Wednesday 23 November 2022

जेल जाते ही सरकारी कर्मचारी निलम्बित हो जाता है तो मंत्री क्यों नहीं



दिल्ली सरकार के एक मंत्री सत्येन्द्र जैन काफी समय से जेल में हैं | 24 घंटे से ज्यादा हिरासत में रहने वाले सरकारी कर्मचारी को निलंबित कर दिया जाता है | पहले किसी अपराधिक प्रकरण के दर्ज होते ही  मंत्री या तो त्यागपत्र दे देता या बर्खास्त कर दिया जाता था | म.प्र. की पूर्व  मुख्यमंत्री उमाश्री भारती ने  कर्नाटक के हुबली शहर में निषेधाज्ञा तोड़ने के पुराने प्रकरण में  गिरफतारी वारंट आने के बाद त्यागपत्र दे दिया था | ऐसे और भी दृष्टांत हैं किन्तु वे  गुजरे ज़माने की बात बनते जा रहे हैं | महाराष्ट्र में उद्धव सरकार के दो वरिष्ट मंत्री भ्रष्टाचार के आरोप में गिरफ्तार होकर जेल चले गए लेकिन उनको पद से हटाया नहीं गया | दिल्ली सरकार के उक्त  मंत्री को भी हटाने की जरूरत  मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल को महसूस नहीं हुई | कुछ दिन पहले एक तस्वीर आई जिसमें श्री जैन जेल में मसाज करवा रहे हैं | फिर क्या था सियासत शुरू हो गई | सफाई दी गई कि मंत्री जी की मसाज नहीं अपितु फिजियो थेरेपी हो रही थी | तब लगा कि  शारीरिक कष्ट के कारण चिकित्सक की सलाह पर वैसा किया जा रहा था | जेल में  रहने वालों की चिकित्सा भी जेल प्रशासन की जिम्मेदारी होती है | लेकिन जल्द ही स्पष्ट  हो गया  कि मंत्री जी मसाज का ही सुख ले रहे थे और  बलात्कार का आरोपी एक कैदी उनकी सेवा में लगा था | अब एक नया वीडियो प्रकाश में आया है जिसमें श्री जैन  होटल से आया भोजन ग्रहण कर रहे हैं जो उनको सलीके से परोसा गया है | बताते हैं जेल का पौष्टिक (?) भोजन करने से उनका वजन बढ़ गया है | दिल्ली में चूंकि इन दिनों स्थानीय चुनाव चल रहे हैं इसलिए भाजपा और कांग्रेस दोनों मंत्री  द्वारा जेल में ऐशो – आराम की ज़िन्दगी व्यतीत करने को मुद्दा बना रहे हैं अन्यथा इस तरह के किस्से आम हैं | जेल जाने का अंदेशा होते ही किसी भी वीआईपी का रक्तचाप और हृदयगति तेज हो जाती है | लालू प्रसाद यादव ने तो लम्बी सजा अस्पताल में ही काट डाली और वह भी शानदार इंतजाम के साथ | मरीज बनकर भी वे राजनीतिक समीकरण बिठाते रहे | पहले जेल में सुख - सुविधाओं के उपभोग के बारे में मफिया सरगनाओं की चर्चा होती थी किन्त्तु अब राजनीतिक नेता भी उसी श्रेणी में आते जा रहे हैं | आम आदमी पार्टी जिस आन्दोलन की कोख से उत्पन्न हुई वह व्यवस्था के शुद्धिकरण के लिए हुआ था | लेकिन धीरे – धीरे अन्य दलों की तरह वह भी सत्ता के मकड़जाल में फंसती जा रही है | उसके अनेक नेता भ्रष्टाचार में लिप्त हैं | लेकिन बजाय  अलग करने के उनका बचाव किया जा रहा है | जेल में श्री जैन का मसाज करवाना या होटल का भोजन करना नई बात नहीं है | अपने देश में जेल के भीतर जो कुछ होता है