिए उनमें किसी भी तरह का विवाद नहीं हुआ | यद्यपि भौगोलिक और सांस्कृतिक दृष्टि से कुछ भिन्नताएं रहीं किन्तु समावेशी और शांत स्वभाव के कारण चारों के बीच भावनात्मक तौर पर सामन्जस्य और सद्भाव कायम रहा | देश के सबसे विशाल प्रान्त होने का गौरव भी उसे हासिल था | उसकी सीमा उ.प्र . बिहार , राजस्थान ,महाराष्ट्र , गुजरात , आंध्र और उड़ीसा से मिलती थीं | इस वजह से इस प्रदेश में इन सभी राज्यों के लोग आकर बसते गये और देश का दिल कहे जाने वाले इस प्रदेश ने उन सभी को खुले मन से स्वीकार करते हुए अपना बना लिया | यही वजह है कि म.प्र देश की सांस्कृतिक विविधता का जीवंत प्रतीक बन गया |  बाद में 1 नवम्बर 2000 को छत्तीसगढ़ के रूप में इसका एक हिस्सा अलग होकर नया राज्य बना जो खनिज संपदा सम्पन्न होने से आर्थिक  तौर पर काफी समृद्ध तो था ही , बिजली उत्पादन में अग्रणी होने के साथ ही धान के कटोरे के तौर पर उसकी प्रतिष्ठा थी | ऐसे अंचल के अलग होने के बाद ये आशंका व्यक्त की जाने लगी थी कि म.प्र बीमारू राज्य का कलंक शायद ही कभी धो सकेगा | हालाँकि अपनी विशाल वन संपदा , जल की प्रचुरता , उपजाऊ जमीन , सदा नीरा नदियाँ , खनिज उपलब्धता , धार्मिक और ऐतिहासिक  महत्व के केंद्र और राष्ट्रीय उद्यानों के कारण यहाँ विकास की असीम संभावनाएं रहीं किन्तु इच्छा शक्ति और विकासपरक सोच के अभाव के चलते म.प्र अति पिछड़े राज्य की श्रेणी में ही बना रहा | यहाँ की उपजाऊ धरती में सिर्फ अनाज ही नहीं अपितु राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय स्तर की प्रतिभाओं ने जन्म लिया | कला , साहित्य , शिक्षा , पत्रकारिता , राजनीति , खेल के अलावा भी ऐसा कोई क्षेत्र नहीं जिसमें यहाँ जन्मी प्रतिभाओं ने अपने कौशल का परिचय न दिया हो | देश के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री बने क्रमशः स्व. डा. शंकर दयाल शर्मा और  भारत रत्न स्व. पं. अटल बिहारी वाजपेयी म.प्र की धरती के ही सपूत थे | यह प्रदेश विकास की अपार संभावनाओं के बाद भी  क्यों पिछड़ा  ये सवाल हर किसी के मन में उठता रहा | लेकिन धीरे – धीरे इसने अपनी क्षमताओं को पहिचाना और देखते – देखते ऊंची छलांगे लगते हुए राष्ट्रीय स्तर पर सभी का ध्यान आकर्षित किया | परिणामस्वरूप बीमारू राज्य का दाग मिटाते हुए यह विकास के नए प्रतीक के तौर पर सामने आया | निवेशकों के लिये ये प्रमुख आकर्षण का केंद्र है | शिक्षा , चिकित्सा , पर्यटन के साथ ही  कृषि के क्षेत्र में बीते कुछ दशकों में जो प्रगति यहाँ हुई वह निश्चित रूप से संतुष्टि का भाव जगाने वाली है | लेकिन अभी वह मुकाम दूर है जहाँ म.प्र को होना चाहिए | अपने अप्रतिम प्राकृतिक सौंदर्य और आधा दर्जन से ज्यादा संरक्षित राष्ट्रीय उद्यानों के कारण यहाँ पर्यटन की बेशुमार संभावनाएं हैं | देश के बीच में स्थित होने से आवागमन भी सुलभ है | रेल और सड़क मार्ग के अलावा वायु मार्ग से भी म.प्र. आना बेहद सरल है | औद्योगिक इकाइयों के लिए बिजली और पानी के अलावा पर्याप्त भूमि की उपलब्धता यहाँ विकास के नए अवसर प्रदान कर रही है | गेंहू के उत्पादन में म.प्र पंजाब और हरियाणा को टक्कर देने की स्थिति में है | राष्ट्रीय स्वच्छता मिशन के अंतर्गत प्रदेश की  व्यावसायिक राजधानी  इंदौर लगातार देश का सबसे स्वच्छ नगर बना हुआ है | इन सब कारणों से म.प्र विकास की राह पर तेजी से बढ़ रहा है | यहाँ से गुजरने वाले राजमार्ग लोगों को आकर्षित करते हैं | खजुराहो . ओंकारेश्वर , महाकालेश्वर , अमरकंटक , भेडाघाट , सांची जहाँ धार्मिक पर्यटन को आकर्षित करते हैं वहीं पुरातात्विक महत्व के अनगिनत स्थान न सिर्फ सैलानियों वरन शोधकर्ताओं की रुचि का विषय हैं | वन्य जीवन को निकट से देखने के इच्छुक लोगों के लिए कान्हा , बांधवगढ़ , पेच , पन्ना के राष्ट्रीय उद्यान देश – विदेश में ख्याति अर्जित कर रहे हैं | अपनी स्थापना का 67 वां महोत्सव मनाते हुए म.प्र पूरे आत्मविश्वास से भरा हुआ है | यहाँ का माहौल तनावरहित है | कानून व्यवस्था की स्थिति तुलनात्मक दृष्टि से काफी बेहतर है | इसीलिये फिल्मों की शूटिंग के लिए यह फिल्म निर्माताओं की पसंद बनता जा रहा है | आज निश्चित रूप से खुशियों का दिन है | 67 वर्ष का कालखंड किसी प्रदेश के लिए आगे बढ़ने के लिए पर्याप्त होता है | भले ही प्रारंभिक तौर पर कुछ दशक इस मामले में बेकार चले गये लेकिन अब यह विकास की राह पर पूरी गति से दौड़ रहा है | इसमें न केवल प्रतिस्पर्धा में भाग लेने आत्मबल पैदा हुआ है अपितु जीतने का जूनून भी नजर आने लगा है | हालाँकि राजनीति से ये भी अछूता नहीं है लेकिन अन्य राज्यों की अपेक्षा यहाँ कटुता नहीं है | इस वजह से यहाँ आने वाले भय मुक्त होकर अपना कार्य करते हैं | भाषा और क्षेत्रीय भावनाओं से  उत्पन्न होने वाले विवादों से ये सर्वथा परे है | बड़े अंचल में आदिवासी आबादी होने से यहाँ प्राचीन भारतीय समाज के प्रत्यक्ष अनुभव किये जा सकते हैं | कुल मिलाकर म.प्र एक विकासोन्मुखी राज्य के रूप में राष्ट्रीय परिदृश्य पर अपनी छाप छोड़ते हुए मुख्यधारा से जुड़ा हुआ है | बीते कुछ सालों की उप्लब्धियाँ इसके सुनहरे भविष्य का संकेत हैं | उम्मीद की जा सकती है कि आजादी के अमृत महोत्सव के सुखद संयोग के साथ प्रदेश का यह स्थापना दिवस सुनहरे भविष्य की दिशा में एक बड़ा कदम होगा |

- रवीन्द्र वाजपेयी

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