Friday 17 February 2023

अति और अंध दोनों विश्वास घातक : नेता और अफसर बाबाओं को बना रहे भगवान



म.प्र के सीहोर जिले में स्थित पंडित प्रदीप  मिश्रा के  कुबेरेश्वर धाम में सप्ताह भर के  शिव पुराण महाकथा  और रुद्राक्ष महोत्सव के आयोजन में गत दिवस अनुमान से ज्यादा श्रद्धालुओं के आ जाने से अफरा तफरी मच गयी | आयोजकों ने 2 लाख लोगों के जमा होने की जानकारी प्रशासन को दी थी लेकिन पिछले अनुभवों के आधार पर पुलिस और  प्रशासन ने उससे कहीं  ज्यादा लोगों की व्यवस्था की किन्तु तकरीबन 20 लाख  लोग वहां जमा हो गए जिससे अव्यवस्था फ़ैल गयी | दरअसल कुबेरेश्वर धाम में एक मुखी रुद्राक्ष का वितरण होता है जिसके बारे में दावा है कि उसे पानी में डालने के बाद उस पानी को पी जाने से तमाम परेशानियाँ दूर हो जाती हैं | 40 काउंटर बनाकर लाखों लोगों को रुद्राक्ष का वितरण भी किया गया  लेकिन  तीन लाख की आबादी वाले सीहोर शहर में 20 लाख लोगों का जमा होना हादसे की वजह बना   | इस वजह से भीड़ नियंत्रित करने के सारे उपाय धरे रह गए | भोपाल से इंदौर  जाने वाली सड़क पर मीलों का जाम लग गया | महाराष्ट्र की एक महिला की हृदयाघात से मौत हो गयी | हजारों लोगों को अस्पताल में भर्ती करवाना पड़ा वहीं सैकड़ों लापता हैं | कल प्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान भी इस आयोजन में जाने वाले थे | उनका हैलीपैड जहाँ बनाया गया वहां से आयोजन स्थल तक जाने की सड़क पर इतनी भीड़ थी कि उनका आना स्थगित हो गया | पंडित मिश्रा का कुबेरेश्वर धाम इन दिनों काफी चर्चा में है | राजनेताओं की आवाजाही से  पंडित जी की पूछ परख काफी बढ़ गयी है | प्रशासनिक अधिकारी भी बाबाओं के प्रति श्रद्धा रखते हैं क्योंकि इनके जरिये उनका स्थानान्तरण और पोस्टिंग मनचाही जगह हो जाती  है | अनेक मंत्री तो खुलकर इनकी चरणवंदना करते देखे जाते हैं | मिश्रा जी अपने बयानों से भी चर्चाओं में  हैं | ऐसे में उनके प्रवचन सुनने और फिर चमत्कारिक रुद्राक्ष की चाहत में जमा हुई भीड़ ने पिछले सभी रिकॉर्ड तोड़ दिए जो वैसे तो उनकी लोकप्रियता का प्रमाण है | लेकिन गत दिवस जो हुआ वह प्रशासनिक लापरवाही के साथ ही राजनेताओं के लिए भी शर्म  की बात है जो अपने स्वार्थवश इस तरह के कथावाचको को सिर पर बिठा लेते हैं | कल दिन भर सीहोर और आसपास के इलाकों में जनसैलाब जिस तरह से नजर आया उसने अव्यस्था को  पराकाष्ठा तक पहुंचा दिया | लाखों लोगों के लिए न  पानी का इंतजाम हो सका और न ही भोजन का | बीती रात लोगों को खुले आसमान के नीचे गुजारनी पड़ी | जब इस बद इन्तजामी और प्रशासनिक विफलता की देशव्यापी आलोचना हुई तब आज प्रशासन के दबाव में रुद्राक्ष महोत्सव तो पंडित जी ने रद्द कर दिया लेकिन शिवरात्रि संबंधी शेष आयोजन जारी  रहेंगे | कल बहुत से लोग जो  अपने वाहनों से कुबेरेश्वर पहुंचे थे वे वाहन वहीं छोडकर 15 – 20 किलोमीटर चलकर निकल सके | अभी भी भोपाल – इंदौर मार्ग अवरुद्ध है | कांग्रेस ने सरकार से स्तीफा मांगा है | लेकिन उसके नेता भी तो बाबाओं के आयोजनों में बढ़ – चढ़कर हिस्सा लेते हैं | हाल ही में पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष कमलनाथ बागेश्वर धाम में धीरेन्द्र कृष्ण शास्त्री से आशीर्वाद लेकर