वह किसी से छिपा नहीं है | राजनेता , धनकुबेर और माफिया सरगना वहां  रहते हुए भी  बाहरी दुनिया के तमाम सुख भोगते हैं | पैसा और प्रभाव हो तो जेल की सलाखों के भीतर भी ऐशो - आराम के साधन आसानी से उपलब्ध हो जाते हैं | लेकिन इससे हटकर प्रश्न ये है कि जेल जाते ही सरकारी मुलाजिम जब निलम्बित कर दिया जाता है तब लोकसेवक की श्रेणी वाले मंत्री को पद पर बनाये रखने का क्या औचित्य है ? केवल इसलिए कि राजनीतिक कारणों से फंसाया गया , मंत्री जी जेल में रहते हुए भी  सरकार का हिस्सा बने रहें ये लोकतंत्र का मजाक भी है  और अपमान भी | जेल प्रशासन सरकार के मंत्री के साथ आम कैदी जैसा बर्ताव करे ये सोचना तो वास्तविकता से आँखें चुराने जैसा होगा | दरअसल  ये तो मुख्यमंत्री के लिए सोचने वाली बात है कि संविधान की रक्षा की शपथ लिया हुआ व्यक्ति कैद  में होने के बाद भी मंत्री पद पर कैसे बना हुआ है ? राजनीति में नैतिकता के पालन के लिए स्व. लालबहादुर शास्त्री का उदाहरण दिया जाता  है जिन्होंने रेल दुर्घटना की जिम्मेदारी लेते हुए रेल मंत्री पद से त्यागपत्र दे दिया था | लेकिन कालांतर में इस तरह के आदर्श मूर्खता माने जाने लगे और  कानून तोड़ने की क्षमता ही व्यक्ति की सामाजिक स्थिति का मापदंड बन गई | स्व. इंदिरा  गांधी का चुनाव अलाहाबाद उच्च न्यायालय द्वारा अवैध घोषित किये जाने के बाद नियमानुसार उन्हें तत्काल पद छोड़ना चाहिए था किन्तु उन्होंने आपातकाल थोपकर लोकतंत्र को ही निलंबित करते हुए विपक्षी नेताओं को जेल में ठूंसकर सेंसरशिप लगा दी | उसके बाद से राजनीति में बची – खुची नैतिकता भी जाती रही | आज किसी भी दल से ये अपेक्षा नहीं की जा सकती कि वह आरोप लगते ही  अपने नेता को पद छोड़ने कहे | भाजपा के वयोवृद्ध नेता लालकृष्ण आडवाणी ने हवाला कांड में नाम आते ही संसद से त्यागपत्र देते हुए प्रण किया था कि निर्दोष साबित होने तक  चुनाव नहीं लड़ेंगे और वे उस पर अडिग रहे | लेकिन आज भाजपा में उस तरह की नैतिकता का उदाहरण देने वाले नेता ढूँढने पर भी नहीं मिलते | भले ही  आरोप लगने मात्र से किसी को अपराधी करार देना उचित नहीं है लेकिन संवैधानिक पद पर बैठे राज्य सरकार के मंत्री का महीनों से जेल में रहने के बाद भी सरकार में बना रहना  नैतिकता और संविधान दोनों का मखौल  है | आम आदमी पार्टी राजनीति में ताजी हवा का झोका बनकर आई थी | उसके मुखिया अरविन्द केजरीवाल ये कहते नहीं थकते थे कि उनका मकसद केवल  सत्ता नहीं वरन व्यवस्था बदलना है | लेकिन उनके एक मंत्री के जेल में मसाज करवाते चित्र सामने आने के बाद ये कहने में कोई संकोच नहीं होना चाहिए कि श्री जैन को मंत्री बनाये  रखकर उन्होंने हमाम में सभी के निर्वस्त्र होने की कहावत को ही चरितार्थ किया है |


- रवीन्द्र वाजपेयी

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