Thursday 16 February 2023

टाटा द्वारा विमान खरीदी भारतीय उड्डयन व्यवसाय की ऊंची उड़ान



जब एयर इंडिया को टाटा ने खरीदा तब इस बात  को लेकर बड़ा हल्ला मचा था कि सरकार अपनी संपत्तियों को बेच रही है | लेकिन एयर इण्डिया को जिस तरह से रोजाना घाटा हो रहा था उसे देखते हुए उसका विनिवेश बुद्धिमत्ता भरा निर्णय था | ये प्रस्ताव वैसे तो डा.मनमोहन सिंह की सरकार के समय से ही विचाराधीन था लेकिन निर्णय क्षमता की कमी से बात आगे नहीं बढ़ सकी | मोदी सरकार के आने के बाद घाटे में चल रहे सरकारी उपक्रमों के विनिवेश का काम तेज हुआ  | हालाँकि अभी भी वह तय लक्ष्य से पीछे है लेकिन फिर भी अनेक उपक्रमों को बेचकर सरकार ने अपने घाटे को कम करने का प्रबन्ध कर लिया | एयर इण्डिया उस दृष्टि से काफी अहम सौदा था | आलोचकों की मानें तो टाटा काफी फायदे में रहा क्योंकि विदेशी उड़ानों की जितनी अनुमति एयर इंडिया के  पास हैं  उतनी  किसी और भारतीय उड्डयन कम्पनी के पास नहीं होने से एक तरह से एकाधिकार का लाभ उसे मिलता है | बावजूद उसके सरकारी  तंत्र की लचर कार्यप्रणाली और प्रतिस्पर्धा में टिके रहने की अक्षमता ने उसको सफ़ेद हाथी बनाकर रख दिया | अतीत में किये गए सौदों में बिना जरूरत विमान खरीद लिए जाने से कम्पनी का भट्टा बैठ गया | लेकिन टाटा समूह के हाथ में जाते ही एयर इण्डिया के कायाकल्प की शुरुवात हो गयी | घरेलू उड्डयन व्यवसाय में इंडिगो के पास आधे से ज्यादा कारोबार है जिसकी तुलना में एयर इंडिया बहुत पीछे है | लेकिन गत दिवस टाटा ने विश्व का सबसे बड़ा उड्डयन सौदा करते हुए भारतीय उड्डयन व्यवसाय को वैश्विक प्रतिस्पर्धा के साथ ही घरेलू मोर्चे पर भी मजबूती प्रदान करने का रास्ता साफ़ कर दिया | कुल 470 विमानों के इस सौदे में अमेरिका की बोईंग से 220 और फ़्रांस की एयर बस से 250 विमान खरीदने का करार हुआ | सबसे बड़ी बात ये रही कि इस सौदे पर हस्ताक्षर होते समय अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन , फ़्रांस के राष्ट्रपति मेक्रान , ब्रिटेन के प्रधानमंत्री ऋषि सुनक और भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आभासी माध्यम से जुड़े रहे और उनकी आपस में चर्चा भी हुई | इस बारे में ये पूछा जा सकता है कि ब्रिटेन को इससे क्या लेना देना तो उसका जवाब ये है कि एयर बस में जिस रोल्स रायस का एंजिन लगता है वह ब्रिटेन की कम्पनी है जो अपनी आलीशान कारों के लिए प्रसिद्ध है | लेकिन उसका मुख्य कार्य एंजिन बनाना ही है | चूंकि अरबों - खरबों का  सौदा उनके देश की निजी कम्पनी को हुआ इसलिए ही वहाँ के राष्ट्राध्यक्ष इस अवसर पर अपनी मौजूदगी  दर्ज कराने में नहीं झिझके और उसे  कूटनीतिक अवसर में बदलते हुए श्री मोदी को बधाई देकर भारत के साथ बढ़ते व्यापारिक संबंधों के प्रति संतोष