Saturday 11 March 2023

सीबीआई और ईडी की निर्भीकता के साथ निष्पक्षता भी जरूरी



पूरे देश में इस समय सबसे बड़ा मुद्दा ईडी और सीबीआई द्वारा विपक्षी नेताओं पर छापेमारी और गिरफ्तारी बना  हुआ है | जिस तरह एक के बाद एक विपक्षी  नेताओं पर शिकंजा कसा  जा रहा है उसे देखते हुए लगता है आने वाले दिनों में कुछ और बड़े नेता जेल के भीतर नजर आयेंगे | दिल्ली शराब घोटाले में मनीष सिसौदिया की गिरफ्तारी के बाद  आम आदमी पार्टी के राज्यसभा सदस्य संजय सिंह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविन्द केजरीवाल के भी लपेटे में आने का संकेत गत दिवस ईडी द्वारा अदालत में पेश किये गए दस्तावेजों से मिला | संयोगवश कल ही ईडी ने नौकरी के बदले जमीन घोटाले में लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार के साथ रिश्तेदारों और करीबियों के यहाँ छापे मारे | तेलंगाना के मुख्यमंत्री के.सी राव की पुत्री और विधान परिषद सदस्य के. कविता से भी आज ईडी दिल्ली शराब घोटाले में पूछताछ हो रही है | सोनिया गांधी और राहुल गांधी भी नेशनल हेराल्ड मामले में ईडी द्वारा आरोपी बनाये जा चुके हैं | उद्धव ठाकरे के करीबी संजय राउत और  महारष्ट्र के दो पूर्व मंत्री भी ईडी द्वारा जेल भेजे गए | ये फेहरिस्त काफी  लम्बी है जिसके बारे में कहा जा रहा है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने पिछले स्वाधीनता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से भ्रष्टाचारियों को जेल भेजने की बात कही थी | भ्रष्ट नेताओं पर सीबीआई और ईडी कार्रवाई करें इसमें किसी को ऐतराज नहीं है | अनेक भ्रष्ट नेता जेल जा चुके हैं | जिनमें स्व.जयललिता,  ओमप्रकाश चौटाला और लालू जैसे नाम हैं | इनको मिली सजा को किसी ने गलत नहीं कहा | लेकिन सीबीआई और ईडी द्वारा की जा रही ताबड़तोड़ कार्रवाई के बारे में विपक्षी नेता चिल्ला – चिल्लाकर कह रहे हैं कि केंद्र सरकार इन संस्थाओं का दुरुपयोग विपक्ष का मनोबल तोड़ने के लिए कर रही है | और बिना पर्याप्त सबूतों के ही गिरफ्तारी के जरिये आतंक का वातावरण बनाया जा रहा है | ये आरोप भी है कि उक्त संस्थाएं भाजपा नेताओं के भ्रष्टाचार पर आँख मूँद लेती हैं | सीबीआई और ईडी के निशाने पर रहे अनेक नेताओं के विरुद्ध चल रही जाँच और अन्य कार्रवाई   उनके भाजपा में आते ही या तो बंद कर दी गयी या उसकी गति धीमी हो गयी | इनमें मुकुल राय , शुबेंदु अधिकारी , हिमन्ता बिस्वा सरमा और नारायण राणे के नाम प्रमुखता से लिए जाते हैं | आम आदमी पार्टी इस आरोप को अनेक मर्तबा दोहरा चुकी है कि श्री  सिसौदिया पर भी शराब घोटाले में बरी करने के एवज  में भाजपा में शामिल होने का दबाव डाला गया था | विपक्ष द्वारा ये आरोप भी तेजी  से लगाया जा रहा है कि कर्नाटक के एक भाजपा विधायक के बेटे के यहाँ करोड़ों रूपये नगद मिलने के बावजूद ईडी ने उसका संज्ञान नहीं लिया जबकि श्री सिसौदिया के यहाँ से सीबीआई को एक पैसा तक नहीं मिला फिर भी उनको  जेल में डाल दिया  | भाजपा शासित राज्यों के मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के आरोपों की जाँच के बारे में दोहरा रवैया अपनाने का आरोप भी  लग रहा है | इसमें दो मत नहीं है कि भ्रष्ट नेताओं