आये हैं | कंप्यूटर बाबा तो कांग्रेस में हैं ही जिन्होंने पिछले लोकसभा चुनाव में दिग्विजय सिंह को जिताने के लिए  भोपाल में  यज्ञ किया किन्तु उसके बाद भी श्री  सिंह बुरी तरह हारे | ऐसे बाबाओं को राज्य की भाजपा और कांग्रेस सरकारें राज्यमंत्री का दर्जा देती हैं | बाहर से आने वाले बाबाओं को राजकीय अतिथि बनाकर उनके लिए लाल कालीन बिछाया जाता है | आजकल विधान सभा चुनाव के मद्देनजर कहीं जया किशोरी के प्रवचन हो  रहे हैं तो कहीं बागेश्वर धाम वाले शास्त्री जी  का दरबार सज रहा है | भागवत के प्रवचनों की भी बाढ़ आ गई है | इनमें होने वाले भंडारों के जरिये वोटों की फसल उगाने की तैयारी जोरों पर है | निजी चर्चाओं में बाबाओं को पाखंडी बताने वाले नेतागण सार्वजनिक रूप से इनका अभिनंदन करते देखे जाते हैं | जाहिर है  इसका आम जनता पर भी प्रभाव पड़ता है | धर्म और आध्यात्म बहुत श्रेष्ठ चीज है | इसके सहारे समाज में सात्विकता को बढ़ावा देना संभव है | आज भी  देश में ऐसे अनेक साधु , संत , महात्मा और  मुनि हैं जिनके प्रवचनों में सद्विचारों की अमृत वर्षा होती है | लेकिन वे तामझाम से दूर रहकर सन्यास की पवित्र  परम्परा का निष्ठापूर्वक निर्वहन करते हैं | दूसरी तरफ  इलेक्ट्रानिक मीडिया को भागीदार बनाकर धर्म का जो धंधा कुछ बड़े नाम वाले बाबाओं ने चला रखा है उसकी वजह से धार्मिक कार्यक्रम   भी इवेंट  मैनेजमेंट में बदल गये हैं  | इसीलिये इनका आयोजन या तो नेता कर पाते हैं या फिर काले धन की कमाई वाले लोग | आम जनता चूंकि इस खेल को समझ नहीं पाती  इसलिए वह भेड़ – बकरी की तरह चल पड़ती है | लेकिन आश्चर्य तो तब होता है जब सुशिक्षित और समझदार समझे जाने वाले लोग भी  ऐसे अयोजनों  में फंसते हैं | इसमें दो मत नहीं हैं कि राजनेता और सरकारी अधिकारी इन बाबाओं से दूरी  बनाकर चलने लगें तो इनका कारोबार सिमटते देर नहीं लगेगी | अर्थशास्त्र में कहावत है कि खराब मुद्रा अच्छी मुद्रा को चलन से बाहर कर देती है |  धर्म और आध्यात्म के क्षेत्र में अवतरित हुए स्वयंभू भगवानों के कारण ही जो सही मायनों में विद्वान् हैं ,  वे नेपथ्य में चले जाते हैं | चाहे पंडित मिश्रा हों या धीरेंद्र कृष्ण शास्त्री उनके आध्यात्मिक ज्ञान पर बिना किसी भी प्रकार का संदेह किये ये कहा जा सकता है कि वे लोगों को अनुशासन भी  सिखायें जिसके बिना धर्म का पालन असम्भव है | अति विश्वास और अंधविश्वास दोनों बुरे हैं | कल ही बागेश्वर धाम में एक महिला परिक्रमा के दौरान चल बसी | ऐसे आयोजनों पर रोक लगाना तो संभव  नहीं किन्तु इनकी व्यवस्था केवल पुलिस और प्रशासन की नहीं अपितु प्राथमिक तौर पर आयोजकों की भी जिम्मेदारी है | इस घटना से सबक लेकर सरकार को भी चाहिये कि जिस जगह लाखों लोगों के आने की सम्भावना हो वहां वैकल्पिक मार्ग और आपातकालीन व्यवस्थाएं रखी जावें  | कुबेरेश्वर में जो हालात बने उसके दोषियों का पता तो जाँच से ही  चलेगा  किन्तु आम तौर पर ऐसी जांचें भी रस्म अदायगी होती हैं | इसलिए कम से कम इतना ही किया जावे कि राजनेता ऐसे जमावडों से दूर  रहें क्योंकि पुलिस और प्रशासन उनकी सुविधा और सुरक्षा में लग जाता है और बेचारी जनता भीड़ का शिकार होती है |

रवीन्द्र वाजपेयी 

No comments:

Post a Comment