व्यक्त किया | इस बारे में विचारणीय बात ये है कि संसद के बजट सत्र में विपक्ष ने प्रधानमंत्री और गौतम अडानी की निकटता पर हल्ला मचाते हुए आरोप लगाया कि उन्होंने अडानी समूह को विदेशों में ठेके दिलवाने में अपने प्रभाव का उपयोग किया | लेकिन टाटा समूह द्वारा किये गये संदर्भित सौदे के समय अमेरिका , फ़्रांस और ब्रिटेन के राष्ट्राध्यक्ष  की आभासी उपस्थिति और उनका श्री मोदी से  बात करना भारत के विपक्षी  दलों को ये सन्देश है कि अपने देश के उद्योगपति और व्यवसायी को विदेशी सौदे दिलवाने में वहां की सरकारें खुलकर मदद करती हैं क्योंकि उससे अंततः फायदा तो देश का ही होता है | उल्लेखनीय है टाटा समूह ने दुनिया  की प्रसिद्ध ऑटोमोबाइल कम्पनी फोर्ड से जगुआर और लैंड रोवर ब्रांड भी खरीद लिया था | लंदन के जिस होटल में विमानों का सौदा हुआ वह भी संयोगवश टाटा समूह का ही है | हालाँकि विमानों की आपूर्ति होने में दो साल लगेंगे लेकिन कुछ विमान इस साल के आखिर में  एयर इण्डिया के बेड़े में आ जायेंगे | भारत में घरेलू उड्डयन व्यवसाय जिस तेजी से बढ़ रहा है और मोदी सरकार लगातार नये विमान तल बनाने का निर्णय ले रही है उससे आने वाले कुछ ही सालों में विमानन कंपनियों के बीच प्रतिस्पर्धा बढ़ेगी जिसका लाभ यात्रियों को मिलेगा | 470 विमान आने के बाद एयर इण्डिया वैश्विक स्तर पर भी विदेशी एयर लाइंस को टक्कर दे सकेगी | यहाँ यह उल्लेखनीय कि बड़ी संख्या में  भारतीय  दुनिया के विभिन्न  देशों में बसे हुए हैं | उनकी पहली प्राथमिकता एयर इंडिया ही होती है किन्तु विमानों की कमी और सेवा में गुणवत्ता के अभाव के चलते उन्हें दूसरी एयर लाइंस के विमानों से आना - जाना  पड़ता है | जैसे - जैसे बोईंग और एयर बस की आपूर्ति उक्त सौदे के अंतर्गत होती जायेगी वैसे - वैसे  एयर इण्डिया तो आगे बढ़ेगी ही भारत को भी उसका लाभ मिलेगा | इसके चलते विदेशी पर्यटकों की आवक भी बढ़ सकती है | घाटे में चल रहे सरकारी उपक्रमों के विनिवेश के बाद निजी क्षेत्र का बेहतर प्रबंधन उनको किस तरह विकसित कर सकता है उसका सबसे ताजा उदाहरण है एयर  इंडिया द्वारा किया गया 470 विमानों का सौदा | इस अवसर  चार देशों के राष्ट्राध्यक्षों की आभासी उपस्थिति इसकी महत्ता का प्रमाण तो है ही साथ ही इस बात को दर्शाता है कि वैश्विक स्तर पर होने  वाले निजी व्यावसायिक सौदों में भी संबंधित देशों की सरकारों की कितनी भूमिका रहती है | अब देखना ये है कि अडानी समूह को सरकारी संरक्षण दिए जाने का आरोप लगाने वाले विपक्षी नेता और अन्य आलोचक टाटा द्वारा की गई  दुनिया की सबसे बड़ी विमान खरीदी के करार के समय श्री मोदी की विदेशी राष्ट्राध्यक्षों के साथ आभासी मौजूदगी पर क्या कहते हैं ?

रवीन्द्र वाजपेयी 

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