के गले में फंदा डाले जाने से आम जनता  खुश होती है |  कोलकाता में ममता बैनर्जी की सरकार के वरिष्ठ मंत्री की महिला मित्र के निवास पर  मिले करोड़ों रूपये मिलने के बाद उस मंत्री के साथ खड़ा होने कोई तैयार नहीं है | मोदी सरकार ने अपने आपको भ्रष्टाचार के आरोपों से बचाए रखा ये भी अब तक तक माना  जा रहा है किन्तु विपक्ष के इस आरोप का  भाजपा   के पास कोई जवाब नहीं है कि क्या उसके सभी नेता राजा हरिश्चन्द्र के अवतार हैं और भ्रष्टाचार के मामलों में फंसे लोग  जब भाजपा में आ जाते हैं तब उनको अभयदान और ईमानदारी का प्रमाण पत्र कैसे मिल जाता है ? विपक्ष के जिन नेताओं को ईडी अथवा सीबीआई ने जांच के घेरे में लिया वे दोषी हैं या  निर्दोष,  ये तो अदालत में ही तय होगा लेकिन भाजपा के तमाम वे नेता जो उक्त दोनों एजेंसियों की जाँच के दायरे  में हैं उनके बारे में ढुलमुल रवैये से एक तो उनकी विश्वसनीयता पर संदेह होता है वहीं  केवल विपक्ष के नेताओं पर निशाना साधे जाने से निष्पक्षता पर भी आंच आती है | यद्यपि महज इस वजह से नेशनल हेराल्ड और दिल्ली  शराब घोटाले के आरोपियों के विरुद्ध जाँच  रोक देना  या लालू के परिवार को ईमानदार मानकर छोड़ देना  किसी भी दृष्टि से स्वीकार करने योग्य नहीं होगा | लेकिन जब बात जाँच एजेंसियों की प्रामाणिकता की होने लगे तब उसे केवल विरोधियों का दुष्प्रचार मानकर हवा में उड़ा देना भी सही नहीं है | इस बारे  में ध्यान देने योग्य बात ये है कि ईडी और सीबीआई को निष्पक्ष होते हुए दिखना भी चाहिये क्योंकि भारतीय जन मानस में भावुकता बहुत है | इसी कारण भ्रष्टाचार के आरोप में दोषी पाये जाने के बाद जेल में रहने के बाद  कोई राजनीतिक नेता जब छूटता है तब वह बजाय मुंह छिपाए घूमने के जनता के बीच जाकर हमदर्दी बटोरता है | जयललिता , ओमप्रकाश चौटाला , लालू , येदियुरप्पा जैसे और  भी अनेक उदाहरण हैं जहां जेल से छूटा नेता भीड़ एकत्र करते हुए जनता का समर्थन प्राप्त करने में कामयाब हो जाता है | ऐसे में ईडी और सीबीआई जैसी संस्थाओं की कार्यप्रणाली में निष्पक्षता नहीं रही तो फिर जिन लोगों को वह सीखंचों में डाल रही है वे बाहर निकलने के बाद फिर अपनी नेतागिरी चमकाने में लग जायेंगे | और इससे भी बड़ी बात प्रधानमंत्री की अपने छवि के लिए जरूरी है कि वे इन संस्थाओं के लपेटे में केवल विपक्षी नेताओं को फंसाए जाने संबंधी अवधारणा को गलत साबित करते हुए भाजपा में बैठे दागी नेताओं पर भी वैसी ही कार्रवाई करें जैसी अन्य पर हो रही है | इस बारे में एक बात आम जनता में चर्चा का विषय है कि सीबीआई और ईडी किसी भी मामले में शुरुआत तो बड़े ही जोरशोर से करती हैं लेकिन उसे अंजाम तक पहुँचाने में जो लम्बा समय लगता है उसकी वजह से मामले की गम्भीरता खत्म हो जाती  है | उस दृष्टि से ईडी और सीबीआई जो कदम उठा रही हैं वे बिलकुल सही हैं | भ्रष्टाचार इस देश को दीमक की तरह चाट रहा है इसलिए उसके खात्मे से पवित्र काम  दूसरा नहीं होगा लेकिन उसमें निर्भीकता के साथ ही पारदर्शिता , प्रामाणिकता और निष्पक्षता भी उतनी ही जरूरी है | वरना अच्छा काम भी लोकनिंदा का पात्र बन जाता है |

रवीन्द्र वाजपेयी 


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